चीन ने उपग्रहभेदी लेज़र्स का निर्माण किया हाँगकाँगस्थित समाचार संस्था का दावा

तैपेई – चीन ने अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहे अमेरिका के संवेदनशील उपग्रहों को भेदनेवाले उच्चतम शक्तिशाली लेज़र का निर्माण किया है। चीन के शोधकों द्वारा बनाई गई यह प्रणाली पांच मेगावॉट लहरों का विस्फोट करके अमेरिका के उपग्रह नाकाम अथवा नष्ट कर पाएगी। हाँगकाँग स्थित एशिया टाईम्स नामक समाचार संस्था ने यह जानकारी प्रसिद्ध की।

चीन के शोधकों ने ‘रिलेटीव्हीस्टिक क्लिस्ट्रोन एम्प्लिफायर-आरकेए’ नामक माइक्रोवेव प्रणाली बनाई है। चीन के शिचुआन प्रांत के शोधकों ने केए-बैंड का इस्तेमाल करके पांच मेगावॉट ऊर्जालहरें उत्सर्जित करनेवाली लेज़र प्रणाली विकसित की है। केए-बैंड इलेक्टोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम का एक भाग है और नागरी तथा सेना के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। सेना में केए-बैंड का इस्तेमाल दुष्मन की प्रणाली बाधिक करने तथा जासूसी के लिए किया जाता है।

china-anti-satellite-laser-1चीनी शोधकर्ताओं ने दी हुई जानकारी के अनुसार, पांच मेगावॉट क्षमता की आरकेएम में से अंतरिक्ष स्थित उपग्रह नाकाम अथवा नष्ट किए जा सकते हैं। इस लेज़र प्रणाली का इस्तेमाल धरती से अंतरिक्ष स्थित उपग्रह भेदने के लिए किया जा सकता है। तो, अंतरिक्ष में ही एक उपग्रह से दूसरे उपग्रह पर हमला करने के लिए इस लेज़र का इस्तेमाल किया जा सकता है। इतना ही नहीं बल्कि, अमेरिका के ड्रोन्स के लिए भी यह लेज़र प्रणाली मारक हो सकती है, ऐसा इशारा इस समाचार संस्था ने दिया।

इस लेज़र प्रणाली में पांच मेगावॉट क्षमता की ऊर्जालगरों के समावेश के कारण धरती से अंतरिक्ष स्थित उपग्रह भेदना फिलहाल संभव नहीं है। पर एक गिगावॉट क्षमता की लेज़र प्रणाली आसानी से अंतरिक्ष उपग्रह भेद सकती हैं, ऐसा दावा इस समाचार संस्था ने किया। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऊर्जा से निर्माण हुई इस लेज़र का समावेश ‘डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स-डिईड्ब्ल्यू’ तरीके में किया जाता है। मगर आरकेए प्रणाली डिईड्ब्ल्यू में नहीं समाती यह दावा चीन कर रहा है।

पर, तैवान के माध्यम एवं अमेरिका के लश्करी विश्लेषक पिछाले कुछ महीनों में चीन द्वारा किए गई विभिन्न परीक्षणों में अंतरराष्ट्रीय समूदाय का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। पिछले वर्ष अगस्त में चीन ने परमाणुवाहक ‘हायपरसोनिक ग्लाईड व्हिकल’ का परीक्षण किया था। चीन के इस हायपरसोनिक ग्लाईड व्हिकल ने पृथ्वी की वातावरणीय कक्षा तक टक्कर मारी थी। चीन की यह हायपरसोनिक ग्लाईड व्हिकल सैटलाईटभेदी लेज़र प्रणाली का वहन करनेवाली साबित हो सकती है, ऐसा दावा तैवान के वेबसाईट ने किया है।

चीन ने अंतरिक्ष का लश्करी करण शुरु किया है और इसका सबसे बड़ा धोखा अमेरिका को है ऐसा ‘सेंटर फॉर स्ट्रॅटेजिक अँड इंटरनॅशनल स्टडिज्-सीएसआयएस’ नामक अमेरिका स्थित अध्ययन मंडल के वरिष्ठ विश्लेषक थॉमस कैराके ने आगाह किया है। तथा, युक्रैन में जारी संघर्ष अंतरिक्ष संघर्ष की शुरुआत करेगा, ऐसी चिंता कैराके ने व्यक्त की। इसकी वजह से अन्य देशों के उपग्रह इससे असुरक्षित होंगे, ऐसा दावा कैराको ने किया है।

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