समय की करवट (भाग ३२) जर्मनी – पूर्व और पश्चिम!

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं।
इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे हैं।

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‘यह दोनों जर्मनियों का पुनः एक हो जाना, यह युरोपीय महासंघ के माध्यम से युरोप एक होने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। सोव्हिएत युनियन के टुकड़े होना यह जर्मनी के एकत्रीकरण से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है; वहीं, भारत तथा चीन का, महासत्ता बनने की दिशा में मार्गक्रमण यह सोव्हिएत युनियन के टुकड़ें होने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है।’

हेन्री किसिंजर

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अब हम इस वक्तव्य के एक और मुद्दे का यानी पूर्व और पश्चिम इन दोनों जर्मनियों के एकत्रीकरण का अध्ययन करेंगे|

युरोपीय देशों में युद्ध यह बात केवल इतिहास हों तथा उनमें आपसी सहयोग बढ़ें, इस दिशा में हुए प्रयासों के बीज, युरोप को सहने पड़े दोनों विश्‍वयुद्धों में थे और इन दोनों विश्‍वयुद्धों को युरोप के माथे पर थोंपने में जर्मनी का महत्त्वपूर्ण सहभाग था| इस कारण, अब संभाव्य युद्ध को टालने के लिए जो कुछ भी करना था, वह  जर्मनी को टालकर नहीं किया जा सकता था; बल्कि जर्मन जनमानस में समय समय पर उत्पन्न होनेवाले विभिन्न अंतर्प्रवाहों पर नज़र रखने के लिए, जो कुछ भी करना था वह राजनीतिक दृष्टि से जर्मनी को मुख्य प्रवाह में सहभागी करके ही करना है यह बात तय हुई थी|

इस सारे क्रियाकलाप की शुरुआत हुई, वह समय दूसरे विश्‍वयुद्धपश्‍चात का, विश्‍वयुद्ध ने दुनिया को किये ज़ख्मों पर लेप लगाने का था| दूसरे विश्‍वयुद्ध पश्‍चात्, मूलतः एक होनेवाले जर्मनी की ताकत नष्ट करने की दृष्टि से, जेता राष्ट्रों (ब्रिटन और दोस्तराष्ट्र) द्वारा चार भाग किये गये थे और वे ब्रिटन, फ़्रान्स, अमरीका तथा रशिया ने अपने में बाँट लिये थे| पश्चिमी ओर के तीन भाग ब्रिटन, फ़्रान्स एवं अमरीका ने बाँट लिए थे; वहीं, ‘ईस्टर्न ब्लॉक’ (जिसे आगे चलकर ‘पूर्व जर्मनी’ कहा जाने लगा वह) रशिया को दिया गया था|

लेकिन फिर मूलतः जर्मनी कैसा था?

जर्मनी का ज्ञात इतिहास ईसापूर्व समय से दर्ज़ है| शुरुआती दौर में र्‍हाईन नदी के किनारे बसीं जर्मेनिक टोलियॉं रोमन तथा ग्रीक साम्राज्य को ज्ञात थीं| ईसापूर्व पाँचवीं सदी तक दुर्बल बन चुके रोमन साम्राज्य पर इन टोलियों ने हमलें करके उनके प्रदेश जीत लिये| अगले कुछ-सौ सालों में इस भाग के आसपास कई छोटे छोटे राज्यों का निर्माण हुआ| उन्हीं में से एक ‘चार्ल्स द ग्रेट’ इस आठवीं सदी के लड़ाकू राजा ने लगभग पश्‍चिम तथा मध्य युरोप पर अपना साम्राज्य स्थापित किया| आगे चलकर उसका विघटन होकर उनके कुछ भाग में से ‘होली रोमन एम्पायर’ का उदय हुआ| इसे आधुनिक इतिहास का जर्मनी का पहला साम्राज्य (‘फर्स्ट रैश’) कहा जाता है| आगे चलकर इस चार्ल्स द ग्रेट के तीन पोतों में बखेड़ा खड़ा होकर, इसवी ८४३ में इस साम्राज्य का तीन भागों में विघटन किया गया (‘ट्रीटी ऑफ वेर्दून’), आगे चलकर जिनमें से आज के जर्मनी, फ्रान्स एवं इटली का जन्म हुआ|

