नेताजी-१८५

नेताजी-१८५

एमिली और अनिता के साथ सन १९४२ का ख्रिसमस व्यतीत करके सुभाषबाबू व्हिएन्ना से बर्लिन लौट आये। नन्हीं सी अनिता के साथ गुज़ारे हुए वे दिन तो सुभाषबाबू के छोटे से गृहस्थाश्रमी जीवन के सर्वोच्च आनन्द का एक हिस्सा थे। उसकी बाललीलाओं को निहारने में उनका वक़्त कैसे बीत जाता था, इसका उन्हें पता ही […]

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परमहंस-१२८

परमहंस-१२८

रामकृष्णजी के पीछे पीछे उनकी पत्नी शारदादेवी भी एक-एक करके आध्यात्मिक पायदान चढ़ रही थीं। रामकृष्णजी बीच बीच में उनकी परीक्षा भी लेते थे। एक बार एक धनवान भक्त रामकृष्णजी को दस हज़ार रुपये देना चाहता था। रामकृष्णजी द्वारा उनका स्वीकार किया जाना तो असंभव ही था। मन ही मन देवीमाता को – ‘यह क्या […]

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समय की करवट (भाग ७८) – व्हिएतनाम : अमरीका का हस्तक्षेप

समय की करवट (भाग ७८) – व्हिएतनाम : अमरीका का हस्तक्षेप

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

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नेताजी- १८४

नेताजी- १८४

जापान ले जानेवाली पनडुबी का इन्तज़ार करते समय सुभाषबाबू हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं थे। अन्य मार्गों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की उनकी कोशिशें जारी ही थीं। साथ ही, अनिश्चितता के ढलते हुए उस समय के साथ उनके मन में एमिली के बारे में फ़िक्र भी बढ़ ही रही थी। उसके प्रसूत […]

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परमहंस-१२७

परमहंस-१२७

पानिहाटी का ‘गौरांग चैतन्य महाप्रभु’ उत्सव यह रामकृष्णजी और उनके शिष्यों के लिए आनंदपर्व ही था। रामकृष्णजी को वहाँ के भक्तिसत्संग में गाते-नाचते एकदम भान खोकर भावसमाधि में जाते हुए देखना, यह उपस्थितों के लिए पर्व ही होता था। अतः हर साल उस उत्सव की सभी लोग बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। लेकिन इस साल, […]

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क्रान्तिगाथा-७९

क्रान्तिगाथा-७९

काकोरी योजना में फाँसी दिया गया और एक तेजस्वी क्रान्तिकारी व्यक्तित्व था-रोशनसिंह का। उत्तर प्रदेश के नबादा नाम के एक छोटे से गाँव में जनवरी १८९२ में इनका जन्म हुआ। असहकार आन्दोलन के दौरान कार्यकारी रहनेवाले रोशनसिंह को बरेली में पुलीस पर हुई गोलीबारी के मामले में सज़ा सुनायी गयी। इस सज़ा के दौरान अँग्रेज़ों […]

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नेताजी-१८३

नेताजी-१८३

विश्‍वयुद्ध के रंग हर घड़ी बदल रहे थे और उसके अनुसार सम्बन्धितों के पैंतरें भी। सुभाषबाबू वहाँ बर्लिन में, जर्मनी से जापान जाने के लिए पणडुबी की व्यवस्था कब होती है, इसके इन्तज़ार में थे और उसी समय भारत में कई घटनाएँ हो रही थीं। २७ अप्रैल को इलाहाबाद में हुई काँग्रेस कार्यकारिणी की बैठक […]

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परमहंस-१२६

परमहंस-१२६

रामकृष्णजी द्वारा दक्षिणेश्‍वर से शुरू किया गया भक्तिप्रसार का कार्य अब तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ रहा था। रामकृष्णजी ने चुने हुए संन्यस्त भक्तों का पहला समूह रामकृष्णजी की सीख को भक्तों तक पहुँचाने का काम जोशपूर्वक कर रहा था और उस माध्यम से वृद्धिंगत होते जा रहा ‘रामकृष्ण-संप्रदाय’ अब सुचारू आकार धारण कर रहा […]

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समय की करवट (भाग ७७) – व्हिएतनाम वॉर – पूर्वरंग

समय की करवट (भाग ७७) – व्हिएतनाम वॉर – पूर्वरंग

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

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नेताजी-१८२

नेताजी-१८२

हिटलर के साथ सुभाषबाबू की मीटिंग खत्म हो गयी। जर्मनी में कदम रखते समय हिटलर से उन्हें जो अपेक्षाएँ थीं, उनमें से कुछ पूरी हो चुकी थीं, तो कुछ अधूरी ही रह गयी थीं। अँग्रेज़ों की वहशी हुकूमत के ख़िला़फ़ हिटलर से सहायता माँगने जाते हुए, मैं एक तानाशाह की गुफ़ा में कदम रख रहा […]

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