दलाई लामा के लद्दाख दौरे से चीन की बेचैनी

नई दिल्ली – अमरिकी प्रतिनिधि सदन की सभापति नैन्सी पेलोसी के ताइवान दौरे को पांच दिन बीते हैं। फिर भी चीन अब भी इस मुद्दे पर आग उगल रहा है और ताइवान को खत्म करने के इशारे दे रहा है। बौद्धधर्मियों के धर्मगुरू और तिब्बेती नेता दलाई लामा ने लद्दाख का दौरा किया। यह महज़ संजोग नहीं है बल्कि दलाई लामा का यह दौरा चीन पर दबाव बढ़ाने की भारत की रणनीति का हिस्सा होने का दावा किया जा रहा है।

दलाई लामा लेह-लद्दाख के दौरे पर हैं। पूरा महीना वे इस दौरे पर रहेंगे और लेह से हाल ही में वे लद्दाख पहुँचे। लद्दाख की सीमा पर भारत और चीन के पचास हज़ार से अधिक सैनिक आमने-सामने हैं। यहां का तनाव अब तक खत्म नहीं हुआ है और ऐसी स्थिति में भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर से दलाई लामा लेह से लद्दाख पहुँचे, यह बात ध्यान आकर्षित करती है। पिछले कुछ हफ्तों से चीन इस क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर्स द्वारा उकसानेवाली हरकतें कर रहा है, यह स्पष्ट हुआ था। भारत की हवाई सीमा के करीब उड़ान भरकर चीन के लड़ाकू विमानों ने भारत की तैयारी को परखा, यह दावे भी किए जा रहे हैं।

लेकिन, इस क्षेत्र में सज्जित भारतीय वायुसेना के विमानों ने चीनी विमानों की गतिविधियों के तुरंत बाद हरकत की। भारतीय वायुसेना के इस न्यूनतम समय में देखे गए रिस्पान्स की वजह से चीन बेचैन हुआ, यह जानकारी भी सामने आयी है। इसके बाद चीन ने भारत की वायुसेना लद्दाख के एलएसी पर खतरनाक हरकतें कर रही है, ऐसी शिकायत दर्ज़ की थी। इससे कोई हादसा हो सकता था, ऐसी चेतावनी भी चीन ने दी थी। यदि इस हादसे को टालना हो तो दोनों देशों की वायुसेनाओं में ‘हॉटलाईन’ स्थापित करके इससे संवाद करने का प्रस्ताव भारत ने चीन को दिया था।

फिलहाल भारत के इस प्रस्ताव को मंजूर किए बिना चीन के पास अन्य विकल्प ना होने की बात दिखती है। लद्दाख के क्षेत्र के करीब स्थित तिब्बत में चीन ने भारी मात्रा में अपनी वायुसेना के विमान, हेलीकॉप्टर्स एवं राड़ार यंत्रणा तैनात की है। लेकिन, चीन कितनी भी कोशिश कर ले फिर भी इस क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमता चीन से कई गुना अधिक है और चीन इस मोर्चे पर भारत को परास्त नहीं कर सकता, ऐसा सैन्य विश्लेषकों का कहना है। वायुसेना अपनी इस क्षमता का समय-समय पर चीन को अहसास करा रही है और इस क्षेत्र में वर्चस्व बनाए हुए है।

लद्दाख की गलवान घाटी में संघर्ष के बाद वायुसेना ने इस क्षेत्र में चीन की वायुसेना को प्रवेश करने का अवसर भी नहीं मिलेगा इसका पूरा ध्यान रखा था। इस हवाई क्षेत्र में वर्चस्व बनाए रखने का निर्णय वायुसेना की सावधानी का हिस्सा है। ऐसी स्थिति में वायुसेना के हेलीकॉप्टर से दलाई लामा को लेह से लद्दाख पहुँचाया गया और यह बात चीन को काफी चुभती होगी। पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद चीन का पूरा ध्यान ताइवान पर केंद्रीत है। इसका लाभ उठाकर भारत ने दलाई लामा की लद्दाख यात्रा का आयोजन करके चीन को और एक झटका देने का दावा किया जा रहा है। मौजूदा स्थिति में चीन इस पर तीखी प्रतिक्रिया देकर नया मोर्चा खोलने की स्थिति में नहीं है, इस बात को ध्यान में रखकर भारत ने यह खेल खेला, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

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