उइगरवंशियों के मुद्दे पर ४० से अधिक देशों की चीन पर आलोचना – संयुक्त राष्ट्र संघ में हुई आलोचना से चीन बेचैन

न्यूयॉर्क/बीजिंग – ‘झिंजियांग प्रांत में चीन द्वारा बड़ी मात्रा में और योजना के तहत मानव अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। उइगरवंशियों की स्वतंत्रता छीन ली गई है और उन पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। उइगरवंशियों के साथ अन्य अल्पसंख्यांकों पर गलत तरीके से निगरानी रखी जा रही है’, इन आक्रामक शब्दों में ४० से अधिक देशों ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत की आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में लगाए गए इन आरोपों की वजह से चीन बेचैन हुआ है और चीन ने यह आरोप बेबुनियाद होने का बयान किया है।

uyghur-china-criticism-2कुछ वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र संघ की एक बैठक में ही चीन के कम्युनिस्ट हुकूमत ने कुल ११ लाख उइगरवंशियों को उत्पीड़न शिविरों में कैद कर रखने की बात स्पष्ट हुई थी। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय समूदाय उइगरवंशियों के मुद्दे पर चीन के खिलाफ अधिकाधिक आक्रामक होता जा रहा है। चार महीने पहले जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकार आयोग की बैठक में यह माँग रखी गई थी कि, संयुक्त राष्ट्र संघ के अफसरों के साथ निष्पक्ष निरीक्षकों को चीन झिंजियांग में प्रवेश दे।

इसके बाद फिरसे संयुक्त राष्ट्र संघ में उइगरवंशियों का मुद्दा उठाया गया है। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर उइगरवंशियों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करने का यह तीसरा अवसर है। मई में संयुक्त राष्ट्र संघ ने झिंजियांग के उइगरवंशी और अन्य अल्पसंख्यांक समुदाय किए जा रहे अत्याचारों के मुद्दे पर बैठक का आयोजन किया था। इसके बाद जून में जिनेवा में हुई बैठक में भी उइगरवंशियों के मुद्दे पर चीन को फटकार लगाई गई थी।

uyghur-china-criticism-1इस हफ्ते हुई बैठक में संयुक्त राष्ट्र संघ के ४३ प्रमुख देशों ने एक निवेदन जारी करके चीन की हरकतों पर ध्यान आकर्षित किया। इनमें अमरीका, यूरोपिय देशों के अलावा कुछ एशियाई देशों का भी समावेश है। चीन में उइगरवंशियों के लिए उत्पीड़न शिविर चलाने की विश्वस्त सबूत होने का दावा इसमें किया गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकार आयुक्त एवं उनके दफ्तर के अफसरों को झिंजियांग में प्रवेश दिया जाए, यह माँग भी दोहराई गई है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की इस घटना से चीन बेचैन हुआ है और उसने क्युबा समेत अन्य देशों के सहयोग से प्रत्युत्तर देनेवाला निवेदन जारी किया है। इसमें झिंजियांग का मुद्दा चीन का अंदरुनि मुद्दा होने का दावा किया गया है। साथ ही चीन पर लगाए जा रहे आरोप राजनीतिक उद्देश्‍यों से प्रेरित होने की बात कही जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन के राजदूत झैंग जून ने भी नाराज़गी व्यक्त की है और इन आरोपों में सच्चाई ना होने का बयान भी किया है। साथ ही इन आरोपों के पीछे चीन को झटका देने की साज़िश होने का उल्टा आरोप भी लगाया है।

बीते कुछ वर्षों में विश्‍व के अधिक से अधिक देश झिंजियांग में जारी हरकतों के खिलाफ सरेआम आवाज़ उठा रहे हैं। अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाड़ा जैसे देशों ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के उइगरों पर हो रहें अत्याचारों को नरसंहार का आरोप लगाया। अन्य देशों में भी इस तरह की कोशिशें जारी हैं और चीन की हुकूमत काफी मुश्‍किल में घिर चुकी है।

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