परमहंस- ३८

परमहंस- ३८

कालीमाता के दर्शन प्राप्त होने के बाद ‘रघुबीर’ श्रीराम के दर्शन पाने की इच्छा रामकृष्णजी पर हावी हो गयी थी और श्रीराम को प्राप्त करने का राजमार्ग यानी हनुमानजी का अनुकरण, यह ज्ञात होने के कारण रामकृष्णजी आर्ततापूर्वक, स्वयं में अधिक से अधिक ‘हनुमान-भाव’ आयें इसलिए जानतोड़ प्रयास कर रहे थे। राणी राशमणि और मथुरबाबू […]

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समय की करवट (भाग ३३) – ‘बर्लिन ब्लॉकेड’ : जर्मनी के बँटवारे की नांदी

समय की करवट (भाग ३३) – ‘बर्लिन ब्लॉकेड’ : जर्मनी के बँटवारे की नांदी

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

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नेताजी- ९६

नेताजी- ९६

आन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका प्रस्तुत करने का कार्य युरोप में सन्तोषपूर्वक चल रहा है, यह देखकर अब सुभाषबाबू के मन में भारत लौटने की आस जागृत हुई। यह सारा कार्य शारीरिक पीड़ा से व्यथित रहने के बावजूद भी उन्होंने केवल स्वयं के प्रचण्ड मनोबल से किया था। इस कार्य के लिए किसी से […]

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परमहंस- ३७

परमहंस- ३७

वात्सल्यभक्ति, सख्यभक्ति, दास्यभक्ति ऐसे भक्ति के विभिन्न प्रकारों का रामकृष्णजी अपने इस आध्यात्मिक प्रवास में अनुभव कर रहे थे। अब राणी राशमणि तथा मथुरबाबू – दोनों भी रामकृष्णजी की ओर अत्यधिक आदर के साथ देखने लगे थे। कई बार वे रामकृष्णजी की नित्यपूजा – उनकी अपनी पद्धति से – चलते समय मंदिर में आते। कभीकभार […]

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क्रान्तिगाथा-३३

क्रान्तिगाथा-३३

भारत को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए जो क्रान्तियज्ञ शुरू हुआ था, उस क्रान्तियज्ञ में लगातार हौतात्म्य की आहुतियाँ अर्पण की जा रही थीं और यह यज्ञ अहर्निश चल रहा था। भारतीय स्वतन्त्रता की लगन अब प्रत्येक भारतीय के मन में जाग उठी थी और इसी वजह से सर्वसामान्य भारतीय मन भी अब इसमें किसी न […]

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नेताजी-९५

नेताजी-९५

जवाहरलालजी की मुश्किल की घड़ियों में उनका साथ निभाकर सुभाषबाबू फिर से आराम के लिए कार्ल्सबाड लौटे। वहाँ के गरम पानी के झरनों के कारण उनके स्वास्थ्य में अब तेज़ी से सुधार आने लगा। लेकिन तीन-चार महीनों में ही उन्हें ख़बर मिली कि कमला नेहरूजी की तबियत काफी बिगड़ गयी है। इसलिए भारत में कारावास […]

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परमहंस-३६

परमहंस-३६

कालीमाता के पहले दर्शन के बाद रामकृष्णजी में शारीरिक बदलाव तो हुआ ही था, लेकिन साथ ही, आंतरिक दृष्टि से मानसिक एवं आध्यात्मिक बदलाव भी हुए थे। आध्यात्मिक दृष्टि से वे कोई तो विशेष हैं, इसका एहसास उनके सहवास में आये कइयों को उनके बचपन से ही हुआ था। लेकिन इस घटना के बाद रामकृष्णजी […]

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समय की करवट (भाग ३२) जर्मनी – पूर्व और पश्चिम!

समय की करवट (भाग ३२) जर्मनी – पूर्व और पश्चिम!

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

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नेताजी-९४

नेताजी-९४

सुभाषबाबू के ‘द इंडियन स्ट्रगल: १९२०-१९३४’ इस पुस्तक का युरोप में अच्छा-ख़ासा स्वागत किया गया। ‘भारतीय राजनीति के तीन सर्वोच्च महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्त्वों में से एक के द्वारा यह ग्रन्थ लिखा जाने के कारण इसकी काफी अहमियत है। लेखक द्वारा निर्भयतापूर्वक अपना मन्तव्य प्रस्तुत करते हुए किसी के साथ भी नाइन्सा़फी नहीं की गयी है। हालाँकि […]

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परमहंस- ३५

परमहंस- ३५

कालीमाता के साक्षात् दर्शन के पहले अनुभव से रामकृष्णजी पर गहरा असर हुआ था…. शारीरिक दृष्टि से, मानसिक दृष्टि से और आध्यात्मिक दृष्टि से भी! उनका भाँजा हृदय यह सब नज़दीक से देख और अनुभव कर रहा था। वह हालाँकि मामा के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य की चिंता से, मामा की जाँच करने के लिए डॉक्टर वगैरा […]

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