चीन ने गोपनीय तरीक़े से परमाणु परीक्षण किये – अमरीका के विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट

वॉशिंग्टन – चीन ने गोपनीय तरीक़े से कई परीक्षण किये हैं, ऐसा अमरीका के विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में नमूद किया गया है। अधिकृत स्तर पर हालाँकि यह रिपोर्ट अभी जारी नहीं हुआ है, फिर भी एक अमरिकी दैनिक ने इस बारे में जानकारी प्रकाशित की। इसकी ज़ोरदार चर्चा शुरू हुई होकर, चीन ने इस ख़बर का खंडन किया है।

अपने ‘लोप नूर’ इस अड्डे पर चीन ने ये परमाणु परीक्षण किये थे और इसके लिए कम क्षमतावाले परमाणु विस्फोटकों का इस्तेमाल किया, ऐसा दावा अमरीका के विदेश मंत्रालय की इस रिपोर्ट में किया गया है। ये परीक्षण करके चीन ने ‘सीटीबीटी’ समझौते का उल्लंघन किया होने का दोषारोपण भी इस रिपोर्ट में किया गया है।

इन परीक्षणों के बारे में जानकारी छिपाने के कारण चीन के हेतुओं पर शक़ उपस्थित किया जा सकता है, ऐसा अमरीका के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट में कहा है। अमरीका के एक अग्रसर अख़बार ने इस रिपोर्ट के बारे में ख़बर प्रकाशित की। इस ख़बर पर चीन की ओर से प्रतिक्रिया आयी है। चीन हमेशा ही अपने आंतर्राष्ट्रीय कर्तव्य ज़िम्मेदारी के साथ निभा रहा है, ऐसा कहकर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने यह आरोप ठुकराया।

चीन यह परमाणुअस्त्रधारी देश होकर, अपने पास ३०० परमाणुअस्त्र हैं, ऐसा चीन ने घोषित किया है। लेकिन चीन की परमाणु एवं रक्षाविषयक नीति हमेशा ही संदिग्ध रही है। इस मामले में चीन अपारदर्शी होने की आलोचना अमरीका तथा अन्य पश्चिमी देश समय समय पर करते आये हैं। लेकिन चीन ने हमेशा ही उसे नज़रअंदाज़ किया है।

लेकिन अब हालात बदलें होकर, कोरोनावायरस की महामारी के लिए ज़िम्मेदार होनेवाले चीन के खिलाफ़ दुनियाभर में ग़ुस्से की भावना है। ऐसी परिस्थिति में चीन ने किये इन गोपनीय परमाणु परीक्षण की रिपोर्ट सामने आयी है। अमरीका ने हालाँकि अधिकृत स्तर पर अभी तक यह मुद्दा उपस्थित नहीं किया है, फिर भी इसका दबाव चीन पर आया है, ऐसा चिनी विदेश मंत्रालय ने दी हुईं प्रतिक्रियाओं पर से स्पष्ट हो रहा है।

उसीमें, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतीन के बीच दो ही दिन पहले ‘स्टार्ट’ इस परमाणु एवं क्षेपणास्त्र सामंजस्य करार पर चर्चा होने की ख़बर आयी थी। अमरीका और रशिया के बीच हुए ‘स्टार्ट सामंजस्य करार’ में चीन भी सहभागी हों, ऐसी आग्रही भूमिका अमरीका ने अपनायी है। उसके सिवाय अमरीका इस करार का पालन नहीं करेगी, ऐसी चेतावनी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने दी थी। इस पार्श्वभूमि पर, अमरीका के विदेश मंत्रालय की इस रिपोर्ट के संदर्भ में प्रकाशित हुई ख़बर लक्षणीय साबित हो रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.