चीन ‘डोकलाम’ के लिए भूटान पर काफी दबाव बना रहा है – नई दिल्ली स्थित अभ्यासगुट की चेतावनी

नई दिल्ली – ‘डोकलाम’ सीमा के मुद्दे पर अपनाई भूमिका बदलने के लिए चीन भूटान पर काफी दबाव बना रहा हैं। चीन पर शासन कर रही ‘चाइनिज कम्युनिस्ट पार्टी’ (सीसीपी) इसके लिए बड़ी आक्रामक हुई हैं। लेकिन, चीन के प्रभाव में भूटान यदि चीन समर्थन नीति अपनाता हैं तो भूटान को इसके बड़े परिणाम भूगतने पड़ेंगे। चीन के जाल में फंसने पर भूटान अपनी  ज़मीन खो देगा और भूटान की अर्थव्यवस्था भी ढ़ह जाएगी, ऐसी चेतावनी नई दिल्ली स्थित ‘रेड लैंटर्न एनालिटिका’ (आरएलए) नाम अभ्यासगुट ने दी है। 

‘डोकलाम’दो हफ्ते पहले भूटान ने प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने डोकलाम विवाद का ज़िक्र करके इसमें भारत जितनी ही चीन की भूमिका भी अहम होने का विवादित बयान किया था। भूटान, भारत और चीन की सीमा डोकलाम में मिलती हैं। वर्ष २०१७ में चीन की सेना ने भूटान के क्षेत्र में प्रवेश करके वहां पर निर्माण कार्य शुरू किया था। लेकिन, भारतीय सेना ने चीन की यह साज़िश नाकाम कर दी थी। इससे गुस्सा होकर चीन ने भारत को युद्ध की धमकी देना शुरू किया था। इसकी परवाह किए बिना भारत ने भूटान की रक्षा की थी। भारतीय सेना ने दिखाई मज़बूती एवं राजनीतिक स्तर पर भारत ने चीन के विरोध में दिखाया साहस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का मुद्दा बना था।

इसके सदमे से संभलकर चीन ने आगे सीधे भूटान से ही चर्चा करने की योजना पर काम शुरू किया। भारत और भूटान ने किए समझौते के अनुसार भूटान की विदेश नीति  भारत पर निर्भर हैं। चीन ने चीन ने भारत को बाजू में करके सीधे भूटान से बातचीत शुरू की। साथ ही इस देश पर प्रचंड़ दबाव बनाया। दो हफ्ते पहले भूटान के प्रधानमंत्री ने चीन के पक्ष में किए बयान यानी भूटान में चीन में हो रही दखलअंदाजी दर्शाता हैं, यह दावा भारत के विश्लेषकों ने किया था। भारत ने इसका बड़ा संज्ञान लिया था।

चीन के विदेश मंत्रालय एवं कुटनीतिक और सरकारी माध्यमों ने भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने किए बयान का जोरदार स्वागत किया। उनके यह बयान भारत के लिए तमाचा जड़ते हैं, ऐसा दावा उन्होंने किया था। लेकिन, कुछ ही दिन बाद चीन का उत्साह खत्म हुआ। क्यों कि, भूटान के राजे जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचूक ने भारत दौरा किया और उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि, भूटान की भारत संबंधित भूमिका में बदलाव नहीं हुआ है।
इस पृष्ठभूमि पर भूटान को चीन के होने वाले खतरे पर ‘रेड लैंटर्न एनालिटिका’ (आरएलए) ने ध्यान आकर्षित किया हैं। चीन काफी पहले से ही भूटान का क्षेत्र अपना होने का भ्रम निर्माण करता रहा है। अब भूटान पर चीन की ‘सीसीपी’ प्रचंड़ दबाव बढ़ाकर वह अपने लिए अनुकूल भूमिका अपनाए, इस मंशा से ज़रूरी गतिविधियां कर रहा हैं। लेकिन, यदि भूटान चीन के जाल में फंसा तो आगे भूटान को इसके काफी भयंकर परिणाम भुगतने पड़ेंगे, ऐसी चेतावनी ‘आरएलए’ ने दी है।

चीन से नज़दिकियां बढ़ाने से भूटान को अपना क्षेत्र खोना होगा। साथ ही चीन के करीबी मित्र देश पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका की अर्थव्यवस्था जैसे बेहाल हुई हैं, इसका अहसास भी ‘आरएलए’ ने कराया हैं। यह देश चीन की जुमलेबाज़ी के शिकार होकर कर्जे के जाल में फंसे हैं और इससे यह देश कंगाल हुए हैं, इसपर भी ‘आरएलए’ ने ध्यान आकर्षित किया। इस पर गौर करके भूटान चीन से सावध रहें। भूटान जैसें काफी छोटे देश ने चीन जैसें बड़े ताकतवर देश के साथ कारोबार करते समय छोटी सी भी गलती की तो वह काफी महंगा साबित होगा, ऐसी चेतावनी ‘आरएलए’ ने दी हैं। 

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