चीन द्वारा सेमीकंडक्टर की चोरी करने की कोशिश – युरोपियन कंपनी का आरोप

china-steal-semicond-technology-1एमस्टरडैम/बीजिंग – सेमीकंडक्टर क्षेत्र की एक प्रमुख चिनी कंपनी हमारे ‘ट्रेड सिक्रेटस्‌’ एवं ‘इंटेलेक्च्युएल प्रॉपर्टी’ की चोरी करने की कोशिश कर रही है, ऐसा आरोप युरोप की ‘एएसएमएल’ नामक प्रमुख कंपनी ने लगाया है। चीन की ‘डीजीईएल’ कंपनी सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए आवश्‍यक सॉफ्टवेअर बेच रही है और यह सॉफ्टवेअर ‘एएसएमएल’ से संबंधित होने की बात कही जा रही है। वर्ष २०१९ में भी चिनी कंपनी ने ‘एएसएमएल’ के ट्रेड सिक्रेटस्‌ की चोरी करने की कोशिश की थी। इस मामले में चिनी कंपनी को ८४ करोड़ डॉलर्स का जुर्माना लगाया गया था।

नेदरलैण्डस्‌ की ‘एएसएमएल’ कंपनी, सेमीकंडक्टर के लिए इस्तेमाल होनेवाले ‘ऑप्टिकल लिथोग्राफी सिस्टिम’ क्षेत्र की प्रमुख कंपनी है। इसी कंपनी की यंत्रणा का इस्तेमाल करके, अमरीका की ‘इंटेल’, दक्षिण कोरिया की ‘सैमसंग’ और ताइवान की ‘टीएसएमसी’ १० एनएम से भी छोटी आकार की चिप्स तैयार करती हैं। सैनिकी यंत्रणा समेत नवीनतम तकनीक पर आधारित कई उपकरणों में फिलहाल इन्हीं चिप्स का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है। चिनी कंपनियाँ भी इस चिप्स का निर्माण करने की कोशिश में हैं। लेकिन, अमरीका के प्रतिबंधों की वजह से चीन को ‘एएसएमएल’ से नवीनतम ‘ऑप्टीकल लिथोग्राफी सिस्टिम’ प्राप्त नहीं हो सकती।

china-steal-semicond-technology-2इसी कारण चीन अलग अलग मार्ग से इस कंपनी को लक्ष्य करने की कोशिश में जुटा दिख रहा है। पिछले तीन वर्षों के दौरान चीन की कंपनियों ने दो बार ‘एसएमएल’ की कारोबारी रहस्य एवं बुद्धिसंपदा की लूट करने की कोशिश की है। इस कंपनी ने कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट जारी करके, उसमें इसका स्पष्ट ज़िक्र किया है। इतना ही नहीं, बल्कि आवश्‍यकता महसूस होने पर कानूनी कार्रवाई का कदम उठाया जाएगा, यह चेतावनी भी दी गयी है।

चिनी कंपनी ‘डीजेईएल’ ने ये आरोप ठुकराए हैं और चिनी माध्यमों ने भी कंपनी के समर्थन में भूमिका अपनाई है। इससे पहले भी चिनी कंपनियों ने कई बार विदेशी कंपनियों की तकनीक एवं अन्य व्यापारी रहस्यों की चोरी करने की बात स्पष्ट हुई है। लेकिन, इन मामलों को चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत का साथ होने के कारण इन कंपनियों पर कार्रवाई नहीं हुई है। लेकिन, सेमीकंडक्टर क्षेत्र में फिलहाल जारी संघर्ष को देखते हुए, अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर आक्रामक भूमिका अपना सकता है, ऐसें संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

प्रौद्योगिकी क्षेत्र की महासत्ता होने की महत्वाकांक्षा से, चीन ने पिछले दशक में महत्वाकांक्षी ‘मेड इन चायना पॉलिसी’ का ऐलान किया था। इस माध्यम से सूचना एवं तकनीक, रोबोटिक्स जैसें क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के संकेत दिए थे। निवेश बढ़ाने के साथ ही, संवेदनशील टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र की विदेशी कंपनियों का बड़ा हिस्सा प्राप्त करने एवं इन कंपनियों पर सीधे कब्ज़ा करने की तकनीक भी अपनाई गई थी। लेकिन, स्मार्टफोन से सैटेलाईट तक के हर क्षेत्र के लिए अहम होनेवाले सेमीकंडक्टर क्षेत्र में इन कोशिशों को ज्यादा कामयाबी हासिल नहीं हुई। इन क्षेत्रों में चिनी कंपनियाँ आज भी अमरीका, युरोप एवं तैवान जैसें देशों पर निर्भर हैं। इस कारण चीन ने अब इस क्षेत्र की विदेशी कंपनियों के ‘ट्रेड सिक्रेटस्‌’ एवं ‘इंटेलेक्च्युएलप्रॉपर्टी’ की चोरी करना शुरू किया होने की बात ‘एएसएमएल’ के मामले से स्पष्ट हो रही है।

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