अमरीका की व्यापारी नीति के खिलाफ चीन का यूरोपिय देशों को सहयोग करने का प्रस्ताव

व्यापारी नीतिवॉशिंग्टन/बीजिंग – अमरीका में १ जनवरी से ‘इन्फ्लेशन रिडक्शन ऐक्ट’ (आईआरए) लागू हुआ है। इससे अमरीका के साथ बड़ी मात्रा में व्यापार कर रहे सहयोगी देशों का नुकसान होगा। खास तौर पर वाहन निर्माण क्षेत्र की यूरोपियन कंपनियां एवं सेमीकंडक्टर उद्योग की कंपनियों को इससे नुकसान पहुँचेगा। इस वजह से अमरीका को जैसे को तैसा जवाब देने के लिए यूरोपिय देश कदम उठाए बिना नहीं रहेंगे। लेकिन, इस मोर्चे पर यूरोपिय देशों को चीन की सहायता लेनी होगी। अमरीका की घातक नीति पर नियंत्रण रखने के लिए चीन यूरोपिय देशों की सहायता करने के लिए तैयार है, ऐसा चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने कहा है। अपने मुखपत्र के माध्यम से चीन ने अमरीका के नए कानून से होने वाले नुकसान का सामना कर रहे यूरोपिय देशों के सामने सहयोग का हाथ आगे बढाने की बात इससे स्पष्ट हो रही है।

व्यापारी नीति‘आईआरए’ की वजह से अमरीका में भारी मात्रा में वाहनों का निर्यात करने वाली एवं सेमीकंडक्टर क्षेत्र की कंपनियों का भी नुकसान होगा। आनेवाले समय में अमरीका के इस कानून की वजह से अन्य देशों का हो रहा नुकसान सिर्फ इन दो क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगा। इसका दायरा अधिकाधिक बढ़ता जाएगा। इसी वजह से अमरीका की इस नीति को अभी से रोकने के लिए कदम उठाना आवश्यक होगा, ऐसा ग्लोबल टाईम्स ने एक लेख में कहा है। इसके लिए यूरोपिय देश और चीन संयुक्त गठबंधन करें और अमरीका पर दबाव डालें, ऐसा प्रस्ताव चीन के इस सरकारी मुखपत्र ने दिया है।

अमरीका की नई नीति का सबसे अधिक नुकसान भुगतने वाले जर्मनी और फ्रान्स इसके लिए पहल करें, ऐसा आवाहन इस लेख में किया गया है। इसी बीच अमरीका की व्यापारी नीति यूरोपिय देशों के हित के लिए घातक है, ऐसी शिकायत होने लगी है। फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने इस मुद्दे पर अमरीका को आगाह किया था। व्यापार के मोर्चे पर अमरीका यूरोप से निम्न स्तर का बरताव कर रही है, ऐसा आरोप राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने लगाया था। इसकी गूंज यूरोपिय महासंघ में भी सुनाई पड़ी। अमरीका को यूरोपिय महासंघ की मित्रता अहम नहीं लगती क्या, यह सवाल भी महासंघ ने किया था। लेकिन, अमरीका की नीति पर इसका प्रभाव नहीं पडा।

व्यापारी नीतिऐसी स्थिति में चीन का यूरोपिय महासंघ को अमरीका विरोधी गठबंधन का प्रस्ताव आकर्षक लग सकता है। लेकिन, चीन भी द्विपक्षीय व्यापार में ईमानदार नहीं था और इसी कारण से महासंघ ने चीन का सहयोग भी सीमित कर दिया था। इसी बीच मानव अधिकारों का हनन एवं अन्य मुद्दों पर चीन की नीति घातक है, यह कहकर यूरोपिय महासंघ ने चीन के साथ व्यापारी सहयोग करने की चर्चा रोक रखी थी। इनमें से किसी भी मुद्दे पर चीन ने महासंघ की उम्मीद के अनुसार प्रगति नहीं की है या चीन की हरकतों में भी सुधार नहीं हुआ है। इसके बावजूद अमरीका पर दबाव डालने के लिए यूरोपिय महासंघ क्या चीन से सहयोग करेगा, यह मुद्दा इससे सामने आया है।

लेकिन, चीन ने यूरोपिय महासंघ को दिए प्रस्ताव की वजह से अमरीका के बायडेन प्रशासन की नीति का मुद्दा भी चर्चा का विषय बना है। ज्यो बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद उनके प्रशासन ने यूरोपिय, खाड़ी एवं पैसिफिक क्षेत्र के सहयोगी देशों की आर्थिक और सुरक्षा संबंधी हितों के विरोधी नीति अपनाई थी। इसके परिणाम दिखाई देने लगे हैं और अमरीका के सहयोगी देश इससे परेशान हैं, ऐसी आलोचना ज़िम्मेदार विश्लेषक कर रहे हैं। बायडेन के राजनीतिक विरोधियों ने बार-बार यह मुद्दा उठाकर इसके लिए राष्ट्राध्यक्ष बायडेन और उनके प्रशासन को आड़े हाथों लिया था।

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