भारत के साथ के सीमाविवाद में चीन का नुकसान अटल – भारतीय विश्लेषकों की चेतावनी

नई दिल्ली – भारतीय सरहद में चीन की घुसपैंठ के कारण निर्माण हुए सीमाविवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों में हुई चर्चा असफल हुई। इससे यही बात सामने आ रही है कि यह सीमाविवाद इतनी जल्दी सुलझानेवाला नहीं है। उसीमें चीन ने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रक्षासामग्री और हथियार तैनात किये होने के कारण यहाँ का तनाव अधिक ही बढ़ा है। भारत ने भी चीन को प्रत्युत्तर देते हुए, यहाँ पर अपने सैनिक तथा हथियारों की तैनाती को बढ़ाया है। दोनों देशों की सेनाएँ यहाँ पर लंबे अरसे के लिए डेरा जमाने की तैयारी कर रहीं होने की ख़बरें आ रहीं हैं।India china border dispute

अधिकृत स्तर पर भारत और चीन हालाँकि सीमाविवाद पर आक्रमक प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं, फिर भी इस बार दोनों देशों के बीच का यह विवाद गंभीर स्वरूप धारण कर सकता है, ऐसी चिंता ज़ाहिर की जा रही है। भारत को युद्ध अपेक्षित नहीं है, लेकिन देश की एक इंच तक की भूमि भी दूसरे के हाथ लगने नहीं दी जायेगी, ऐसी दृढ़ भूमिका भारत सरकार ने अपनायी है। वहीं, चीन यह अपना ही भाग होने का दावा कर रहा है और यहाँ से पीछे नहीं हटेगा, ऐसे संकेत दे रहा है। इस विवाद की गूँजें आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनायी देने लगीं होकर, अमरीका ने भी इसकी गंभीर दखल ली है, ऐसा दिख रहा है।

फिलहाल कोरोनावायरस की महामारी का मामला ग़ैरज़िम्मेदाराना तरीके से हँडल किया होने के कारण, जागतिक जनमत चीन के विरोध में गया है। उसीमें, ‘साऊथ चायना सी’ तथा तैवान, वुहान मामलों में चीन दिखा रही आक्रमकता यह आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बना है। ऐसे दौर में भारत के साथ सीमाविवाद छेड़कर चीन ने अपनी ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है, ऐसे दावें  भारतीय विश्लेषक कर रहे हैं। पूरी तैयारी के साथ भारत की सरहद में घुसपैंठ करनेवाले चिनी सैनिकों को सुसज्ज़ित भारतीय सैनिकों ने समय पर ही वहीं रोका और उनकी घुसपैंठ का उसी भाषा में जवाब दिया, यह बात चीन को अपेक्षित नहीं था, ऐसा कुछ सामरिक विश्लेषकों का कहना है।

इस कारण, अब या तो डोकलाम जैसा पीछे हटना या फिर भारत के साथ संघर्ष शुरू करना, ऐसे दो ही विकल्प चीन के सामने हैं। यदि इनमें से किसी भी विकल्प को चीन ने चुना, तो फिर चीन को या तो हानि या फिर मानहानि सहनी पड़ेगी। इस कारण, भारत के साथ के सीमाविवाद में चीन का नुकसान अटल है, ऐसा भारत के सामरिक विश्लेषकों का कहना है। यहाँ से पीछे हटने में चीन जितनी देर लगायेगा, उतनी ही मात्रा में चीन की ‘बलशाली देश’ ऐसी होनेवाली आंतर्राष्ट्रीय छवि ढ़ह जायेगी, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना है। इस कारण लद्दाख में घुसपैंठ करके कालापव्यय करते रहने की चीन की नीति इसी देश पर उलटेगी, ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

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