तैवान पर हमला किया तो चीन को जान-माल का बडा नुकसान उठाना होगा – अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरतैपेई – अमरिका और तैवान के बीच बने लष्करी सहयोग से बेचैन हुआ चीन तैवान पर हमला कर सकता है| तैवान की सीमा में चीन की युद्धपोत और लडाकू विमानों की घुसपैठ करने की तादाद बढ रही है| चीन के सेना अधिकारी तैवान पर कब्जा करने की धमकियां दे रहे है| लेकिन, चीन ने ऐसा किया तो उसके बाद शुरू होनेवाले संघर्ष में चीन की सेना को बडा नुकसान भूगतना होगा, यह दावा अमरिकी विश्‍लेषक ने किया है|

मध्य एशिया और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की गतिविधियों पर बारिकी से नजर रख रहे ‘प्रोजेक्ट २०४९ इन्स्टिट्युट’ इस अमरिकी अभ्यासगुट के वरिष्ठ विश्‍लेषक इयन इस्टन ने एक पुस्तक में तैवान को लेकर चीन को इशारा दिया है| लष्करी तुलना में चीन तैवान से काफी आगे है| दुनिया की सबसे बडी सेना चीन ने बनाई है| ३३ युद्धपोत, १,५०० लडाकू विमान और छह हजार टैंक चीन की बेडे में तैनात है| इस तुलना में तैवान की रक्षादल में चार विध्वंसक, ३५० लडाकू विमान और ८०० टैंक है, इस फरक की ओर इस्टन ने ध्यान केंद्रीत किया है|

शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता संभालने के बाद लष्करी खर्च में बढोतरी की है| इस लष्करी सामर्थ्य के बल पर चीन तैवान पर कब्जा करें, यह मांग चीन के सेनाअधिकारी एवं विश्‍लेषक कर रहे है| तैवान में आजादी के समर्थकों को झटका देने के लिए चीन की लष्करी कार्रवाई जरूरी होने के इशारे चीन के नेताओं ने दिए थे| इस तैवानविरोधी आक्रामकता के लिए चीन के माध्यम अहम भूमिका निभा रहे है, यह दावा इस्टन ने किया| लेकिन, तैवान पर हमला करना चीन को बडी किमत चुकानेवाला साबित हो सकता है, यह इशारा इस्टन ने दिया है|

सबसे बडी सेना चीन ने रखी है, फिर भी तैवान की सेना चीन से अधिक प्रशिक्षित है| अमरिका के लष्करी विश्‍लेषकों से तैवान की सेना ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है, इसका एहसास इस्टन ने ‘द चाइनिज इन्वेशन थ्रेट’ इस अपने पुस्तक से दिलाया है| साथ ही भौगोलिक नजरिए से तैवान चारों दिशा में पानी से घिरा दिख रहा है, फिर भी लष्करी नजरिए से इस देश पर कब्जा करना चीन के लिए कठीन होगा, यह इशारा इस्टन ने दिया है|

पिछले सात दशकों से चीन तैवान पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है| इसके लिए चीन ने ‘जॉईंट आयलैंड अटैक कैम्पेन’ मुहीम भी बनाई है| इसके तहेत तैवान के बंदरगाह, हवाईअड्डे और अहम जगहों पर हवाई हमलें करने का प्लैन चीन ने बनाया है| हवाई हमलें करके तैवान की सेना तबाह करके घुसपैठ करने का चीन ने प्लैन किया है, ऐसा इस्टन और रॉयल युनायटेड सर्व्हिसेस इन्स्टिट्युट फॉर डिफेन्स ऍण्ड सिक्युरिटी स्टडिज्’ इस अभ्यासगुट के विश्‍लेषक सिद्धार्थ कौशल ने कहा|

लेकिन, चीन की लष्करी अधिकारियों की समझ के नुसार तैवान पर कब्जा करना आसान नही है, यह दावा इस्टन ने किया| जीस क्षण चीन के सैनिक तैवान में कदम रखेंगे, उस क्षण से चीन को बडा जान-माल का नुकसान उठाना होगा| तैवान की राजधानी और अन्य प्रमुख शहर पहाडी क्षेत्र में है और इस क्षेत्र में युद्ध करने में तैवान की सेना आगे है| इस प्रकार के युद्ध में चीन की सेना को जान-माल का बडा नुकसान उठाना होगा, मुमकिन है| साथ ही चीन ने तैवान पर हमला किया तो अपने मित्रदेश की सुरक्षा के लिए अमरिका इस युद्ध में चीन के विरोध में उतर सकती है| साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चीन की इस हरकत पर कडी प्रतिक्रिया दर्ज कर सकता है| इस वजह से जागतिक स्तर पर चीन अकेला हो जाएगा, यह दावा इस्टन और अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषकों ने किया है| इस वजह से तैवान के बारे में चीन लष्करी आक्रामकता ना दिखाए, यह सुझाव इस्टन ने रखा है|

इस दौरान, चीन को शिकस्त देनी है तो अमरिका ने तैवान को बतौर आजाद देश घोषित करना होगा, ऐसा इयन इस्टन ने कुछ सप्ताह पहले ही कहा था| अमरिका की ‘इंडो-पैसिफिक’ लष्करी कमांड ने भी अपने रपट में तैवान यह अमरिका का मित्रदेश होने का जिक्र किया था| हवाई द्विपों पर हुई ‘इंडो-पैसिफिक’ देशों की बैठक में तैवान के लष्करी अधिकारी भी उपस्थित थे?और तैवान मरिन्स का स्वतंत्र झंडा लगाकर इस दौरान तैवान के साथ शुरू सहयोग रेखांकित किया गया था|

चीन की ‘लिओनिंग’ ने किया तैवान की सीमा से सफर 

चीन की विमानवाहक युद्धपोत लिओनिग ने तैवान की समुद्री क्षेत्र से सफर किया है, यह आरोप तैवान के रक्षा मंत्रालय ने किया है| चीन की युद्धपोत ने किए इस सफर पर अपनी सेना कडी नजर रखकर है, यह भी तैवान के रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया| चीन के युद्धपोत औड़ लडाकू विमानों ने तैवान की सीमा में घुसपैठ करने की तादाद बढ रही है|

ऐसे में ‘लिओनिंग’ और उसके साथ चीन की पांच विध्वंसकों ने मंगलवार के दिन तैवान की खाडी से सफर किया है, यह जानकारी तैवान के रक्षा मंत्रालय ने घोषित की| ‘साउथ चाइना सी’ के समुद्री क्षेत्र में सफलत करते समय इन युद्धपोतों ने अपनी सीमा में घुसपैठ की, यह आरोप तैवान के रक्षा मंत्रालय ने किया है| चीन की इन युद्धपोतों की हरएक हरकतों पर अपनी सेना एवं गुप्तचर नजर रखकर है, ऐसा तैवान ने स्पष्ट किया|

तैवान यह अपना ही सार्वभूम हिस्सा होने का दावा चीन करता रहा है| इस वजह से अपनी युद्धपोतों ने तैवान के समुद्री क्षेत्र से सफर करने में कुछ भी लगत नही है, ऐसा चीन का कहना है| लेकिन, चीन की इस आक्रामक समुद्री गतिविधियों पर तैवान और अमरिका ने आपत्ति जताई है| इससे पहले ११ जून के दिन ‘लिओनिंग’ ने जापान की समुद्री सीमा के निकट से सफर किया था|

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