उइगरवंशियों का संहार करनेवाले चीन ने मानव अंग की तस्करी से अरबों डॉलर्स प्राप्त किए – ऑस्ट्रेलियन अखबार का सनसनीखेज आरोप

बीजिंग – चीन झिंजियांग प्रांत के उइगरवंशियों का संहार कर रहा है, यह आरोप अमरीका एवं अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन लगा रहे हैं। लेकिन, उइगरों के इस नरसंहार से चीन अरबों डॉलर्स कमा रहा है, ऐसा रुह कांपनेवाला आरोप ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष अखबार ने लगाया है। उइगरवंशियों के अंगों की कालेबाज़ार में तस्करी करके चीन हर वर्ष अरबों डॉलर्स कमा रहा है, ऐसा इस अखबार ने कहा है।

कुछ महीने पहले चीन ने तकरीबन १५ लाख उइगरवंशियों को जेल में बंद करने का आरोप लगाया गया था। कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोधी उइगरों की आवाज़ दबाने के लिए चीन द्वारा यह जेल बनाने का दावा किया जा रहा है। साथ ही झिंजियांग प्रांत में शेष बचे उइगरवंशियों पर चीन ने कड़ी नज़र रखने की खबरें सामने आयी थीं। यह उइगरवंशी अपने घरों से कुछ ही दूरी तक सफर कर सकते हैं, ऐसे सख्त नियम उन पर लादे जाने की खबरें प्रसिद्ध हुई थीं। इसके अलावा, चीन उइगरवंशियों के प्रार्थना स्थानों पर भी कार्रवाई कर रहा है, ऐसी जानकारी सामने आ रही है।

China-organ-harvesting-1चीन ने इन आरोपों से इन्कार करके जवाब में कहा था कि, उइगरों को शिक्षा केंद्र में रखा है। लेकिन, शिक्षा केंद्र के नाम से चीन उइगरों को झिंजियांग प्रांत से निष्कासित कर रहा है, यह आरोप पश्‍चिमी देश एवं मानव अधिकार संगठन ने लगाया था। वहां के छल शिविरों के फोटो भी अंतरराष्ट्रीय माध्यमों में प्रसिद्ध हुए थे। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकार संगठन ने भी उइगरों के प्रति चिंता जताई थी।

उइगरवंशियों पर चीन के अत्याचारों को लेकर ऑस्ट्रेलियन अखबार ‘हेराल्ड सन’ ने सार्वजनिक की हुई जानकारी सनसनीखेज़ साबित हुई है। चीन ने गिरफ्तार किए उइगरवंशियों में से कुछ ही लोग अपने घर पहुँचते हैं। न किए गए अपराधों को कबूल करने के लिए अन्य उइगरवंशियों को इन जेलों में काफी उत्पीड़ित किया जाता है, ऐसा गवाह ने कहा है। उइगरों की तरह ही अन्य अल्पसंख्यांक नागरिकों पर भी चीन इसी तरह के अत्याचार कर रहा है, यह आरोप ऑस्ट्रेलियन अखबार ने लगाया है। ‘ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इन्स्टिट्युट-एएसपीआय’ नामक अध्ययन मंड़ल ने जारी की हुई रपट के अनुसार चीन उइगरों के साथ अन्य अल्पसंख्याकों को देशभर में मौजूद अलग-अलग फैक्टरीज्‌ में भरती कर रहा है।

एएसपीआय के आँकड़ों के अनुसार वर्ष २०१७ से २०१९ के दौरान तकरीबन ८० हज़ार उइगरवंशियों की तस्करी हुई। अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में कम वेतन देकर उइगरवंशी और अल्पसंख्यांकों को मज़दूरों की तरह इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही उइगरवंशियों के अंगों की तस्करी करके चीन प्रचंड़ मात्रा में पैसा कमा रहा है, यह आरोप ऑस्ट्रेलियन अखबार ने लगाया। चीन काले बाज़ार में अंगों की तस्करी करके हर वर्ष कम से कम एक अरब डॉलर्स कमा रहा है।

इसके लिए ऑस्ट्रेलियन अखबार ने वर्ष २०१९ के चायना ट्रिब्यून का दाखिला दिया। चीन में हर वर्ष ६० हज़ार अंगों का प्रत्यारोपण किया जाता है। साथ ही अंगों का प्रत्यारोपण करनेवाले अस्पताल, वैद्यकीय केंद्र चीनी सेना के जेलों के करीबी क्षेत्र में ही देखे जाते हैं। इस ओर भी ऑस्ट्रेलियन अखबार ने ध्यान आकर्षित किया। तो, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में यकृत या पित्ताशय की कीमत १.६० लाख डॉलर्स होने की जानकारी इस अखबार ने प्रदान की है।

इस खबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी प्रसिद्धी प्राप्त हुई है और कुछ वृत्तसंस्थाओं ने जून में संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकार संगठन ने पेश की रपट की याद भी ताज़ा कराई है। चीन उइगरों के साथ अल्पसंख्यांकों को लक्ष्य करके अंतरराष्ट्रीय काले बाज़ार में मानव अंगों की तस्करी कर रहा है, ऐसे आरोप मानव अधिकार संगठन ने लगाए थे। यह बड़ी भयंकर बात होने का बयान भी मानव अधिकार संगठन ने किया था।

मानव अधिकार और मानवी जीवन को चीन में ज्यादा कदर नहीं की जाती, इसकी जानकारी पूरे विश्‍व को है। लेकिन, चीन अल्पसंख्यांकों पर अत्याचार करके उनकी हत्याओं का इस्तेमाल मानव अंगों की तस्करी करने के लिए कर रहा है, यह बात पूरे विश्‍व को दहलानेवाली है। इस खबर की भयंकर गूँज सुनाई दे सकती है। इससे चीन की अंतरराष्ट्रीय प्रतिमा को बड़ा नुकसान पहुँच सकता है।

कोरोना की महामारी का उद्गम चीन में ही होने के आरोप लगाए जा रहे हैं और इस दौरान चीन के उत्पादनों का बहिष्कार करने की माँग विश्‍वभर में हो रही है। ऐसी स्थिति में मानव अंगों की तस्करी को लेकर लगाए जा रहे इन आरोपों को अनदेखा करना चीन को संभव नहीं होगा। यह आरोप झूठे होने की बात चीन ने साबित नहीं की तो इसकी काफी बड़ी कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर के आक्रोश के रूप में चीन को चुकानी पड़ सकती है।

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