लद्दाख की सीमा पर वायुसेना की गतिविधियों में बढ़ोतरी

नई दिल्ली – लद्दाख की सीमा पर भारतीय वायुसेना के ‘सुखोई-30 एमकेआय’, ‘मिग 29’ इन लड़ाकू विमानों के साथ अपाचे हेलिकॉप्टर्स गश्‍त कर रहे हैं और भारी सामान की यातायात करनेवाले ‘सी-17’ और ‘आयएल-76’ विमान भी भारतीय सैनिकों को आवश्‍यक सामान जलद गति से पहुँचा रहे हैं। दोनों देशों के बीच तनाव में बढ़ोतरी होगी, ऐसी गतिविधियाँ कोई भी ना करें, ऐसा आवाहन चीन लगातार कर रहा है। लेकिन इस बार, चीन के बिना शर्त पीछे हटने के अलावा दूसरा कोई भी समझौता नहीं करेंगे, ऐसी कड़ी चेतावनी भारत दे रहा है। भारत की आक्रामकता देखकर, चीन जितने समय तक भारतीय सीमा के करीबी इलाके में तैनाती कायम रखेगा, उतनी ही मात्रा में चीन को बेइज़्ज़ती सहनी पड़ेगी, ऐसें दावे भारत के पूर्व अधिकारी एवं विश्‍लेषक करने लगे हैं।

लद्दाख की सीमा

गलवान वैली में हुए संघर्ष के बाद चीन ने अपने सरहदी क्षेत्र में लड़ाकू विमानों की गतिविधियाँ शुरू की थीं। इसके ज़रिये युद्ध की शुरुआत होगी, यह धमकी देने की कोशिश चीन ने की थी। इसके बाद भारत ने चीन से सटे सभी सरहदी क्षेत्रों में स्थित अपने हवाई अड्डें कार्यरत किए हैं। पिछले कुछ दिनों से लद्दाख के क्षेत्र में भारतीय वायुसेना ने अपनी गतिविधियों में बड़ी मात्रा में बढ़ोतरी की है। शनिवार के दिन वायुसेना की इन गतिविधियों में काफ़ी ज़्यादा बढ़ोतरी देखीं गई है, यह बात कई माध्यमों ने दर्ज़ की है। वायुसेना के विमान और संसाधन यहाँ की सीमा पर तैनात किए गए हैं और किसी भी स्थिति का मुक़ाबला करने के लिए हम तैयार हैं, यह बयान वायुसेना के विंग कमांडर ने किया है। इसी बीच, पैन्गॉन्ग त्सो लेक में नौसेना के स्पीड़बोटस्‌ तैनात किए जा रहे हैं। भारत की यह तैयारी चीन की चिंता में बढ़ोतरी कर रही है, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

पहले के दौर में भारत को धमकानेवाला और सीमा विवाद में अड़ियल भूमिका अपनानेवाला चीन, अब सीमा पर तनाव में बढ़ोतरी ना करें, ऐसा आवाहन भारत से कर रहा है। साथ ही, द्विपक्षीय सहयोग दोनों देशों के हित में है, इसका एहसास भी चीन को अब इस उपलक्ष्य में होता हुआ दिखाई देने लगा है। ऐसा होते हुए भी चीन सरहदी क्षेत्र से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन जितने समय तक चीन सीमा से पीछे नहीं हटेगा, उतनी ही अधिक मात्रा में चीन को यहाँ पर बेइज़्ज़ती सहनी होगी, यह चेतावनी भारतीय विश्‍लेषक दे रहे हैं। चिनी सेना के क़ायराना हमले में भारत के २० सैनिक शहीद होने के बाद गुस्सा हुए भारत ने, चीन के विरोध में शुरू की हुईं लष्करी, आर्थिक एवं राजनीतिक मोरचों की गतिविधियों को आंतर्राष्ट्रीय समुदाय सक्रिय समर्थन दे रहा है। यह बात चीन को और भी बेचैन करनेवाली साबित हो रही है।

यह सीमा विवाद और उससे शुरू होनेवाला संघर्ष केवल इस क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र तक इसका प्रभाव दिखाई देगा, यह संदेशा भारत ने अलग अलग मार्ग से चीन तक पहुँचाया है। अंड़मान-निकोबार द्विपों पर भारतीय नौसेना अधिक से अधिक तैनाती बढ़ा रही है, ऐसीं ख़बरें भी प्रसिद्ध हुईं हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में बड़ी संख्या में चीन के जहाज़ मौजूद होने की ख़बरें प्राप्त होते समय, भारतीय नौसेना से हो रही यह तैनाती ध्यान आकर्षित कर रही है। इस पृष्ठभूमि पर, लद्दाख के सीमा क्षेत्र में भारत पर हावी होने का विचार छोड़कर चीन वहाँ से बिना शर्त पीछे हटें, ऐसी स्पष्ट सलाह भारतीय विश्‍लेषक चीन को देने लगे हैं। वहीं, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के लिए, भारत के साथ बना यह सीमा विवाद अब प्रतिष्ठा का मुद्दा बना है, यह बात चीन के विश्‍लेषक भी स्वीकारने लगे हैं। इसके ज़रिये इस सीमा विवाद का चीन की अंतर्गत राजनीति पर भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ रहा है, यह बात भी चीन के विश्‍लेषक स्वीकार कर रहे हैं।

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