पश्चिमी देश अनाज की स्थिति कोरोना टीके जैसी ना होने दें – संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की फटकार

संयुक्त राष्ट्रसंघ – कोरोना टीके की तरह अनाज की स्थिति ना होने दें। जिसे सबसे ज्यादा ज़रूरत है, उसे अनाज़ प्रदान करने के लिए प्राथमिकता देनी होगी, ऐसी फटकार भारत ने पश्चिमी देशों को लगायी। यूक्रैन युद्ध के बाद गेहूँ की किल्लत का दाखिला देकर संयुक्त राष्ट्रसंघ में बोलते हुए विदेश राज्यमंत्री वी.मुरलीधरन ने पश्मिची देशों को यह इशारा दिया। गेहूँ और अनाज़ का पर्याप्त भंड़ार रखनेवाले भारत में भी अनाज़ की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, इस पर ध्यान आकर्षित करके मुरलीधरन ने भारत ने गेहूँ के निर्यात पर लगायी गई रोक का समर्थन किया।

western-corona-vaccine-food-1भारत ने १३ मई को गेहूँ के निर्यात पर रोक लगायी थी। इस पर पूरे विश्व से बयान आए थे। खास तौर पर यूरोपिय देश और अमरीका ने भारत के इस निर्यात पर लगायी रोक पर नाराज़गी जतायी थी। लेकिन, इस रोक के पीछे भारत की पुख्ता भूमिका है, इस बात पर विदेश राज्यमंत्री मुरलीधरन ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपने भाषण से ध्यान आकर्षित किया। ‘ग्लोबल फुड सिक्युरिटी कॉल टू ऐक्शन’ विषय पर संयुक्त राष्ट्रसंघ में चर्चा का आयोजन हुआ था। अमरिकी विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन इसके अध्यक्ष थे। इस दौरान कोरोना की वैक्सीन की तरह अनाज़ की स्थिति ना होने दें, ऐसा आवाहन करके विदेश राज्यमंत्री ने अमरीका समेत पश्चिमी देशों को आईना दिखाया।

कोरोना की महामारी फैलने के बाद बुद्धिसंपदा कानून को सामने लाकर पश्चिमी देशों की कंपनियों ने कोरोना वैक्सीन का पेटंट खुला करने से इन्कार किया था। इस वजह से गरीब और अविकसित देशों की जनता को कोरोना की वैक्सीन पाना कठिन हुआ था। साथ ही भारत जैसे देश को कोरना का टीका विकसित करन के लिए आवश्यक सामान की आपूर्ति करने से भी विकसित देशों ने इन्कार किया था। अपने देश में ही तैयार टीके की माँग कर रहे, इस स्वार्थी भूमिका को उस समय इन देशों ने अपनाया था। लेकिन, भारत और अन्य देशों ने सख्त भूमिका अपनाने के बाद विकसित देश अपनी नीति में बदलाव करने के लिए मज़बूर हुए थे।

यूक्रैन युद्ध शुरू होने के बाद रशिया और यूक्रैन से विश्व में होनेवाली गेहूँ की सप्लाई बंद हुई है। इस वजह से गेहूँ का पर्याप्त भंड़ार रखनेवाले भारत के सामने पूरे विश्व से गेहूँ की माँग हो रही है। ऐसी स्थिति में भारत ने गेहूँ के निर्यात पर रोक लगायी। जिसे सबसे ज्यादा आवश्यकता है, उन्हें सबसे पहले गेहूँ मिले, ऐसी भारत की भूमिका है। साथ ही गेहूँ की कीमत बढ़ने से गरीब देशों को नुकसान ना पहुँचे, इसके लिए भारत ने यह निर्णय किया, ऐसा वी.मुरलीधरन ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपने भाषण से स्पष्ट किया। गेहूँ का पर्याप्त भंड़ार रखनेवाले भारत जैसे देश में भी अफवाहों के कारण कीमतें बढ़ी हैं, इस पर मुरलीधरन ने ध्यान आकर्षित किया। ऐसी स्थिति बर्दाश्त नहीं कर सकते और इसके लिए आवश्यक नियोजन के हिस्से के तौर पर भारत ने गेहूँ का निर्यात रोकने का निर्णय किया, ऐसा मुरलीधरन ने कहा।

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