ईंधन की बढ़ती कीमत रोकने के लिए अमरीका ने ‘ओपेक’ देशों को ईंधन उत्पादन बढ़ाने को कहा

– ‘ओपेकके इन्कार करने के संकेत

वॉशिंग्टन/रियाध – अमरीका में ईंधन की कीमत बढ़ने की स्थिति में बायडेन प्रशासन ने ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ गुट को उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन, ‘ओपेक’ ने अपने मासिक रपट में अमरीका की इस माँग से इन्कार करने के संकेत दिए हैं। साथ ही ‘इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी’ ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण की पृष्ठभूमि पर ईंधन की माँग में फिर से गिरावट होने का इशारा दिया है।

us-opec-countries-fuel-production-1कोरोना संक्रमण के दौरान ईंधन की माँग में गिरावट होने से ‘ओपेक’ और ‘ओपेक प्लस’ के सदस्य देशों ने ईंधन उत्पादन कम करने का निर्णय किया था। इस दौरान ईंधन उत्पादन में प्रतिदिन १ करोड़ बैरल्स की कटौती की गई थी। लेकिन, अब ईंधन की माँग फिर से सामान्य हो रही है और इस वजह से ईंधन उत्पादक देशों ने उत्पादन बढ़ाने की दिशा में गतिविधियाँ शुरू कीं थी। बीते महीने हुई बैठक में अगस्त महीने से कच्चे तेल का उत्पादन प्रति दिन चार लाख बैरल्स से बढ़ाने का निर्णय किया गया था।

लेकिन, ईंधन उत्पादक देशों ने किया यह निर्णय पर्याप्त ना होने की नाराज़गी अमरीका ने जताई। ‘वैश्‍विक अर्थव्यवस्था सामान्य होने की प्रक्रिया जारी है और फिलहाल निर्णायक दौर शुरू है। इस पृष्ठभूमि पर अगस्त से इस मात्रा में उत्पादन बढ़ाने का निर्णय पर्याप्त नहीं है। कीमत तय होने के लिए बाज़ार में स्पर्धा होना आवश्यक है। ऐसा हुआ तो ही ईंधन की आपूर्ति स्थिर हो सकेगी। स्थिति सामान्य होने के लिए ओपेक प्लस सदस्य देशों ने अधिक योगदान देना आवश्‍यक है’, इन शब्दों में अमरीका ने ईंधन उत्पादक देशों को उत्पादन बढ़ाने की सूचना की है।

अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलिवन ने यह निवेदन जारी किया है। इससे पहले अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन का भी इस मुद्दे पर बयान आया है। ‘कोरोना के दौर में उत्पादन में कटौती की गई थी। अब वैश्विक अर्थव्यवस्था सामान्य हो रही है और ऐसे में ग्राहकों को कम कीमत से ईंधन उपलब्ध कराने के लिए कटौती पीछे लेने की आवश्‍यकता है’, यह निवेदन राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने किया है। बायडेन के इस बयान के पीछे अमरीका में ईंधन की बढ़ रही कीमतें ज़िम्मेदार है।

अमरीका में ईंधन की कीमत प्रति गैलन (३.१७८ लीटर्स) ३.१८ डॉलर्स तक जा पहुँचे हैं। एक वर्ष के दौरान ईंधन की कीमत एक डॉलर्स से अधिक बढ़ी है। वर्ष २०१४ के बाद पहली बार औसतन कीमत प्रति गैलन तीन डॉलर से अधिक हुई है। ईंधन की इस बडती कीमतों के पीछे राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने सत्ता संभालने के बाद किए निर्णय ज़िम्मेदार साबित हुए हैं। बायडेन ने अमरीका और कनाड़ा की महत्वाकांक्षी ईंधन पाइपलाइन की योजना रद की है। साथ ही इस वर्ष में ईंधन उत्पादकों को नए लायसन्स भी जारी नहीं किए हैं। इस वजह से ईंधन के उत्पादन पर असर पड़ा है और कीमतें बढ़ने लगी हैं।

अमरीका ने ‘ओपेक’ को ईंधन उत्पादन में बढ़ोतरी करने की सूचना की है फिर भी सदस्य देश उत्पादन बढ़ाने की स्थिति में ना होने के संकेत ‘ओपेक’ से संबंधित सूत्रों ने दिए हैं। ‘ओपेक’ देशों ने सितंबर के उत्पादन और निर्यात का कोटा पहले ही तय किया है। अगला निर्णय सितंबर की बैठक में किया जा सकेगा, ऐसा सूत्रों का कहना है। इसी बीच ‘ओपेक’ ने अपनी मासिक रपट में भी अगले दिनों में ईंधन की माँग स्थिर रहने का दावा करके उत्पादन बढ़ाने की आवश्‍यकता ना होने की बात कही है।

कोरोना की स्थिति का जायज़ा लेकर ही अगला निर्णय किया जाएगा, यह बात वर्णित रपट में दर्ज़ की गई है। अगले दिनों में अमरीका के ‘शेल ऑईल’ का उत्पादन बढ़ने की संभावना भी इस रपट में दर्ज़ की गई है।

ओपेक के बाद इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी नामक प्रमुख गुट ने भी नई रपट में ईंधन की माँग के मुद्दे पर चेतावनी जारी की है। कोरोना के ‘डेल्टा वेरियंट’ के बढ़ते फैलाव का ज़िक्र करके जुलाई से यकायक माँग में गिरावट शुरू हुई है, यह इशारा भी ‘आयईए’ ने दिया है। यही स्थिति २०२१ के अन्त तक बरकरार रहने की संभावना है और वर्ष २०२२ में बाज़ार में अतिरिक्त ईंधन उपलब्ध होगा, यह संभावना भी जताई है। इस रपट की पृष्ठभूमि पर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की कीमतों की फिर से गिरावट शुरू होने की बात सामने आयी है।

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