जापान के चीन विरोधी गुट में भारत शामिल नहीं होगा – चीन के मुखपत्र का दावा

बीजिंग – भारत अपने राष्ट्रहित को सबसे अधिक प्राथमिकता देनेवाला देश हैं। इस वजह से जापान कितनी भी कोशिश करें तो भी भारत चीन के खिलाफ नहीं जाएगा, ऐसा दावा चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया हैं। जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा के भारत यात्रा से पहले चीन के मुखपत्र ने यह दावा करके प्रधानमंत्री किशिदा के भारत दौरे को हम काफी गंभीरता से देख रहे हैं, यही दिखाया है। अपने इस दौरे से पहले ही जापान के प्रधानमंत्री ने यह घोषित किया था कि, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका काफी अहम हैं।

चीन विरोधी गुटजापान के पूर्व प्रधानमंत्री एबे शिंजो ने ही ‘इंडो-पैसिफिक’ यानी हिंद और पैसिफिक महासागर का साथ साथ विचार करने की कल्पना सबसे पहले पेश की थी। इसी समुद्री क्षेत्र में चीन की जारी वर्चस्ववादी हरकतें रोकने के लिए सभी देश एकजूट करें, यह आवाहन भी एबे ने उस समय किया था। इसपर अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और भारत का भी रिस्पांस प्राप्त हुआ था। आगे के समय में अमरीका ने अपनी नौसेना के पैसिफिक कमांड का नाम बदलकर ‘इंडो-पैसिफिक कमांड’ किया था। यह बात चीन को चुभ रही हैं और भारत के अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से हो रहे सहयोग की ओर चीन हमेशा से ही आशंका से देखता रहा है।

कुछ ही दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने भारत यात्रा करके इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत का स्थान असाधारण होने का दावा किया था। ऐसे में अब भारत दौरे पर दाखिल होने से पहले जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने यह बयान किया है कि, मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए भारत काफी अहम देश हैं। इस पृष्ठभूमि पर अपने मुखपत्र के माध्यम से चीन जापान की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से जुड़ी नीति की आलोचना कर रहा हैं। जापान कितनी भी कोशिश करें तो भी भारत चीन विरोधी गुट का हिस्सा नहीं होगा, ऐसा विश्वास ग्लोबाल टाईम्स ने व्यक्त किया हैं।

भारत अपने राष्ट्रहित को और विश्व में बने अपने स्थान को काफी बड़ी अहमियत देनेवाला देश हैं। इसी वजह से यूक्रेन युद्ध में अमरीका ने दबाव बनाने के बावजूद भी भारत ने अपनी तटस्थता नहीं छोड़ी। इस वजह से चीन के खिलाफ बनाए जा रहे गुट में भारत शामिल होगा, यह उम्मीद जापान ना रखे, ऐसा चीन के विश्लेषक दा झिगैन्ग ने कहा हैं। इसका दाखिला ग्लोबल टाईम्स ने दिया।

इसी बीच, भारत की गुटनिरपेक्ष नीति पर चीन हाल ही के समय में काफी विश्वास जता रहा हैं। खास तौर पर जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका समेत अन्य पश्चिमी देश चीन के खिलाफ भारत का इस्तेमाल करने के सपने ना देखें। क्योंकि, कुछ भी हो भारत हमारे विरोध में नहीं जाएगा, ऐसा इशारा चीन लगातार दे रहा हैं। इस बार प्रसिद्ध किए लेख में भी ग्लोबल टाईम्स ने ऐसा अनुमान व्यक्त किया है कि, चीन के राजनीतिक और आर्थिक संबंधों का विचार करके भारत जापान का साथ नहीं देगा। लेकिन, जापान के प्रधानमंत्री किशिदा के भारत दौरे में चीन को बड़ा झटका लगने की कड़ी संभावना सामने आ रही हैं।

सोमवार से शुरू हो रहे प्रधानमंत्री किशिदा के इस भारत दौरे में दोनों देशों की काफी अहम चर्चा और सहयोग बढ़ाने हेतू समझौते होंगे। इस चर्चा में रशिया-यूक्रेन युद्ध और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की गतिविधियों पर चर्चा होगी। साथ ही रक्षा एवं अंतरिक्ष सुरक्षा क्षेत्र का सहयोग एवं द्विपक्षीय व्यापार को लेकर दोनों देश बड़े ऐलान करने की उम्मीद हैं। प्रधानमंत्री किशिदा के इस भारत दौरे में जापान में आयोजित हो रही ‘जी ७’ देशों की बैठक के लिए भारत को आमंत्रित किए जाने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ गुट की बैठक का भी जल्द ही आयोजन होगा। उस समय भी भारत और जापान के प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय चर्चा की उम्मीद हैं।

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