नेताजी-९०

नेताजी-९०

रोम में मिली क़ामयाबी से सन्तुष्ट होकर सुभाषबाबू ने व्हाया मिलान व्हिएन्ना लौटने की बात तय की। लेकिन उसी दौरान जर्मनी के म्युनिक से वहाँ के भारतीय छात्रों द्वारा भेजा गया, वहाँ फौरन आने का टेलिग्राम प्राप्त होने के कारण अपने नियोजित कार्यक्रम में परिवर्तन कर वे म्युनिक के लिए रवाना हुए। जर्मनी में अध्ययन […]

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परमहंस-३१

परमहंस-३१

‘उस’ रात दक्षिणेश्‍वर कालीमंदिर के नज़दीक के पंचवटी के जंगल में हुआ ‘वह’ वाक़या देखकर हृदय हैरान हो गया था और चुपचाप अपने कमरे में लौटकर विचार करते हुए थोड़ी ही देर में सो गया था। लेकिन सुबह जागने के बाद जब उसने देखा, तो तब तक गदाधरमामा स्नान, प्रातर्संध्या, आह्निक वगैरा सब करके, मंदिर […]

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क्रान्तिगाथा-३०

क्रान्तिगाथा-३०

बड़ा ही धूमधाम भरा समय, लेकिन उतनी ही देशभक्ति से भरा समय। ‘देश को आज़ाद करने’ के विचार से प्रभावित कई देशभक्त देश के विभिन्न प्रदेशों में उदयित हो रहे थे और अपनी अपनी क्षमता से समाजजागृति का कार्य और अँग्रेज़ों को अपने देश से खदेड़ देने का कार्य उत्साहपूर्वक कर रहे थे। लोकमान्य बाळ […]

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नेताजी-८९

नेताजी-८९

अपनी सारी जायदाद देशकार्य के लिए दान कर देने की इच्छा प्रदर्शित किये हुए, विठ्ठलभाई के वसियत नामे की ‘उस’ कलम को पढ़कर सुभाषबाबू अचंभित हो गये। उस कलम में सुभाषबाबू का विशेष उल्लेख कर भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम को आंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिए उनके द्वारा विदेश में की जा रही कोशिशों में सहायता करने […]

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परमहंस- ३०

परमहंस- ३०

गदाधरमामा दोपहर को पूजन आदि होने के बाद मंदिरसंकुल के नज़दीक ही होनेवाले ‘पंचवटी’ नामक इला़के में अकेला ही जाता है, यह हृदय जानता था; लेकिन वह रात को भी वहाँ पर जाता है, यह ज्ञात होने के बाद तो उसे धक्का ही लगा था। वह जगह एकदम घने जंगल जैसी थी, जहाँ पर दिन […]

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समय की करवट (भाग २९)- ‘युरोपियन युनियन’ हुआ सुस्थिर

समय की करवट (भाग २९)- ‘युरोपियन युनियन’ हुआ सुस्थिर

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

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नेताजी-८८

नेताजी-८८

किट्टी और अ‍ॅलेक्स कुर्टी दम्पति के साथ हुई पहली मुलाक़ात के बाद सुभाषबाबू का उनसे तीन-चार बार मिलना हुआ। किट्टी मानसशास्त्र का अध्ययन कर रही थीं। मानसशास्त्र में भी सुभाषबाबू को मुझसे अधिक ज्ञान है, यह देखकर वे दंग रह गयीं। मानसशास्त्र पर उनकी बातचीत कई घण्टों तक चलती थी। शुरुआती दौर के मानसशास्त्रज्ञों द्वारा […]

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परमहंस- २९

परमहंस- २९

बड़े भाई की मृत्यु के पश्‍चात्, दक्षिणेश्‍वर कालीमातामंदिर का प्रमुख पुजारी बन जाने पर गदाधर का आंतरिक प्रवास अब एक विशिष्ट दिशा में तेज़ी से होने लगा था। मंदिर में होनेवाले सेवाकर्मी और वहाँ पर नियमित रूप में आनेवाले अन्य लोग भी अब उसकी ओर सम्मान की भावना से देखने लगे थे। लेकिन गदाधर को […]

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क्रान्तिगाथा-२९

क्रान्तिगाथा-२९

अँग्रेज़ों के द्वारा किये जा रहे आर्थिक शोषण के कारण हुई भारतीय समाज की दयनीय स्थिति देखकर वासुदेव बळवंत फडके ने फिर भारतीय समाज में जागृति करने का कार्य शुरू कर दिया। इस कार्य के लिए उन्होंने कई इलाक़ों की यात्रा की और इसी दौरान सशस्त्र क्रान्ति ही अँग्रेज़ों को प्रतिकार करने का उपाय है […]

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नेताजी-८७

नेताजी-८७

भारतीय स्वतन्त्रतासंग्राम के लिए मदद माँगने हेतु सुभाषबाबू लगभग डेढ़ महीने तक जर्मनी में थे। लेकिन यह केवल सहायता है, प्रमुख जंग तो भारत को ही और वह भी अपने बलबूते पर लड़नी है, इस बात का उन्हें एहसास था। वहाँ उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रतासंग्राम को सहायता मिलने की दृष्टि से कइयों से मुलाक़ात की। कई […]

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