परमहंस-४६

परमहंस-४६

रामकृष्णजी के स्वास्थ्य की चिन्ता से राणी राशमणि ने मथुरबाबू को दक्षिणेश्‍वर कालीमंदिर में ही जाकर रहने के लिए कहा था। उसके अनुसार मथुरबाबू रामकृष्णजी के ही नज़दीक के एक कमरे में जाकर रहने लगे थे। लेकिन एक दिन एक अजीबोंग़रीब वाक़या घटित हुआ! मथुरबाबू शांति से अपने कमरे में बैठे थे और बाहर के […]

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परमहंस – ४५

परमहंस – ४५

शादी हो जाने के बाद रामकृष्णजी लगभग डेढ़ साल कामारपुकूर में अपने घर रहे। उनकी पत्नी शारदामणि के चाचा गुस्सा होकर उसे मायके ले गये थे। उसकी स्वयं की ऐसी कोई तक़रार थी ही नहीं। इस कारण, उसके कुछ ही दिनों में रामकृष्णजी उसके घर जाकर, उनके ससुरजी को समझाबुझाकर, उसे पुनः वापस ले आये […]

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परमहंस-४४

परमहंस-४४

‘तुम लोग नाहक समय जाया कर रहे हो। मेरी नियत पत्नी, जयरामबटी गाँव में रामचंद्र मुखोपाध्यायजी के घर में मेरी राह देख रही है….!’ इस रामकृष्णजी के कथन से घर में एक ही सनसनी मच गयी। ‘ये क्या यह ‘पागलों जैसी’ बातें कर रहा है? एक तो इसी के ऐसे बर्दाव के कारण इसे कोई […]

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परमहंस- ४३

परमहंस- ४३

गदाई हालाँकि घर वापस लौटा था और माँ की प्यारभरी देखरेख में उसकी तबियत हालाँकि सुधरने लगी थी, मग़र फ़िर भी उसकी मानसिक स्थिति में कुछ भी बदलाव आने के आसार दिखायी नहीं दे रहे थे। जब वह हररोज़ उठकर स्मशान में जाकर बैठता है, इस बात का माँ को पता चला, तब उसके सीने […]

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परमहंस-४२

परमहंस-४२

कालीमाता के पहले दर्शन के बाद रामकृष्णजी हालाँकि आध्यात्मिक ऊँचाई की एक एक पायदान चढ़ते हुए नये मुक़ाम हासिल कर रहे थे, मग़र फिर भी इस धुन में वे अपनी तबियत को अनदेखा कर ही रहे थे। राणी राशमणि, मथुरबाबू तथा हृदय इन रामकृष्णजी के तीनों सुहृदों का दिल इस बात से पल पल टूट […]

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परमहंस-४१

परमहंस-४१

इन हलधारी का रामकृष्णजी के बारे में मत, कम से कम शुरुआती दौर में तो दोलायमान ही रहा। कभी कभी रामकृष्णजी उन्हें पूरे पागल प्रतीत होते थे; वैसा उन्होंने हृदय को कई बार बताया भी था। ख़ासकर वे जब अपनी तांत्रिक उपासनाओं के कारण अहंकार के आधीन हो जाते थे, तब उनका मत इस तरह […]

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परमहंस-४०

परमहंस-४०

हलधारी राधाकृष्णमंदिर की नित्य पूजन-उपासना में तंत्रमार्ग या फिर अन्य अनिष्ट पद्धतियाँ अपना रहे हैं, ऐसी लोगों में शुरू हुई खुसुरफुसुर रामकृष्णजी तक पहुँची। लेकिन हलधारी का गुस्सैल स्वभाव मशहूर रहने के कारण और उनके द्वारा उच्चारित शापवाणि सच हो जाती है, ऐसी धारणा प्रचलित रहने के कारण लोग उन्हें सीधे सीधे बोलने से डर […]

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परमहंस-३९

परमहंस-३९

ईश्‍वरदर्शन की परमव्याकुलता से रामकृष्णजी ने हालाँकि पहले जगदंबा के दर्शन और फिर बाद में सीतामैय्या के दर्शन प्राप्त किये थे, मग़र फिर भी वह व्याकुलता उनके शरीर पर असर कर ही रही थी। अहम बात यह थी कि वे उपासना के एक मार्ग से सन्तुष्ट न होते हुए, उपासना के दास्यभक्ति, सख्यभक्ति, वात्सल्यभक्ति आदि […]

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परमहंस- ३८

परमहंस- ३८

कालीमाता के दर्शन प्राप्त होने के बाद ‘रघुबीर’ श्रीराम के दर्शन पाने की इच्छा रामकृष्णजी पर हावी हो गयी थी और श्रीराम को प्राप्त करने का राजमार्ग यानी हनुमानजी का अनुकरण, यह ज्ञात होने के कारण रामकृष्णजी आर्ततापूर्वक, स्वयं में अधिक से अधिक ‘हनुमान-भाव’ आयें इसलिए जानतोड़ प्रयास कर रहे थे। राणी राशमणि और मथुरबाबू […]

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परमहंस- ३७

परमहंस- ३७

वात्सल्यभक्ति, सख्यभक्ति, दास्यभक्ति ऐसे भक्ति के विभिन्न प्रकारों का रामकृष्णजी अपने इस आध्यात्मिक प्रवास में अनुभव कर रहे थे। अब राणी राशमणि तथा मथुरबाबू – दोनों भी रामकृष्णजी की ओर अत्यधिक आदर के साथ देखने लगे थे। कई बार वे रामकृष्णजी की नित्यपूजा – उनकी अपनी पद्धति से – चलते समय मंदिर में आते। कभीकभार […]

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