अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन द्वारा परमाणु नीति में बदलाव करने की कोशिशों का मित्रदेशों का विरोध

biden-nuclear-strategy-us-1लंदन/वॉशिंग्टन – अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन द्वारा देश की परमाणु नीति में बदलाव करने की गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। इसके अनुसार राष्ट्राध्यक्ष बायडेन अमरिकी परमाणु हथियारों से संबंधित ‘नो फर्स्ट यूज’ या ‘सोल पर्पज’ जैसी रक्षात्मक नीति अपना सकते हैं, ऐसी चर्चा शुरू हुई है। बायडेन की इन कोशिशों को अमरीका के मित्रदेशों ने जोरदार विरोध शुरू किया है और इनमें यूरोपिय देशों के साथ जापान और ऑस्ट्रेलिया का भी समावेश है। अमरीका ने परमाणु हथियारों की नीति में बदलाव किया तो वह चीन और रशिया के लिए बड़ा तोहफा होगा, यह इशारा यूरोपियन अधिकारियों ने दिया।

biden-nuclear-strategy-us-4शीतयुद्ध के समय से अमरीका ने अपने परमाणु हमले की नीति जानबूझकर संदिग्ध रखी है, ऐसा कहा जा रहा है। इसके अनुसार शत्रू का हमला होने से पहले ही अमरीका उस पर परमाणु हमला कर सकती है। अमरीका की नीति में यूरोप और एशिया के मित्रदेशों को ‘न्यूक्लिअर अम्ब्रेला’ के रूप में सुरक्षा प्रदान करने की गारंटी भी दी गई है। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष बायडेन द्वारा इस नीति में बदलाव करने की गुतिविधियाँ शुरू हुई हैं।

biden-nuclear-strategy-us-2बायडेन ने राष्ट्राध्यक्ष पद की प्रचार मुहिम के दौरान एवं उप-राष्ट्राध्यक्ष पद के कार्यकाल में ‘सोल पर्पज’ नीति का समर्थन किया था। इस नीति के अनुसार अमरीका परमाणु हमला कब करेगी, इससे संबंधित निकष स्पष्ट किए जाएँगे। इसमें, अमरीका पर सीधे  हमले को रोकना या हमला होने पर जवाबी हमले जैसे चुनिंदा विकल्पों का समावेश होगा। यह नीति ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति की ही आवृत्ति मानी जाती है।

वर्ष के अन्त तक अमरीका ‘न्यूक्लिअर पोश्‍चर रिव्यु’ का ऐलान करेगी। इसके ज़रिये बायडेन परमाणु नीति के बदलाव का ऐलान कर सकते हैं, यह चिंता अमरीका के मित्रदेश व्यक्त कर रहे हैं। इस वजह से यूरोप और ‘इंडो-पैसिफिक’ के मित्रदेशों ने बायडेन प्रशासन पर दबाव डालना शुरू किया है। कुछ महीने पहले अमरीका ने अपने मित्रदेशों को परमाणु नीति को लेकर सवालों की एक सूचि भेजी थी। इस सूचि में दर्ज़ सवालों के जवाब देते समय मित्रदेशों ने परमाणु हथियारों की नीति में बदलाव करने को लेकर तीव्र नाराज़गी जताने की जानकारी सूत्रों ने प्रदान की।

biden-nuclear-strategy-us-3अमरीका और फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्षों की हाल ही में हुई चर्चा में भी इसकी गूँज सुनाई देने की बात कही जा रही है। इस चर्चा के बाद जारी किए गए निवेदन में ‘यूनायटेड न्यूक्लिअर अलायन्स’ के मुद्दे पर वचनबद्धता का समावेश किया गया। साथ ही अमरीका परमाणु मुद्दों पर फ्रान्स से सलाह मशवरा करेगी, यह वादा भी निवेदन में किया गया है। यूरोपिय अधिकारी एवं अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषकों ने इस मुद्दे पर तीव्र चिंता व्यक्त करना शुरू किया है।बायडेन ने परमाणु हथियारों की नीति में बदलाव किया तो वह चीन और रशिया के लिए बड़ा तोहफा होगा, यह इशारा वरिष्ठ यूरोपियन अधिकारियों ने दिया है। ‘नो फर्स्ट यूज’ या ‘सोल पर्पज’ की नीति पर अमरीका के मित्रदेश भरोसा करेंगे, लेकिन, शत्रूदेश कभी भी विश्‍वास नहीं करेंगे और यही इस नीति की समस्या है, यह दावा मायकल ग्रीन नामक विशेषज्ञ ने किया है। ‘पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा के कार्यकाल के बाद रशिया और चीन एवं उत्तर कोरिया का खतरा बढ़ा है। ऐसी स्थिति में अमरीका की परमाणु हथियारों से संबंधित नीति में बदलाव करने के लिए यह उचित समय नहीं है’, ऐसा इशारा सेंटर फॉर ए न्यू अमरिकन सिक्युरिटी’ के प्रमुख रिचर्ड फौंटेन ने दिया है।

रिपब्लिकन पार्टी के सिनेटर जेम्स रिश ने इस निर्णय की आलोचना में कहा कि, परमाणु हथियारों की नीति में बदलाव करने का विचार करना ही अमरीका के मित्रदेशों का विश्‍वासघात होगा। बायडेन ने इस नीति में बदलाव किया तो जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश परमाणु हथियारों के निर्माण की ओर रुख कर सकते हैं, यह दावा भी विश्‍लेषक कर रहे हैं। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने अफ़गानिस्तान से वापसी करके एवं ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ र्इंधन पाईपलाईन के मुद्दे पर मित्रदेशों को बेसहारा करने की भावना है। ऐसी स्थिति में परमाणु हथियारों की नीति में किया गया बदलाव काफी बड़ा झटका साबित होगा, यह इशारा भी विश्‍लेषकों ने दिया है।

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