सुरक्षापरिषद की कार्रवाई को रोकते हुए चीन द्वारा ‘अझहर’ का फिर एक बार बचाव

नवी दिल्ली, दि. ३० : ‘जैश-ए-मोहम्मद’ इस आतंकी संगठन का सरगना ‘मौलाना मसूद अझहर’ पर की सुरक्षापरिषद की कार्रवाई पर चीन द्वारा फिर से रोक लगा दी गयी है| तक़नीक़ी कारण आगे करते हुए चीन ने, ‘अझहर’ पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव आगे धकेल दिया है| इसपर भारत ने गंभीर चिंता जतायी है| खुद चीन आतंकवाद का शिकार होते हुए भी, अझहर जैसे आतंकवादी को बचाने का चीन ने किया फ़ैसला चौंका देता है| आतंकवादविरोधी जंग में ऐसी दोमुँही भूमिका चीन ले नहीं सकता, ऐसी फटकार भारत के विदेशमंत्रालय ने लगायी है|

ajharसंयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में अझहर पर की कार्रवाई के लिए भारत ने पेश किया प्रस्ताव को चीन ने, तक़नीक़ी कारण देते हुए रोक लगा दी| इसकी मीयाद ३१ दिसंबर को ख़त्म होनेवाली थी| लेकिन चीन ने, सुरक्षापरिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर उसे रहनेवाले अधिकार का गैरइस्तेमाल करते हुए अझहर के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव स्थगित कर दिया| भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने चीन की इस कार्रवाई पर चिंता जतायी| चीन का यह फैसला दोमुँहापन साबित होता है| आतंकवादविरोधी जंग में ऐसी दोमुँही भूमिका नहीं अपनायी जा सकती, ऐसा कहते हुए स्वरूप ने इसपर भारत की नाराज़गी जतायी| साथ ही, चीन के पास यह मुद्दा उठाया जायेगा, ऐसे संकेत स्वरूप ने दिये|

जनवरी महीने में पठानकोट में, भारतीय वायुसेना के अड्डे पर आतंकी हमला हुआ था| यह हमला ‘जैश’ ने किया था तथा उसके पीछे अझहर का हाथ था, यह सामने आया था| इस संदर्भ में भारत ने दिये सबूतों के कारण, आज तक अझहर को बचानेवाले पाकिस्तान को भी उसके खिलाफ़ चार्जशीट दाखिल करनी पड़ी थी| लेकिन चीन ने ‘अझहर’ को बचाने की ठोस भूमिका अपनाते हुए, मार्च महीने में भारत ने, सुरक्षापरिषद मे अझहर के खिलाफ़ पेश किया हुए कारर्वाई के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी|

अझहर के संदर्भ में चीन की भूमिका में बदलाव नहीं हुआ है, ऐसा चीन ने कुछ दिन पहले ही कहा था| भारत ने अझहर व उसका भाई रौफ के खिलाफ़ पठाणकोट हमले के संदर्भ में चार्जशीट लगायी थी| लेकिन चीन ने ‘अझहर’ को बचाकर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह भारतविरोधी कारनामें करने से नहीं रुकेगा| इसी कारण, भारत राजनीतिक स्तर पर चाहे कितनी भी बार यह सवाल उपस्थित करें और चीन का निषेध करें, फिर भी हम उसकी फ़िक़्र नहीं करते, यह चीन दिखा रहा है| ‘चीन की इस भूमिका की वजह से दोनो देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर घातक परिणाम होगा’ इस भारत की चेतावनी को भी चीन ने अनदेखा कर दिया है| इससे भारत के विदेशमंत्रालय के सामने की चुनौतियाँ अधिक बढ़ गयी हैं|

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