कोरियन क्षेत्र में बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर चीन के दूसरे विमानवाहक युद्धपोत का जलावतरण

बीजिंग, दि. २६: उत्तर कोरिया के उक़सानेवाले परमाणु और प्रक्षेपास्त्र परीक्षणों के कारण कोरियन क्षेत्र में विस्फोटक स्थिति निर्माण हो चुकी है; वहीं, अमरीका का ‘यूएसएस कार्ल विन्सन’ इस विमानवाहक युद्धपोत का काफिला इस क्षेत्र में दाखिल हो रहा है| इस पृष्ठभूमि पर, चीन ने अपनी दूसरे विमानवाहक युद्धपोत का जलावतरण किया है| कोरियन क्षेत्र के साथ ही ‘साऊथ और ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र की स्थिति भी तनावपूर्ण बनी हुई है; वहीं, चीन ने अपने दूसरी विमान वाहक युद्धपोत के जलावतरण के लिए चयन किया मुहुरत जानकारों का ध्यान खींच रहा है|

विमानवाहक युद्धपोत

बुधवार को भारतीय समयानुसार सुबह ९ बजे चीन ने विमानवाहक युद्धपोत का जलावतरण किया| चीन के उत्तरी ‘दालियान’ बंदर में यह युद्धपोत दुनिया भर के माध्यमों के सामने लाया गया| पचास हज़ार टन वज़न का यह युद्धपोत पूर्ण रुप से चिनी बनावट का है, ऐसी जानकारी चीन की मीडिया दे रही है| इस युद्धपोत को जोड़ कर पूरा किया गया होकर, अब यह युद्धपोत समुद्री परीक्षण के लिए रवाना होगा| इसके बाद सन २०२० को यह युद्धपोत चीन के नौसेना में शामिल होगा, ऐसा दावा चीन के विशेषज्ञ कर रहे हैं|

साल भर पहले चीन की नौसेना में कार्यरत हुए ‘लिओनिंग’ इस यूक्रेन की बनावट होनेवाले विमानवाहक युद्धपोत का अभ्यास करके ‘सीव्ही-१७’ इस नए युद्धपोत का निर्माण किया गया| लेकिन ‘लिओनिंग’ की तुलना में चिनी बनावट का युद्धपोत हल्का है, जिसके ‘हँगर’ और ‘डेक’ बड़े होने का दावा चीन के मुखपत्र ने किया है| हँगर में लगभग २८ से ३६ लड़ाकू विमान रह सकते हैं, ऐसा दावा इससे पहले किया गया था| वहीं, ‘डेक’ पर २४ विमानों का काफिला तैनात हो सकता है|

इस युद्धपोत पर ‘जे-१५’ ये चिनी बनावट के लड़ाकू विमान तैनात किए जाएँगे, जिनकी बनावट रशिया के ‘सुखोई-३३’ विमानों के समान है| इसके अलावा १२ हेलिकॉप्टर्स भी चीन का यह दूसरा विमानवाहक युद्धपोत ढो सकता है| प्रतिघंटा ३१ समुद्री मील इतनी गति से यात्रा करनेवाला यह युद्धपोत प्रगत टेक्नोलॉजी से लैस है, ऐसा दावा चीन के सैनिकी विशेषज्ञ कर रहे हैं|

महीनेभर पहले चीन ने अपनी नौसेना का सामर्थ्य बढ़ाने की घोषणा की थी| अगले चार सालों में चीन की नौसेना में २७३ युद्धपोत, विध्वंसक, पनडुब्बियों और जहाजों का काफिला होगा, ऐसा योजना चीन ने रखी थी|

लेकिन सन २०१५ में चीन की नौसेना में कार्यरत हो चुका ‘लिओनिंग’ यह पहला विमानवाहक युद्धपोत अभी भी युद्ध के लिए सक्षम नहीं है, ऐसा दावा अमरिकी विशेषज्ञ कर रहे है| चीन की नौसेना ‘लिओनिंग’ युद्धपोत का इस्तेमाल ‘ट्रेनिंग शिप’ जैसे कर रही है| चीन के नौसैनिक, वैमानिकों को, आनेवाले विमानवाहक युद्धपोत के लिए तैयार करने लिए ‘लिओनिंग’ पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ऐसा दावा अमरिकी विशेषज्ञों ने किया था| इसलिए यह नया विमान वाहक युद्धपोत चीन की नौसेना के लिए महत्त्वपूर्ण होने का दावा किया जाता है|

चीन के मुखपत्र द्वारा ने जारी की गई जानकारी के अनुसार, अपनी नौसेना के लिए छह विमानवाहक युद्धपोतों की ज़रूरत है, ऐसा चीन के सैनिकी विशेषज्ञों का कहना है| साथ ही, चीन दुनियाभर में अपने नौसेना के लिए बेस विकसित करें, ऐसे सुझाव भी इन सैनिकी विशेषज्ञों द्वारा दिए जा रहे हैं| चीन सरकार ने इस बारे में ज़्यादा बोलने से इन्कार किया है| लेकिन कुछ महीनों पहले तैवान के रक्षा मंत्रालय ने जारी की जानकारी के अनुसार, चीन कुल दो विमानवाहक युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है| इनमें से एक विमानवाहक युद्धपोत का चीन ने बुधवार को जलावतरण किया है|

इसलिए चीन ने चुना हुआ समय जानकारों का ध्यान बटौर रहा है| ईस्ट और साऊथ चायना सी क्षेत्र में चीन की आक्रामकता बढ़ रही है, ऐसे में इस क्षेत्र के देशों ने चीन के खिलाफ मोरचा खोला, ऐसा दिखाई दे रहा है| साथ ही, कोरियन क्षेत्र के तनाव की पृष्ठभूमि पर, अमरिकी नौसेना की यहाँ की गतिविधियाँ बढ़ रहीं हैं| ऐसे में, चीन ने अपने विमानवाहक युद्धपोत का जलावतरण करते हुए सामर्थ्य प्रदर्शन की कोशिश की है, ऐसा दिखाई देता है|

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