‘डीआर कांगो’ में शुरू वांशिक संघर्ष की वजह से हजारों शरणार्थी युगांडा जा पहुंचे

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकंपाला – अफ्रीका के ‘डीआर कांगो’ में वांशिक संघर्ष शुरू है और पिछले १५ दिनों में १५० से अधिक लोग इस संघर्ष में मारे गए है| इस संघर्ष के दौरान पडोसी देशों पर भी दबाव बनना शुरू हुआ है| ‘डीआर कांगो’ के इस हिंसा में लगभग सात हजार से भी अधिक शरणार्थी युगांडा में पहुंचे है| अगले कुछ दिनों में यह संख्या बडी मात्रा में बढ सकती है, यह इशारा भी संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दिया है|

‘डीआर कांगो’ में फिलहाल ‘एबोला’ जैसी खतरनाक बिमारी का फैलाव शुरू है और इस बिमारी ने अबतक २ हजार से भी अधिक लोगों की जान ली है| साथ ही देश के पूर्वीय हिस्से में इतुरी प्रांत में वांशिक संघर्ष तीव्र हो रहा है| स्थानिय किसान और कबीले के हथियारी गुटों में अभी भी संघर्ष शुरू होने की जानकारी सूत्रों ने दी| इस संघर्ष को कई दशकों की पृष्ठभूमि है, फिर भी पिछले दो महीनों में हिंसा और भी भडकने की बात सामने आयी है|

‘डीआर कांगो’ में शुरू इस वांशिक संघर्ष में पिछले १५ दिनों में १६० लोग मारे गए है, यह जानकारी सुरक्षा यंत्रणा ने दी| ‘डीआर कांगो’ सरकार ने की हुई लष्करी तैनाती के बावजूद हिंसा में कमी नही हुई है और बल्कि हररोज हथियारी बागी गुटों से खूनखराबा होने की जानकारी सामने आ रही है| इस संघर्ष की वजह से डीआर कांगो के नागरिक पडोसी देश युगांडा में बडी मात्रा में स्थलांतरण कर रहे है|

जून महीने के पहले तीन हफ्तों में ‘डीआर कांगो’ से करीबन ७,५०० नागरिकों ने युगांडा में पनाह पायी है| हररोज कम से कम ३०० नागरिक युगांडा पहुंच रहे है और शरणार्थियों की संख्या १० हजार से भी अधिक होने का दावा सूत्रों से किया गया है| इन शरणार्थियों के साथ ही ‘एबोला’ जैसी खतरनाक बिमारी की महामारी भी युगांडा में फैल सकती है, यह इशारा जागतिक आरोग्य संगठन ने दिया है| इस वजह से युगांडा में शरणार्थियों की समस्या और भी गंभीर होगी, यह समझा जा रहा है|

इसी पृष्ठभूमि पर संयुक्त राष्ट्रसंघ ने डीआर कांगो पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है| इन प्रतिबंधों की वजह से दुनिया में किसी भी देश को डीआर कांगो के हथियारी गुटों को शस्त्र की बिक्री करना मुमकिन नही रहेगा और इस वजह से वांशिक संघर्ष कम होगा, यह दावा संयुक्त राष्ट्रसंघ ने किया है|

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