ईमर्जन्सी ख़त्म होने के बाद…

ईमर्जन्सी ख़त्म होने के बाद…

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ५४ ४ जुलाई १९७५ को पूजनीय सरसंघचालक को गिरफ़्तार किया गया था। २१ मार्च १९७७ को उन्हें रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद बाळासाहब देवरस मुंबई आ रहे थे। रास्ते में कल्याण स्टेशन पर उनके स्वागत के लिए भारीभरक़म भीड़ जमा हुई। पूरे २१ महीनें बाद स्वयंसेवकों को […]

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जेल नहीं, बल्कि सरकारी खर्चे से चलनेवाला शिबिर

जेल नहीं, बल्कि सरकारी खर्चे से चलनेवाला शिबिर

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ५३  एक लाख स्वयंसेवक और संघ के वरिष्ठ अधिकारी देश की विभिन्न जेलों में थे। इमर्जन्सी और कितने समय तक जारी रहनेवाली है, यह कोई भी नहीं जानता था। लेकिन देश के लिए दीर्घकालीन संघर्ष का सामना करने की तैयारी स्वयंसेवकों ने की थी। जेल में रहनेवाले और भूमिगत […]

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संघ का नेटवर्क

संघ का नेटवर्क

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ५२ देश भर के एक लाख स्वयंसेवकों के जेल में होने के बावजूद भी संघ इमर्जन्सी के दौरान प्रभावशाली रूप से काम कर रहा था। संघ के कड़े विरोधक भी इससे आश्‍चर्यचकीत हो गये थे। पुलिस का दमनतंत्र जितनी मात्रा में बढ़ रहा था, उतनी ही मात्रा में संघ […]

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इमर्जन्सी की असंतुष्टता

इमर्जन्सी की असंतुष्टता

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ५१ इमर्जन्सी के घोषित हो जाने के बाद सरकार का दमनतंत्र देशभर में जोर से शुरू हो गया। केवल सरकार के खिलाफ़ होने के शक़ से कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। संघ के साथ संलग्न होनेवाले लोगों पर भी पुलिस के अत्याचार शुरू हो […]

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दूसरी सत्त्वपरीक्षा

दूसरी सत्त्वपरीक्षा

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ५० डॉक्टर हेडगेवार जी का निधन होने के पश्‍चात् श्रीगुरुजी के पास संघ का नेतृत्व आ गया। इस दौरान द्वितीय विश्‍वयुद्ध चल रहा था। यह दौर दुनिया भर के नेताओं के नेतृत्वगुणों की कसौटी का दौर था। उस दौर में गुरुजी ने संघ को अद्भुत नेतृत्व दिया। गुरुजी के […]

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ध्येय-अनुवर्ती

ध्येय-अनुवर्ती

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४९ गुरुजी का निधन होने के बाद संघ की प्रगति के संदर्भ में चिन्ता व्यक्त करने वाला लेख ‘स्टेट्समन’ नाम के एक पश्‍चिमी समाचारपत्र ने प्रकाशित किया था। डॉक्टर हेडगेवार जी और गुरुजी के द्वारा बनाये गये इस विशाल संगठन का आगे चलकर क्या होगा, क्या नया नेतृत्व राष्ट्रीय […]

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तीसरे सरसंघचालक- बाळासाहब

तीसरे सरसंघचालक- बाळासाहब

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४८ बाळासाहब ने सन १९६० से अपने आपको पुनः संघकार्य में समर्पित कर दिया। उस दौरान गुरुजी का देशभर में प्रवास शुरू था। ऐसे समय बाळासाहब नागपुर में रहकर संघ के कार्य का सूत्रसंचालन करते थे। ‘सरकार्यवाह’ पद की ज़िम्मेदारी सँभाल रहे भैयाजी दाणी का स्वास्थ्य बढ़ती उम्र के […]

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बाळासाहब की कार्यशैली

बाळासाहब की कार्यशैली

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४७ बाळासाहब की कार्यशैली बहुत ही अनोखी थी। स्वयंसेवकों को जनता के साथ लगातार संपर्क रखना चाहिए, ऐसा बाळासाहब का आग्रह रहता था। जो संघ की शाखा में नियमित रूप से उपस्थित रहता है, वही संघ का है, ऐसा मानने का कारण नहीं है। बल्कि, संघ की शाखा के […]

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संघकार्य-राष्ट्रकार्य

संघकार्य-राष्ट्रकार्य

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४६ हमारा देश विभिन्नता से सजा हुआ है। देश के हर एक प्रान्त की अपनी ऐसी एक विशेषता है। इसी कारण देश के किसी भी प्रान्त में काम करने की ज़िम्मेदारी जब संघ के प्रचारक को सौंपी जाती है, तब पहले उसे उस प्रान्त की भाषा और जीवनपद्धति अपनानी […]

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बाळ पर्व

बाळ पर्व

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४५ सन १९२५   में ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना हुई। सन १९२६  में वर्धा में और उसके बाद नागपुर में संघ की शाखाएँ शुरू हुईं। नागपुर की शाखा में बिलकुल शुरू से जो चार-पाँच बच्चे डॉक्टर हेडगेवारजी के साथ उपस्थित रहते थे, उनमें बाळ देवरस, माधव मुळ्ये, एकनाथ रानडे, […]

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