‘लिथियम’ से संबंधित भारत-अर्जेंटिना समझौते के लिए मंत्रिमंड़ल की मंज़ुरी

नई दिल्ली – ‘लिथियम’ के भंड़ारों की खोज़, खनन और इसका लाभ उठाने के लिए अर्जेंटिना के साथ समझौता करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंड़ल ने मंज़ुरी प्रदान की है। देश में ईलेक्ट्रिक वाहन एवं अन्य इलेक्ट्रिक सामान के लिए आवश्‍यक बैटरीज्‌ बनाने के लिए आवश्‍यक लिथियम की माँग बढ़ रही है। भविष्य में होनेवाली इसकी ज़रूरत पूरी करने के लिए एवं लिथियम प्राप्त करने के लिए, चीन पर बनी निर्भरता कम करने के नज़रिये से अर्जेंटिना के साथ समझौता करने के लिए हो रही तैयारी काफी अहम साबित होती है।

Lithium-indo-argentina-deal-01मौजूदा समय में भारत भारी मात्रा में लिथियम बैटरीज्‌ की आयात कर रहा है। साथ ही, भारत में तैयार हो रहीं लिथियम बैटरीज्‌ के लिए आवश्‍यक लिथियम की भी भारत को भारी मात्रा में आयात करनी पड़ रही है। भारत में हो रहीं लिथियम की सबसे अधिक आयात चीन से होती है। लेकिन, भविष्य में देश में लिथियम बैटरीज्‌ की माँग अधिक बढ़ती रहेगी और इसके लिए किसी दूसरे देश पर निर्भर रहना भारत के लिए संभव नहीं होगा। साथ ही, चीन पर बनी निर्भरता को कम करना है, तो भारत को अन्य विकल्पों की खोज़ करना आवश्‍यक है। भारत सरकार ने ई-वाहनों के लिए आवश्‍यक लिथियम बैटरीज्‌ का १०० फीसदी उत्पादन भारत में ही करने का लक्ष्य तय किया है। साथ ही, वर्ष २०३० तक भारत को १०० प्रतिशत ई-वाहनों का देश बनाने का लक्ष्य भी सरकार ने रखा है।

Lithium-indo-argentina-dealइस पृष्ठभूमि पर, भारत ई-वाहनों के साथ ही लैपटॉप और मोबाईल की रिचार्जेबल बैटरीज्‌ के लिए आवश्‍यक लिथियम की सप्लाई सुरक्षित करने की कोशिश कर रहा है। इसी नज़रिये से लिथियम से समृद्ध दक्षिणी अमरिकी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश भी भारत कर रहा है। कुछ महीनें पहले भारत के ‘खनिज विदेश लिमिटेड’ कंपनी ने, इसी विषय में अर्जेंटिना के साथ समझौता किया होने का वृत्त था। देश को आवश्‍यक खनिजों की खरीद करने का ज़िम्मा ‘खनिज विदेश लिमिटेड’ कंपनी को दिया गया है। इस कारण, इस वृत्त की अहमियत बनती है।

अब भारत सरकार के खदान मंत्रालय और अर्जेंटिना के उत्पादक विकास मंत्रालय के खदान संबंधित नीति के सचिवालय के बीच ‘लिथियम’ संबंधित समझौता हो रहा है। इससे संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए बुधवार के दिन केंद्रीय मंत्रिमंड़ल ने मंज़ुरी प्रदान की। लिथियम जैसें खनिज़ की, भविष्य में होनेवाली आपूर्ति सुरक्षित करने के लिए यह समझौता रणनीतिक नज़रिये से काफी अहम साबित होगा। लिथियम के भंडारों की खोज करना, वहाँ की खनन क्षमता की जाँच करना, खनन एवं खदान क्षेत्र में निवेश और लिथियम की सप्लाई करना, इसके लिए यह समझौता किया जा रहा है। इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच तकनीक और वैज्ञानिक जानकारी का आदान-प्रदान, प्रशिक्षण, क्षमता बढ़ाने के लिए भी सहयोग शुरू होगा।

इसी बीच, अर्जेंटिना के साथ ही इसी क्षेत्र के चिली और बोलिव्हिया के साथ भी भारत लिथियम प्राप्त करने के लिए समझौता करने की तैयारी में होने की खबरें पहले ही प्राप्त हुईं थीं। अर्जेंटिना, चिली और बोलिव्हिया ये तीन पड़ोसी दक्षिणी अमरिकी देश ‘लिथियम ट्रैंगल’ के तौर पर जाने जाते हैं। इसके अलावा फ़रवरी महीने में, लोकसभा में रखे लिखित जवाब में यह जानकारी दी गई थी कि भारत में कर्नाटक राज्य में स्थित मांड्या जिले में कुछ मात्रा में लिथियम के भंड़ार बरामद हुए हैं। मांड्या में १,६०० टन लिथियम मौजूद होने की खोज हुई है। क्या भारत में अन्य स्थानों पर भी इस तरह के भंड़ार मौजूद हैं, इसकी खोज जारी है।

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