‘डोकलाम’ के बाद अब तिबेट मे चीन के लष्करी सज्जता मे बढ़त – भारत की चिंता बढ़ी

नई दिल्ली: ‘डोकलाम’ के बाद चीन ने तिबेट में बड़ी तादाद में लष्कर की तैनाती बढ़ाने की बात सामने आई है। चीन के इस तैनाती की वजह से भारत के सामने चिंता बढ़ी है और चीन ने तिबेट में शुरु किए इन गतिविधियों पर भारतीय यंत्रणा बारीकी से नजर रखे हुए हैं। चीन ने तिबेट में शुरु किए लष्करी गतिविधियाँ चेतावनी खोर होकर भारत ने भी इन गतिविधियों को उत्तर देने की तैयारी शुरू करने का वक्त है।

पिछले वर्ष ‘डोकलाम’ में भारत एवं चीन का लष्कर ७३ दिन तक एक दूसरों के सामने खडा था। उसके बाद भारत एवं चीन ने अपनी सेना कुछ अंतर तक पीछे ली थी। पर कई दिनों से सामने आ रही गोपनीय जानकारी एवं उपग्रह ने दिए छायाचित्र के अनुसार भारत-चीन की सेना जिस भाग में खड़ी थी, वहां कुछ ही अंतर पर चीन ने लष्कर की तैनाती बढ़ने का चित्र स्पष्ट हुआ है। इस भाग में चीन ने लष्कर के लिए दो मंजिला इमारत एवं अन्य मूलभूत सुविधा भी निर्माण किया है। डोकलाम के विवाद भूमि में चीनी सेना अभी भी तैनात होने की बात कहकर चीन सामर्थ्यशाली देश हुआ, तो भारत भी कमजोर नहीं, ऐसा इशारा कुछ दिनों पहले भारतीय लष्कर प्रमुख बिपिन रावत ने चीन को दिया था। इस पर चीन की प्रतिक्रिया उमड़ी थी।

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पड़ोसी एवं सहयोगी देश के तौर पर भारत का महत्व चीन के लिए अधिक है। पर सार्वभौमत्व के मुद्दे पर चीन कायम होने की बात शनिवार कोचिंग के विदेश मंत्री वैंग ई ने कही थी। वैंग ई का रुख ‘डोकलाम’ के भाग की तरफ था। ‘डोकलाम’ से चीन भारत को अब तक चेतावनी दे रहा है और भारतीय सीमा के पास तिबेट में चीन ने लष्कर की सज्जता बढ़ाने की बात सामने आई है।

गुप्तचर यंत्रणा के रिपोर्ट के अनुसार चीन ने तिबेट में अपने सेना की संख्या में बढाई है तथा पिछले कई दिनों में लड़ाकू विमानों ने की तैनाती बड़ी तादाद में बढ़ने की बात गुप्तचर यंत्रणा के रिपोर्ट में है। तिबेट में अपने वायु सेना के विभिन्न तलों पर चीन ने लड़ाकू विमानों की संख्या ३० प्रतिशत बढ़ाने की बात इस रिपोर्ट में कही है।

पिछले ३ हफ्ते में तिबेट में तैनात होनेवाले चीन के लड़ाकू विमानों की संख्या ५१ तक पहुंची है। ‘ल्हासा गोंगका’ के तल पर चीन ने आठ लड़ाकू विमानों के साथ २२ ‘एमआई-१७’ हेलीकॉप्टर और ‘ॲवॅक’ विमान तैनात किए हैं। जमीन से जमीन पर हमला करने वाली मिसाइल भी तैनात किये है।

उसके सिवाय ‘रिकाझा’ तल पर चीन ने १८ लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। जिस पर चार ‘जे-१०’ विमान, चार ‘जेएच-७’ एवं दस ‘जे-११’ लड़ाकू विमानों का समावेश है। उसके सिवाय, ग्यारह ‘एम्आय-१७’ हेलिकोप्टर के साथ ‘ड्रोन्स’ भी चीन के बेड़े मे शामिल होने की जानकारी है।

‘कशी’ इस तल पर आठ ‘जेएच-७’ और चार ‘जे-११’ ऐसे १२ लड़ाकू विमान दिखाई दे रहे हैं। उसके सिवाय इस प्रान्त मे अधिक लड़ाकू विमान दिखाई दे रहे है। सिक्किम से जुड़े चीन के भाग में भी चीन ने लड़ाकू विमानों की तैनाती बढ़ाने का रिपोर्ट है।

