भारत और चीन शांति से वार्ता करके सीमा विवाद का हल निकाले – बौद्ध धर्मगुरू और तिब्बती नेता दलाई लामा का आवाहन

लेह – सैन्य ताकत का प्रयोग करने की नीति अब गतकालिक हो चुकी है। इसे ध्यान में रखते हुए भारत और चीन अपने सीमा विवाद का हल शांति से चर्चा के जरिए निकालें, ऐसा आवाहन बौद्धधर्मगुरू और तिब्बती नेता दलाई लामा ने किया है। लेह-लदाख की यात्रा कर रहे लामा का यह आवाहन चीन को मिर्च लगानेवाला साबित हो सकता है। कुछ ही दिन पहले जन्मदिवस के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री ने सम्माननीय दलाई लामा को फोन करके शुभकामनाएं प्रदान कीं। इस पर भी चीन ने आपत्ति जताई थी। इसलिए उनकी लेह-लद्दाख यात्रा और शांति के साथ बातचीत करने का आवाहन भी चीन को बेचैन कर सकता है।

१७ जुलाई को लद्दाख के एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों में चर्चा होगी। दोनों देशों के सेना अधिकारियों की यह १६वें दौर की चर्चा है। पहले की हुई चर्चाओं से ज्यादा कुछ हाथ नहीं लगा है, ऐसे में अगली चर्चा से भी कुछ ज्यादा हासिल होने की संभावना नहीं है। भारत की माँग के अनुसार चीन की सेना एलएसी के करीबी क्षेत्र से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। जब तक चीन की सेना यहां से पीछे हटकर लद्दाख के एलएसी पर यथास्थिति स्थापित नहीं करती तब तक दोनों देशों के संबंधों में सुधार आना मुमकिन नहीं है, इसका अहसास भारत चीन को दिला रहा है।

इसके साथ ही चीन के लिए सैन्य ताकत का इस्तेमाल करके एलएसी की स्थिति बदलना मुमकिन नहीं  है, यह इशारा भारत लगातार दे रहा है। भारत के रक्षामंत्री और विदेशमंत्री चीन को इसी मुद्दे पर कड़ी चेतावनी दे रहे हैं। पिछले हफ्ते इंडोनेशिया में हुई ‘जी २०’ की बैठक में भी विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने चीन के विदेशमंत्री वैंग ई को लद्दाख के एलएसी के मुद्दे पर इशारा दिया था कि, चीन ने सेना पीछे हटाए बिना दोनों देशों के संबंधों में सुधार नहीं होगा। इस पृष्ठभूमि पर दलाई लामा ने भारत और चीन को सैन्य ताकत का इस्तेमाल करने की नीति अब गतकालिक हो चुकी है, यह कहकर बातचीत से सीमा विवाद का हल निकालने की सलाह दी है।

उनकी यह सलाह दोनों देशों को उद्देशित करती है, फिर भी इस पर चीन आपत्ति दर्ज़ कर सकता है। दलाई लामा का इस्तेमाल करके भारत तिब्बत का मुद्दा उठा रहा है, ऐसी आलोचना चीन कर रहा है। चीन से तिब्बत को आज़ाद करने की अलगाववादी गतिविधियों के नेता के तौर पर चीन दलाई लामा को शुरु से ही आशंका से देखता आया है। लेकिन, हम तिब्बत के आज़ादी की नहीं, बल्कि सच्चे मायने में स्वायत्तता की मांग करते हैं, ऐसा कहकर दलाई लामा ने अपने लेह दौरे में चीन के आरोपों का जवाब दिया। चीन तिब्बती बौद्ध धर्म की संस्कृति का संवर्धन करने की गारंटी दे, केवल इतनी ही हमारी माँग है, ऐसा दलाई लामा ने कहा।

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