समय की करवट (भाग ४३) – सोव्हिएत युनियन का उदयास्त-३

समय की करवट (भाग ४३) – सोव्हिएत युनियन का उदयास्त-३

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इस का अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इस में फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उस के आधार पर दुनिया की गतिविधियों का […]

Read More »

नेताजी-११६

नेताजी-११६

पन्तप्रस्ताव के कारण उत्पन्न हुई उलझन को सुलझाने के लिए सुभाषबाबू द्वारा कोलकाता में बुलायी गयी काँग्रेस महासमिति की विशेष बैठक का दूसरा दिन शुरू हुआ। तब तक सुभाषबाबू द्वारा इस्तीफ़ा दिये जाने की ख़बर सर्वदूर फ़ैल गयी थी और बैठक के स्थान पर लाखों की तादाद में इकट्ठा होकर लोग सुभाषबाबू की जयकार के […]

Read More »

परमहंस-५७

परमहंस-५७

एक बार भगवान के दर्शन हो जानेपर, उस में ही सन्तुष्ट न रहते हुए रामकृष्णजी ईश्‍वर के विभिन्न रूपों के दर्शनों की लालसा मन में रखकर, उसके लिए अथक रूप में प्रयास कर रहे थे और उस हेतु उन्होंने भक्ति के लगभग सभी प्रकारों को अपनाया। इस प्रवास में उन्हें ‘गुरु’ के रूप में प्राप्त […]

Read More »

क्रान्तिगाथा- ४४

क्रान्तिगाथा- ४४

कोर्ट में सुनवाई के समय मदनलाल धिंगरा ने जो कहा, उसका भावार्थ कुछ इस तरह था- हमारी मातृभूमि को ग़ुलामी की ज़ंजीरों में जकड़नेवाले दुश्मन के ख़िलाफ जंग छेडना यह कोई गुनाह नहीं है। मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए क्रान्तिकारियों के द्वारा किये जा रहे स्वतन्त्रता-आन्दोलनरूपी यज्ञ में मेरे प्राणों की आहुति अर्पण करने का […]

Read More »

नेताजी-११५

नेताजी-११५

कुछ दिन जमदोबा में विश्राम करने के बाद सुभाषबाबू २१ अप्रैल १९३९ को कोलकाता लौटे। अब उनकी सेहत में का़फ़ी सुधार हो चुका था। त्रिपुरी में पारित पंत-प्रस्ताव के कारण निर्माण हुआ वाद कम होने के आसार नज़र नहीं आ रहे थे। अतः इस उलझन को सुलझाने के लिए सुभाषबाबू ने २९ अप्रैल को कोलकाता […]

Read More »

परमहंस-५६

परमहंस-५६

भैरवी दक्षिणेश्‍वर आकर अब तीन साल बीत चुके थे। इस कालावधि में रामकृष्णजी ने उसके मार्गदर्शन में कई तांत्रिक साधनाएँ संपन्न की थीं। भैरवी ने रामकृष्णजी को भले ही इन साधनाओं के सिलसिले में मार्गदर्शन किया था, मग़र फिर भी इस साधना के प्रवास में भैरवी ही उनसे अनजाने में बहुत कुछ सीख गयी थी। […]

Read More »

समय की करवट (भाग ४२) – सोव्हिएत युनियन का उदयास्त-२

समय की करवट (भाग ४२) – सोव्हिएत युनियन का उदयास्त-२

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इस का अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इस में फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उस के आधार पर दुनिया की गतिविधियों का […]

Read More »

नेताजी-११४

नेताजी-११४

इस तरह अध्यक्ष की स्वतन्त्रता को संकुचित करनेवाला ‘पंतप्रस्ताव’ पारित होने के बाद ही त्रिपुरी काँग्रेस अधिवेशन समाप्त हुआ। हालाँकि ऊपरि तौर पर इसमें सुभाषविरोधकों की जीत हुई है, यह भले ही दिखायी दे रहा हो, लेकिन इससे आख़िर ‘नोबडी विन्स-ऑल-लूज’ ऐसे ही हालात बन चुके थे। अब सुभाषबाबू इस परिस्थिति का मुक़ाबला किस तरह […]

Read More »

परमहंस-५५

परमहंस-५५

भैरवी के मार्गदर्शन में रामकृष्णजी की तांत्रिक साधना शुरू थी; लेकिन रामकृष्णजी अपने संपर्क में आनेवाले हर एक से कुछ न कुछ ग्राह्य बातें सीख ही रहे थे, फिर चाहे वह कोई शास्त्रीपंडित हों या दक्षिणेश्‍वर में ठहरा कोई साधुबैरागी। ऐसी कोई बात सीखते हुए, जिस प्रकार कोई नन्हा बालक कोई नयी बात सीखते समय […]

Read More »

क्रान्तिगाथा- ४३

क्रान्तिगाथा- ४३

१ जुलाई १९०९ को लंदन में आयोजित किये गये ‘इंडियन नॅशनल असोसिएशन’ के वार्षिक समारोह में समारोह स्थल पर पहुँचते ही इंग्लैंड़ स्थित अँग्रेज़ अफ़सर कर्ज़न वायली पर गोलियाँ चलायी गयीं। गोलियाँ चलानेवाला युवक ख़ुद पर गोलियाँ चलाने ही वाला था कि उसे ग़िरफ्तार कर लिया गया। उस युवक का नाम था, ‘मदनलाल धिंगरा’! सन […]

Read More »
1 25 26 27 28 29 55