चीन ने दशक भर पहले ही एआय नियंत्रित ड्रोन का सागरी परीक्षण किया था – हॉंगकॉंगस्थित चिनी अखबार का दावा

हॉंगकॉंग – चीन ने ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स-एआय’ के मोरचे पर बड़ी प्रगति की है। दशकभर पहले ही चीन ने इस एआय तंत्रज्ञान पर आधारित हमला कर सकनेवाले सागरी ड्रोन विकसित किए। चीन के लष्कर ने ताइवान की खाड़ी में इस ड्रोन का सफल परीक्षण किया था, ऐसा दावा हॉंगकॉंगस्थित अखबार ने किया। चीन के लष्कर से संबंधित युनिवर्सिटी ने पिछले हफ्ते इस संदर्भ में दस्तावेज माध्यमों में सार्वजनिक किए, ऐसा इस युनिवर्सिटी ने कहा है। लेकिन ताइवान की सुरक्षा अपने साथ जुड़ी होने का ऐलान करनेवाले जापान को धमकाने के लिए, चीन ने ही यह जानकारी प्रकाशित की होने का दावा किया जाता है।

china-ai-controlled-drone-test-1लष्करी तंत्रज्ञान क्षेत्र में और सिद्धता में चीन अमरीका के टक्कर का होने के दावे चिनी मुखपत्र और माध्यम लगातार कर रहे हैं। कुछ दिन पहले हॉंगकॉंगस्थित ‘साऊथ चायना मॉर्निंग पोस्ट’ अखबार ने प्रकाशित की जानकारी भी उसी का भाग दिखाई दे रहा है। इसमें इस अखबार ने, चीन के लष्कर से जुड़ी ‘हार्बिन इंजिनिअरिंग युनिव्हर्सिटी’ ने तैयार की रिपोर्ट प्रकाशित की। पनडुब्बी पर संशोधन करनेवाली संस्था के रूप में हार्बिन युनिवर्सिटी की ओर देखा जाता है।

सन २०१० में चीन के लष्कर ने एआय यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित, पानी के नीचे विचरण करने वाले ड्रोन का निर्माण किया था। यह ड्रोन दुश्मन के जहाज, विध्वंसक और पनडुब्बियों का ‘सोनार’ तंत्रज्ञान द्वारा सुराग निकालकर उन पर हमला कर सकता है, ऐसा दावा इस रिपोर्ट में किया होने की बात इस अखबार ने कही है। चीन के लष्कर ने ताइवान की खाड़ी में सागरी सतह से ३२ फिट (१० मीटर) गहराई पर इस ड्रोन का परीक्षण किया था। दस साल पहले इस सागरी ड्रोन ने टॉर्पेडो की सहायता से डमी पनडुब्बी ध्वस्त की थी, ऐसी जानकारी इस रिपोर्ट में से सामने आई है।

china-ai-controlled-drone-test-2इस सागरी ड्रोन का प्रगत संस्करण कुछ दिनों के लिए समुद्र के तल पर छिपे रहने का काम कर सकता है । संघर्ष अथवा अथवा युद्ध के दौर में, समुद्र के तल पर छिपे ये ड्रोन दुश्मन के जहाजों पर हमले कर सकते हैं, ऐसा दावा इस रिपोर्ट में किया गया है। पिछले दस साल इस ड्रोन के संदर्भ में विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया था। लेकिन पिछले हफ्ते में चिनी युनिवर्सिटी ने इस सागरी ड्रोन के संदर्भ में कुछ विवरण देनेवाली रिपोर्ट सार्वजनिक की। चीन के ही अखबार ने यह जानकारी प्रकाशित की।

दस साल बाद चीन की युनिवर्सिटी ने सार्वजनिक की इस जानकारी के संदर्भ में लष्करी विश्लेषक और माध्यम कुछ शक उपस्थित कर रहे हैं। क्योंकि सन २०१९ में चीन ने पहली बार ‘एचएसयु-००१’ सागरी ड्रोन दुनिया के सामने खुला किया था। इस ड्रोन में टॉर्पेडो प्रक्षेपित करने की क्षमता नहीं है। साथ ही, पनडुब्बीभेदी टॉर्पेडो प्रक्षेपित करने के लिए बड़े आकार के और बड़ी क्षमता के ड्रोन की आवश्यकता है।

पिछले ही हफ़्ते चीन ने ताइवान की खाड़ी में किए इस परीक्षण की जानकारी क्यों सार्वजनिक की, ऐसा सवाल भी उपस्थित किया जा रहा है। पिछले हफ्ते में जापान के उप प्रधानमंत्री तारो आसो ने यह घोषित किया था कि ताइवान की सुरक्षा अपने देश के साथ जुड़ी है। साथ ही, अगर ताइवान पर हमला हुआ ही, तो अमरीका समेत जापान भी ताइवान की सुरक्षा के लिए संघर्ष में उतरेगा, ऐसी घोषणा उप प्रधानमंत्री आसो ने की थी। वहीं, ताइवान के लिए की विरोधी संघर्ष में उतरकर जापान खुद के लिए कब्र खोदेगा, ऐसी धमकी चीन ने दी थी। इस पृष्ठभूमि पर, इस ड्रोन के परीक्षण की जानकारी सार्वजनिक करके चीन ने जापान और ताइवान को धमकाया दिखाई दे रहा है।

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