विशेष रूप से चीन ने तैनाती ठंड में बढ़ाई है। इस समय में वहां प्रतिकूल वातावरण होता है। इसके लिए विमानों का उड़ान करना संभव नहीं होता। पर ऐसे होते हुए भी चीन ने तिबेट प्रांत में लष्करी सज्जता के वजह से अनेक प्रश्न उपस्थित हो रहे हैं। भारत के लिए यह चिंता की बात है। पर भारतीय वायुसेना ने और लष्कर ने भी ऐसी परिस्थिति मे चीन को जवाब देने की तैयारी शुरू की है। चीन के तिबेट में इस तैनाती के पृष्ठभूमि पर, भारतीय वायुसेना ने भी चीन सीमा के पास प्रमुख तल सज्ज करना शुरूआत किया है। आने वाले समय में इस भाग में भारतीय वायुसेना से नियमित युद्धाभ्यास और आवश्यक रक्षात्मक कार्रवाई शुरू होगी, ऐसा कहा जा रहा है।

 

रक्षा मंत्री सीतारामन इनकार लद्दाख में के सीमा भाग में दौरा
जम्मू: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने लद्दाख में चीन-भारत सीमा पर ‘दौलत बेग ओल्डी’ डीबीओ भाग में भारतीय चौकियों को भेंट दी है। दौलत बेग ओल्डी के सीमा भाग का दौरा करने वाले वह पहली रक्षामंत्री ठहरी है। लद्दाख के सीमा भाग में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की घटना लगातार हो रही है। पिछले वर्ष ‘डोकलाम’ विवाद शुरू होते समय स्वतंत्रता दिन के अवसर पर चीनी सैनिकों ने इस भाग में घुसपैठ करने का प्रयत्न किया था। भारतीय लष्कर ने यह प्रयत्न उधेडा है। उसके बाद चीन ने ‘डोकलाम’ में फिर से लष्कर सज्जता बढ़ाने की खबर आ रही थी। उस समय चीन ने तिबेट में सेना तैनाती बढ़ाने का वृत्त सामने आया था। रक्षामंत्री निर्मला सीतारामन ने ‘फॉरवर्ड पोस्ट’ की तात्कालिक भेंट को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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शनिवार को रक्षामंत्री सीतारामन ने लद्दाख में ‘डीबीओ’ और चुशूल इन दोनों सेक्टर में सीमा चौकियों के भेंट देने की जानकारी लष्कर के प्रवक्ता ने दी है। उस समय रक्षामंत्री ने वहां तैनात लष्कर के जवानों के साथ सम्मान भी किया था। लष्कर के नॉर्दर्न कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अंबू उस समय रक्षामंत्री सीतारामन इनके साथ थे। फिलहाल लदाख क्षेत्र में बहुत बर्फबारी हो रही है और ऐसे प्रतिकूल परिस्थिति में भारतीय वायुसेना का रक्षण करने वाले जवानों की प्रशंसा की है। इसकी वजह से सैनिकों का मनोबल बढ़ा है, ऐसा लष्कर के प्रवक्ता ने कहा है।‘डीबीओ’ भाग रचनात्मक रुप से भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सन २०१३ में चीन के ५० सैनिकों ने ‘डीबीओ’ में भारतीय सीमा में लगभग ३० किलोमीटर के अंदर आकर घुसपैठ करके, ३ हफ्तो तक अपना तंबू ठोका था।

‘डोकलाम’ के बाद भारत और चीन सीमा विवाद अधिक बिगड़ा है। चीन ‘डोकलाम’ के बाद दोनों देशों की सीमा पर अन्य क्षेत्र में भी, ऐसे ही घुसपैठ का प्रयत्न कर सकता है, ऐसे इशारे तज्ञो से दिए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर संपूर्ण भारत-चीन सीमा पर दक्षता बरतने की आवश्यकता है। तथा बड़ी तादाद में मूलभूत सुविधा निर्माण की जा रही है, ऐसे सीमा पर तैनात लष्कर के जवानों को आवश्यक साधन प्रदान हो रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर रक्षामंत्री चीन सीमा भाग का दौरा करके सीमा पर तैनात सैनिकों का मनोबल बढ़ाने का काम कर रही है। पिछले ३ महीने में रक्षा मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में ‘फॉरवर्ड पोस्ट’ को भेज दी है। उसके बाद में प्रमुख सीमा चौकियों को भेंट महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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