लद्दाख की एलएसी पर बना खतरा टला, लेकिन खत्म नहीं हुआ है – लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे

नई दिल्ली – ‘लद्दाख की एलएसी पर तनाव अभी भी पूरी तरह मिटा नहीं है। जब तक भारत और चीन की सेनाएँ सन २०२० के अप्रैल महीने से पहले की स्थिति में नहीं जातीं, तब तक यहाँ सब कुछ अलबेल हुआ है, ऐसा दावा नहीं किया जा सकता’, ऐसा लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने डटकर कहा। लेकिन देश का एक इंच का भूभाग भी चीन के कब्जे में नहीं है, ऐसा बताकर जनरल नरवणे ने इस मामले में देश को आश्वस्त किया। उसी समय, फिलीपीन्स जैसे छोटे देश के सागरी क्षेत्र में दो सौ से भी अधिक जहाज़ों की घुसपैठ करवानेवाला चीन, एकतरफ़ा कार्रवाई करके सीमा में बदलाव करने की कोशिश बार-बार कर रहा है, इसपर भी लष्करप्रमुख ने गौर फरमाया। इसके द्वारा जनरल नरवणे ने यही संदेश दिया कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

Army-Chiefएक प्राइवेट चैनल में आयोजित किए कार्यक्रम में बात करते समय जनरल नरवणे ने, लद्दाख की एलएसी पर के हालात और भारत-चीन सीमाविवाद के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी दी। लद्दाख की एलएसी पर तनाव यकीनन ही कम हुआ है। यहाँ से सेनावापसी की प्रक्रिया शुरू हुई है। लेकिन यह प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं हुई है। जब तक दोनों देशों की सेनाएँ सन २०२० के अप्रैल महीने से पहले की स्थिति में नहीं जातीं, तब तक यहाँ का तनाव पूरी तरह मिटा होने का दावा नहीं किया जा सकता। यहाँ का तनाव टला है, लेकिन खत्म नहीं हुआ है, ऐसा लष्करप्रमुख ने जताया है। भारत चीन के साथ लष्करी तथा राजनीतिक स्तर पर चर्चा कर रहा होकर, हर एक स्तर पर की चर्चा में भारत इसी माँग पर ज़ोर दे रहा है, ऐसा लष्करप्रमुख ने स्पष्ट किया।

ऐसा होने के बावजूद भी लद्दाख की एलएसी पर की भारत की भूमि चीन के कब्जे में नहीं है, ऐसा लष्करप्रमुख ने डटकर कहा। लेकिन चीन के साथ होनेवाली सीमा सटीकता से रेखांकित नहीं हुई है, जिससे कि इस मामले से बहुत बड़ी अस्पष्टता है, इसका एहसास भी जनरल नरवणे करा दिया। उसी समय, भारत चीन पर भरोसा नहीं कर सकता, ऐसा संदेश जनरल नरवणे ने इस समय दिया। फिलीपीन्स के सागरी क्षेत्र में चीन ने अपने दो सौ से भी अधिक जहाज भेजकर घुसपैठ की है। अपनी तुलना में बहुत ही छोटे होनेवाले देशों के विरोध में ऐसी घुसपैठ करके उन्हें ज़मीनदोस्त करने की चीन की कोशिश रहती है, इसपर जनरल नरवणे ने गौर फरमाया।

ऐसी एकतरफ़ा हरकतें करके सीमा में बदलाव करने की चीन की नीति, आत्मसम्मान रहनेवाला कोई भी देश बर्दाश्त नहीं करेगा। सभी देशों को चीन की ऐसी आक्रमक हरकतों के खतरे का अहसास हुआ है और वे उसके विरोध में एकजुट कर रहे हैं, ऐसा सूचक बयान जनरल नरवणे ने इस समय किया। लेकिन भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इनका ‘क्वाड’ संगठन चीन अथवा अन्य किसी भी देश के विरोध में ना होने का यकीन लष्कर प्रमुख ने दिलाया।

इसी बीच, कश्मीर की नियंत्रण रेखा पर फिलहाल शांति होकर, यहाँ की गोलीबारी रुकी है, ऐसा बताकर जनरल नरवणे ने इसका स्वागत किया। लेकिन हालाँकि गोलीबारी शुरू नहीं है, फिर भी पाकिस्तान ने कश्मीर की एलओसी के उस पार होनेवाले आतंकवादियों के अड्डे बरकरार रखे हैं, ऐसा जनरल नरवणे ने कहा। इन दिनों पाकिस्तान की अवस्था बहुत खराब बनी है। एफएटीएफ की कार्रवाई के डर से पाकिस्तान को घेर रखा है। उसी समय, अंदरूनी तौर पर भी पाकिस्तान को बहुत बड़ी चुनौतियाँ मिल रहीं हैं। इस कारण पाकिस्तान को भारत के साथ चर्चा करने का फैसला करना पड़ा, ऐसा लष्करप्रमुख ने स्पष्ट शब्दों में बताया।

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