जनसंख्या, श्रमशक्ति और अर्थव्यवस्था संभालने के लिए चीन सरकार से विवादास्पद एक बच्चे की नीति खत्म

चीन सरकार द्वारा विवादास्पद ‘एक बच्चा’ नीति खत्म करने की घोषणा पर चीनी जनता तथा विशेषज्ञों ने नाराजगी जताते हुए, ‘टू लिटिल, टू लेट’ ऐसे कडवे शब्दों में इसकी आलोचना की है। चीन के सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने करीब 35 साल बाद विवादास्पद ‘एक बच्चा’ नीति खत्म करने का फैसला लिया है। चीन की जनसंख्या में बुजुर्गों का बढ़ता प्रमाण, मजदूरों की कमी और अर्थव्यवस्था में आयी गिरावट की वजह से यह फैसला लिया गया है।

China one child policy

पिछले हफ्ते चीन के सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के 18वी राष्ट्रीय महासभा का अधिवेशन संपन्न हुआ। इस अधिवेशन में हुए विशेष बैठक में चीन के सभी दंपतियों को दो बच्चे पैदा करने का हक देने का फैसला लिया गया। सत्ताधारी दल के मुख्य समिति ने दिये निवेदन में  बताया गया कि, बढती जनसंख्या तथा समाज में वृद्धों की बढती आबादी जैसी चुनौतियों तथा अर्थव्यवस्था की सहायता के लिए यह फैसला लिया गया है। चीन के संसद द्वारा दी गई मंजूरी के बाद यह फैसला पूरे देश में लागू किया जाएगा।

चीनी अखबार ‘ग्लोबल टाईम्स’ने कहा है कि यह फैसला ‘जनता के इच्छा की आवाज’ है। साथ ही में ‘एक बच्चा’ नीति की प्रशंसा करते हुए  बताया कि, इस से देश को आर्थिक उडान लेनें में काफी सहायता भी मिली है। चीन के सरकारी एजंसियो द्वारा दिये जानकारी के अनुसार, इस नीति की वजह से पिछले 35 सालों में करीब 40 करोड बच्चों को पैदा होने से रोकने में सफलता मिली है। वहीं ‘नॅशनल हेल्थ एण्ड फॅमिली प्लॅनिंग कमिशन’ ने कहा कि, नये फैसले से देश के करीब नऊ करोड दंपतियों को लाभ होने की अपेक्षा है।

पर चीन के स्वयंसेवी गुटों, विश्‍लेषकों एवं स्थानिक जनता ने इस फैसले पर नाराजगी दिखाई है। स्वयंसेवी गुटों ने कहा कि यह फैसला बहुत ही विलंब से लिया गया है तथा पहली नीति के सभी नियम खत्म नही किये गए है। कई विश्‍लेषकों तथा नागरिकों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि, नये फैसले का प्रभाव दिखाई देने के लिये कम से कम 15 साल लगेंगे।

China one child policyचीन के सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए 1980 में ‘एक बच्चा’ नीति लागू करने का फैसला लिया था। इस फैसले के हानिकारक प्रभाव पिछले कुछ सालों से सामने आ रहे हैं। चीन में जन्मदर 1.4 तक नीचे आ चुका है और उसी समय बुजुर्गों की आबादी 30 प्रतिशत से ऊपर जाती हुई दिख रही है। 2050 तक चीन में बुजुर्गों की आबादी करीब 44 करोड तक जाने की संभावना है।

चीन की जनसंख्या अब 135 करोड से अधिक है और 2050 तक 142 करोड से ज्यादा होने का अनुमान है। स्थानिक विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि, जन्मदर में गिरावट की वजह सें इस जनसंख्या में युवाओं की आबादी बुजुर्गों की तुलना में कम रह सकती है। ‘दुनिया की फैक्टरी’ के रुप से पहचाने जानेवाले चीन की अर्थव्यवस्था उत्पाद तथा निर्यात पर टिकी हुई है। इस क्षेत्र के लिए बडे पैमाने में मजदूर तथा श्रमशक्ति की आवश्यकता है। जन्मदर और युवाओं की कमी की वजह से श्रमशक्ति में गिरावट आने का डर है। इस नजरिए से देखते हुए ‘एक बच्चा’ नीति खत्म करते हुए दो बच्चों को पैदा करने की अनुमति दे दी गयी है।

चीन की अर्थव्यवस्था में इस समय मंदी का दौर चल रहा है। अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए चीन सरकार ने अंतर्गत माँग बढाने की तरफ कदम बढ़ाना शुरु कर दिया है। इस की सफलता के लिए चीन को बढते हुए स्थानिय बाजार की जरुरत है। जनसंख्या में होनेवाली वृद्धि इस के लिए सहायक हो सकती है। चीन के सत्ताधारी दल का दावा है कि, दो बच्चों के लिए दी गयी मंजूरी जनसंख्या और श्रमशक्ति के बढोतरी के साथ ही अर्थव्यवस्था के सुधार में भी महत्त्वपूर्ण योगदान रख सकती है।

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