अब क्षेत्रफल पहले के हिसाब से बहुत ही कम हो चुके जर्मनी के इतिहास में, उसके बाद का महत्त्वपूर्ण शासन था, होहेनझोलर्न का शासन (इसवी १८७१ से १९१९)| सन १८७१ में चॅन्सलर बनलेल्या बिस्मार्क ने, जर्मनी के एकीकरण के लिए बहुत मेहनत की| उसके पहले का जर्मनी कई छोटे छोटे राज्यों में बिखेरा था| उनका आज के ‘एक देश’ होनेवाले जर्मनी में रूपांतरण करने का श्रेय बिस्मार्क का ही है| उसी की पहल से सन १८७१ में छोटे छोटे जर्मन राज्यों के राजाओं ने एकत्रित होकर, उनमें से सबसे ताकतवर होनेवाले प्रशिया के राजा के नेतृत्व में जर्मन संघराज्य की स्थापना की| यह ‘दूसरा जर्मन साम्राज्य (शासन)’ के नाम से जाना जाता है (‘सेकंड रैश’)| बिस्मार्क के कार्यकाल में जर्मनी ने औद्योगिक मोरचे पर भी बहुत तरक्की की| यह ‘सेकंड रैश’ सन १९१९ तक यानी पहले विश्‍वयुद्ध के अन्त तक टिका|

उसके बाद अस्तित्व में आया ‘वेइमर रिपब्लिक’ यह दुर्बल था| पहले विश्‍वयुद्ध में हार चुके जर्मनी का आत्मसम्मान की पुनर्स्थापना करने में वह नाक़ामयाब साबित हुआ और उसीका हौआ खड़ा कर हिटलर ने सत्ता हासिल की| ‘होली रोमन एम्पायर’ का उत्तराधिकारी वह ही होने की हवा उसने उत्पन्न करके, खुदके नाझी शासन को ‘तीसरा जर्मन साम्राज्य’ (‘द थर्ड रैश’) संबोधित करना उसने शुरू किया| उसके पश्‍चात् का दूसरे विश्‍वयुद्ध का इतिहास सभी को ज्ञात ही है|

इस विश्‍वयुद्ध के बाद जर्मनी के जो ४ भाग जेता राष्ट्रों ने किये, उनमें से पश्चिम के तीन भागों का एकत्रीकरण करके ‘पश्चिम जर्मनी’ इस देश का उदय हुआ; वहीं, पूर्व की ओर के भाग को ‘पूर्व जर्मनी’ ऐसा कहा जाने लगा| इस भाग पर सोव्हिएत रशिया का प्रभाव होने के कारण पूर्व जर्मनी ने कम्युनिस्ट शासनपद्धति को अपनाया था|

हेन्री किसिंजर
भाई-भाई में ‘दरार’ – बर्लिन वॉल

इसी पूर्व जर्मनी ने मूल के अखंडित जर्मनी का यह बँटवारा पक्का करने के हेतु से सन १९६१ में बर्लिन की (कुविख्यात) दीवार (‘बर्लिन वॉल’) का निर्माण किया था| पूर्व और पश्चिम जर्मनी के साथ साथ बर्लिन का भी बँटवारा किया गया था| समाजवादी सरकार चुनकर लाने की, पूर्व जर्मनी के नागरिकों की इच्छा का अनादर करनेवाले पश्चिम जर्मनी के ‘फॅसिस्ट’ तत्त्व यहाँ घुसपैंठ न करें इसलिए हम इस दीवार का निर्माण कर रहे हैं, ऐसा कारण अधिकृत रूप में पूर्व जर्मनी द्वारा दिया गया था|

भाई-भाई में ‘दरार’ पड़ चुकी थी!

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