परमहंस- ६

परमहंस- ६

जिसका जन्म हो जाते ही जिसके बारे में ईश्वरीय लीलाएँ देखने को मिली थीं, वह ‘वह’ बालक – गदाधर – प्रतिदिन अपने मातापिता का आनंद दुगुना कर रहा था। केवल मातापिता को ही नहीं, बल्कि उसके दीदार करनेवाले हर एक को ही, आनंद का ही अनुभव हो जाता था, जैसे नन्हें कन्हैया को देखनेवाले गोपगोपिकाओं […]

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परमहंस- ५

परमहंस- ५

बुधवार १७ फ़रवरी १८३६ के ब्राह्ममुहुर्त पर, फाल्गुन शुक्ल द्वितीया को खुदिरामजी तथा चंद्रमणीदेवी चट्टोपाध्याय के घर ‘उस’ तेजस्वी बालक का जन्म हुआ था। उन दोनों जितना ही दाई धनी लुहारन को भी आनंद हुआ था। लेकिन ज़्यादा न सोचते हुए उसने उस बालक को ठीक से साफ़सुथरा कर उसकी माँ की बगल में रखा […]

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परमहंस- ४

परमहंस- ४

खुदिराम एवं चंद्रमणीदेवी को हुए उन दिव्य दृष्टांतों के बाद वे दोनों भी आगे घटित होनेवाली ‘उस’ दिव्य घटना की बेसब्री से प्रतीक्षा करने लगे। उससे पहले के – रामकुमार, रामेश्वर एवं कात्यायनी इन तीन सन्तानों के बाद अब इस ईश्वरीय सन्तान का आगमन होनेवाला था। इस प्रतीक्षा के दौर में, आम तौर पर ‘शुभशकुन’ […]

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परमहंस-३

परमहंस-३

कामारपुकूर में धीरे धीरे खुदिरामजी का जीवन सुचारु रूप से जम रहा था। वैसे तो वे पहले से ही धार्मिक वृत्ति के होने के कारण, जैसा हो सके वैसी तीर्थस्थलों की यात्राएँ भी करते थे। यहाँ कामारपुकूर में थोड़ाबहुत जीवन दस्तूरी हो जाने के बाद खुदिराम ने रामेश्वर की यात्रा की थी। उसके कुछ समय […]

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परमहंस-२

परमहंस-२

दौर लगभग उन्नीसवीं सदी के पूर्वाध का…. स्थल कामारपुकूर….कोलकाता की वायव्य दिशा में लगभग साठ किलोमीटर की दूरी पर, शहर की भीड़ का संसर्ग न रहनेवाला, हुगळी ज़िले में बसा एक छोटासा गाँव….छोटा यानी इतना छोटा कि मानो गाँव के एक कोने में कोई फुसफुसाया, तो गाँव के दूसरे कोने में सुनायी दें! चावल की […]

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परमहंस- १

परमहंस- १

‘‘रामकृष्ण परमहंस का जीवनचरित्र यानी दैनंदिन जीवन में भी धर्मपालन किस तरह किया जा सकता है, इसकी मूर्तिमान् मिसाल ही है। उनके जीवनचरित्र का पठण हमें, परमात्मा का साक्षात्कार प्राप्त कर लेने के लिए आवश्यक रहनेवाली मन की बैठक प्रदान करता है। उनके जीवनचरित्र का अध्ययन करते हुए, ‘परमात्मा यही एकमात्र सत्य है और बाक़ी […]

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