परमहंस-३६

परमहंस-३६

कालीमाता के पहले दर्शन के बाद रामकृष्णजी में शारीरिक बदलाव तो हुआ ही था, लेकिन साथ ही, आंतरिक दृष्टि से मानसिक एवं आध्यात्मिक बदलाव भी हुए थे। आध्यात्मिक दृष्टि से वे कोई तो विशेष हैं, इसका एहसास उनके सहवास में आये कइयों को उनके बचपन से ही हुआ था। लेकिन इस घटना के बाद रामकृष्णजी […]

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परमहंस- ३५

परमहंस- ३५

कालीमाता के साक्षात् दर्शन के पहले अनुभव से रामकृष्णजी पर गहरा असर हुआ था…. शारीरिक दृष्टि से, मानसिक दृष्टि से और आध्यात्मिक दृष्टि से भी! उनका भाँजा हृदय यह सब नज़दीक से देख और अनुभव कर रहा था। वह हालाँकि मामा के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य की चिंता से, मामा की जाँच करने के लिए डॉक्टर वगैरा […]

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परमहंस- ३४

परमहंस- ३४

गत कुछ दिनों से गदाधर जिसकी प्रतीक्षा कर रहा था, वह उस जगतजननी माता का – कालीमाता का दर्शन आख़िरकार उसे हुआ ही था। ज्ञान के उस प्रकाशसागर में आख़िर उसने डुबकी लगायी ही थी! इस घटना के बाद गदाधर ने अपने – ‘गदाधर से रामकृष्ण’ इस आध्यात्मिक प्रवास का महत्त्वपूर्ण पड़ाव पार किया था। […]

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परमहंस-३३

परमहंस-३३

जिस जीवन में माता के दर्शन नहीं होते, ऐसे जीवन को ख़त्म करने के निर्धार से, गदाधर कालीमाता का तेज़ धारवाला खड्ग उठाकर, उसे अपनी गर्दन पर चलाने ही वाला था कि तभी कुछ विलक्षण ही घटित हुआ! आगे चलकर एक बार श्रीरामकृष्ण ने ही इस घटना का निम्नलिखित आशय का वर्णन अपने शिष्यों के […]

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परमहंस-३२

परमहंस-३२

जिस बात के लिए गदाधर तिलमिला रहा था, वह यानी कालीमाता के दर्शन – उसकी घड़ी अब बहुत ही क़रीब आ रुकी थी। लेकिन माता से मिलने की उसकी प्यास दिनबदिन बढ़ती ही चली जा रही थी। उसी के हिस्से के तौर पर, पूजन करते समय भावावस्था को प्राप्त होने के बाद वह कभी भावनातिरेक […]

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परमहंस-३१

परमहंस-३१

‘उस’ रात दक्षिणेश्‍वर कालीमंदिर के नज़दीक के पंचवटी के जंगल में हुआ ‘वह’ वाक़या देखकर हृदय हैरान हो गया था और चुपचाप अपने कमरे में लौटकर विचार करते हुए थोड़ी ही देर में सो गया था। लेकिन सुबह जागने के बाद जब उसने देखा, तो तब तक गदाधरमामा स्नान, प्रातर्संध्या, आह्निक वगैरा सब करके, मंदिर […]

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परमहंस- ३०

परमहंस- ३०

गदाधरमामा दोपहर को पूजन आदि होने के बाद मंदिरसंकुल के नज़दीक ही होनेवाले ‘पंचवटी’ नामक इला़के में अकेला ही जाता है, यह हृदय जानता था; लेकिन वह रात को भी वहाँ पर जाता है, यह ज्ञात होने के बाद तो उसे धक्का ही लगा था। वह जगह एकदम घने जंगल जैसी थी, जहाँ पर दिन […]

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परमहंस- २९

परमहंस- २९

बड़े भाई की मृत्यु के पश्‍चात्, दक्षिणेश्‍वर कालीमातामंदिर का प्रमुख पुजारी बन जाने पर गदाधर का आंतरिक प्रवास अब एक विशिष्ट दिशा में तेज़ी से होने लगा था। मंदिर में होनेवाले सेवाकर्मी और वहाँ पर नियमित रूप में आनेवाले अन्य लोग भी अब उसकी ओर सम्मान की भावना से देखने लगे थे। लेकिन गदाधर को […]

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परमहंस-२८

परमहंस-२८

७ साल की उम्र में ही गदाधर के सिर पर से पिता का साया उठ जाने के कारण, उनके बाद उसके लिए पितासमान रहनेवाले बड़े भाई रामकुमार की मृत्यु गदाधर को अधिक ही अंतर्मुख बना गयी। उसके बाद कई दिनों तक गदाधर शोकाकुल अवस्था में ही था और अपना अधिक से अधिक समय वह कालीमाता […]

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परमहंस-२७

परमहंस-२७

गदाधर अब दक्षिणेश्‍वर के कालीमाता मंदिरसंकुल का अभ्यस्त हो चुका था और उसका हररोज़ का दिनक्रम भी नियमित रूप से संपन्न होने लगा था। लेकिन कालीमाता के प्रत्यक्ष दर्शन करने की उसकी आस दिनबदिन बढ़ती ही जा रही थी। उसके हररोज़ के दिनक्रम के भजनों में भी अब अधिक आर्तता आने लगी थी। बीच में […]

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