नेताजी-१००

नेताजी-१००

हरिपुर काँग्रेस अधिवेशन के अध्यक्षपद पर नियुक्त किये जाने की ख़बर सुनने के बाद सुभाषबाबू को सोच-विचार के लिए अब दिन के चौबीस घण्टे भी कम पड़ने लगे थे। १७ जनवरी १९३८ को उन्होंने हवाई जहाज़ का स़फर शुरू किया और प्राग, रोम, नेपल्स, अथेन्स, बसरा रुकते हुए २३ जनवरी को सुभाषबाबू का कराची हवाई […]

Read More »

परमहंस-४१

परमहंस-४१

इन हलधारी का रामकृष्णजी के बारे में मत, कम से कम शुरुआती दौर में तो दोलायमान ही रहा। कभी कभी रामकृष्णजी उन्हें पूरे पागल प्रतीत होते थे; वैसा उन्होंने हृदय को कई बार बताया भी था। ख़ासकर वे जब अपनी तांत्रिक उपासनाओं के कारण अहंकार के आधीन हो जाते थे, तब उनका मत इस तरह […]

Read More »

क्रान्तिगाथा- ३५

क्रान्तिगाथा- ३५

आख़िर ‘वंगभग’ हो गया यानी अँग्रेज़ों ने बंगाल का विभाजन किया। अब क्या होगा? हो सकता है कि भारतीय उनकी अगुआई करनेवाले नेताओं के साथ विरोध करेंगे, मोरचे निकालेंगे, सभाएँ लेंगे और कुछ समय बाद शान्त हो जायेंगे, ऐसा अँग्रेज सोच रहे थे। भारतीयों के विचार इस तरह की किसी कृति को जन्म देंगे कि […]

Read More »

नेताजी – ९९

नेताजी – ९९

आख़िर सन १९३७ के अन्त में सुभाषबाबू को इंग्लैंड़ जाने की अनुमति मिल ही गयी और उन्हें इस बात की काफी खुशी हुई। जिसे हासिल करने के लिए पिछले युरोप वास्तव्य में काफी पसीना बहाने के बावजूद भी जो उन्हें नहीं मिल सकी थी, वह अब उन्हें इस तरह बड़ी आसानी से मिल गयी।अब वे […]

Read More »

परमहंस-४०

परमहंस-४०

हलधारी राधाकृष्णमंदिर की नित्य पूजन-उपासना में तंत्रमार्ग या फिर अन्य अनिष्ट पद्धतियाँ अपना रहे हैं, ऐसी लोगों में शुरू हुई खुसुरफुसुर रामकृष्णजी तक पहुँची। लेकिन हलधारी का गुस्सैल स्वभाव मशहूर रहने के कारण और उनके द्वारा उच्चारित शापवाणि सच हो जाती है, ऐसी धारणा प्रचलित रहने के कारण लोग उन्हें सीधे सीधे बोलने से डर […]

Read More »

समय की करवट (भाग ३४) – ‘ईस्टर्न ब्लॉक’

समय की करवट (भाग ३४) – ‘ईस्टर्न ब्लॉक’

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

Read More »

नेताजी-९८

नेताजी-९८

पाँच साल की खींचातानी के बाद आख़िर १७ मार्च १९३७ को सुभाषबाबू को गिऱफ़्तारी एवं स्थानबद्धता इनके सिलसिले से बिनाशर्त मुक्त कर दिया गया। अब वे आज़ाद थे। कोलकाता की जनता ने उस दिन को किसी त्योहार की तरह मनाया। भारतीय स्वतन्त्रतासंग्राम में पुनः सक्रिय बनने के लिए सुभाषबाबू की भुजाएँ फड़क रही थीं। उनका […]

Read More »

परमहंस-३९

परमहंस-३९

ईश्‍वरदर्शन की परमव्याकुलता से रामकृष्णजी ने हालाँकि पहले जगदंबा के दर्शन और फिर बाद में सीतामैय्या के दर्शन प्राप्त किये थे, मग़र फिर भी वह व्याकुलता उनके शरीर पर असर कर ही रही थी। अहम बात यह थी कि वे उपासना के एक मार्ग से सन्तुष्ट न होते हुए, उपासना के दास्यभक्ति, सख्यभक्ति, वात्सल्यभक्ति आदि […]

Read More »

क्रान्तिगाथा-३४

क्रान्तिगाथा-३४

भारत में कुछ ही मीलों की दूरी पर भाषा बदलती है। विभिन्न प्रदेशों के निवासियों का रहनसहन, खान-पान भी अलग अलग होता है। भारत में  हालाँकि इस तरह की विविधता है, मग़र फिर भी वक़्त आने पर भारत एकजुट होकर खड़ा रहता है और अपने दुश्मनों से लडता है, इस बात का अनुभव अँग्रेज़ों ने […]

Read More »

नेताजी-९७

नेताजी-९७

सुभाषबाबू की बीमारी के ज़ोर पकड़ने के बावजूद भी सरकार उनके प्रति अड़ियल रवैया अपनाकर उन्हें रिहा करना नहीं चाहती है, यह देखकर उनकी गिऱफ़्तारी के खिला़फ छिड़ चुका जन-आन्दोलन दिनबदिन उग्र स्वरूप धारण करने लगा। उनकी सेहत को का़फी नाज़ूक हो ही चुकी थी और साथ ही उनका वज़न भी तेज़ी से घट रहा […]

Read More »
1 30 31 32 33 34 55