‘हुवेई’ के माध्यम से चीन की अमरिकी परमाणु हथियारों की जासूसी

वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत के साथ संबंध रखनवाली शीर्ष ‘हुवेई’ कंपनी ने अमरिकी परमाणु हथियारों की जासूसी करने की कोशिश की, ऐसा दावा अमरीका के प्रमुख समाचार चैनल ‘सीएनएन’ ने किया है। अमरिकी जाँच यंत्रणा ‘फेडरल ब्युरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन’ (एफबीआई) से यह जानकारी सामने आने की बात ‘सीएनएन’ ने अपने वृत्त में स्पष्ट की। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा के कार्यकाल में इसकी शुरूआत हुई होगी, यह भी इस खबर में कहा गया है।

अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के दौरान चीन के विरोध में आक्रामक भूमिक अपनाकर कार्रवाई शुरू की थी। ट्रम्प ने साल २०१९ में अमरीका में मौजूद चीनी दूरसंचार कंपनियों की यंत्रणा हटाने के लिए तकरीबन दो अरब डॉलर्स की निधि मंज़ूर की थी। इसमें चीन की प्रमुख दूरसंचार ‘हुवेई’ और ‘ज़ेडटीई’ कंपनियों का समावेश था। इसके अलावा ‘चायना टेलिकॉम’ और ड्रोन एवं सिक्युरिटी कैमेरे तैयार करनेवाली कंपनियों को भी ‘ब्लैक लिस्ट’ किया गया था। लेकिन, नए राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के कार्यकाल में चीन विरोधि कार्रवाई की गति कम हुई थी।

इस पृष्ठभूमि पर ‘सीएनएन’ जैसे प्रमुख समाचार चैनल ने साझा की हुई जानकारी सनसनी फैला रही है। ‘सीएनएन’ की खबर में अमरीका के मोन्टाना, व्योमिंग और नेब्रास्का प्रांतों के परमाणु अड्डों का ज़िक्र है। इन अड्डों के करीब हुवेई की तकनीक का इस्तेमाल करके ‘सेल टॉवर्स’ लगाए गए हैं। इन ‘टॉवर्स’ में अमरिकी परमाणु हथियारों की ज़िम्मेदारी संभाल रही ‘यूएस स्ट्रैटेजिक कमांड’ के ठिकानों के संवेदनशील बातचीत और संदेश पकड़ने की क्षमता है, ऐसा दावा ‘एफबीआई’ समेत अन्य यंत्रणाओं ने किया है।

चीनी कंपनियों ने इससे संबंधित दावे ठुकराए हैं और हमारी तकनीक अमरिकी प्रशासन के निकषों के अनुसार है, यह खुलासा भी किया है। लेकिन, चीन के इस खुलासे पर अमरिकी जाँच एजेन्सीज्‌‍ ने भरोसा नहीं किया क्योंकि, कुछ दिन पहले ‘एफबीआई’ के प्रमुख ने ब्रिटेन में आयोजित एक वार्तापरिषद के दौरान चीनी जासूसी के बढ़ते दायरे की ओर पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया था।

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