चीन-जापान संबंध गंभीर मोड़पर हैं – चीन के राजदूत की जापान को चेतावनी

टोकियो – वर्ष १९७२ में चीन के साथ ताल्लुकात स्थापित करने के बाद पहली बार जापान काफी कठिन स्थिति का सामना कर रहा हैं। अमरीका समर्थक नीति के कारण चीन-जापान संबंध काफी गंभीर मोड़ पर पहुंचे हैैं। जापान समय के चलते अमरिका को दूर करें, ऐसी चेतावनी जापान में नियुक्त चीन के नए राजदूत वु जियांघाओ ने दी। साथ ही चीन से अच्छे ताल्लुकात रखने हैं तो जापान ने परमाणु अस्त्र पहले इस्तेमाल करने की अमरीका की नीति का तीव्र विरोध करना होगा, ऐसी मांग चीन के राजदूत ने की।  

चीन-जापान संबंधमहीने पहले जापान में दाखिल हुए चीन के राजदूत वु जियांघाओ ने दो दिन पहले जापानी माध्यमों से चर्चा की। इस अवसर पर चीन के राजदूत ने जापान के नेतृत्व की कड़ी आलोचना की। चीन संबधित अपनी नीति जापान बदलाव करें और असल नीति को अपनाए। साथ ही रणनीतिक स्वतंत्रता के लिए पहल करके अमरीका की छाया से बाहर निकले, ऐसी सलाह जियांघाओ ने दी।  

चीन को रोकने के लिए अमरीका पड़ोसी देशों को इस्तेमाल कर रही हैं। जापान अमरीका के इस जाल में ना फंसे, ऐसी सलाह चीनी राजदूत ने दी। साथ ही चीन ही जापान का सबसे बड़ा शत्रु होने का प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा के ऐलान पर भी चीनी राजदूत ने आपत्ति जताई। चीन को सामने रखकर अपना रक्षा खर्च बढ़ा रहा जापान इसकी जानकारी प्राप्त करें, यह मांग जियांघाओ ने की।

इसके अलावा ताइवान को लेकर जापान ने अपनाई भूमिका पर भी चीन के राजदूत ने आपत्ति जताई। ताइवान चीन का सार्वभूम क्षेत्र हैं। इससे ताइवान पर कब्ज़ा करते हुए चीन ताकत का इस्तेमाल किए बिना नहीं रहेगा। ताइवान की आज़ादी की मांग कर रहे अलगाववादी गुटों के विरोध में और इस क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए यह सैन्य कार्रवाई आवश्यक है, ऐसा जियांघाओ ने कहा। चीन से ज्यादा ताइवान ही मौजूदा स्थिति बदलने की कोशिश में लगा होने का आरोप चीन के राजदूत ने लगाया। ऐसी स्थिति में ताइवान की सुरक्षा ही जापान की सुरक्षा होने की भूमिका जापान के लिए नुकसान पहुंचाएगी, ऐसी चेतावनी जियांघाओ ने दी।

इसी बीच, पिछले महीने से जापान में स्थित चीन के राजदूत ने यह चेतावनी देने के लिए सही समय का चयन किया है। जापान के प्रधानमंत्री किशिदा अफ्रीकी देशों के दौरे पर रवाना हुए हैं। ऐसे में चीन ने जापान को चेतावनी दी हैं, ऐसा जापान के माध्यमों का कहना हैं।

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