पूर्वोत्तर भारत में ‘ब्रह्मोस’ की तैनाती यह चीन के लिए खतरा : चिनी सेना के मुखपत्र का दावा

बिजींग, दि. २३ (वृत्तसंस्था) – भारत ने चीन के क़रिबी सीमावर्ती इलाके में संरक्षणसिद्धता बढाने का निर्णय लिया है और इसके तहत, यहाँ पर ‘माऊंटन वॉरफेअर’ के लिए विकसित किए गए ‘ब्रह्मोस’ प्रक्षेपास्त्रों को तैनात किया है| ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र की इस तैनाती पर चीन से प्रतिक्रिया आई है और चिनी लष्कर के मुखपत्र ‘पीएलए डेली’ ने भारत को धमकी दी है| ब्रह्मोस की तैनाती का चीन से जवाब मिल सकता है, ऐसा इस दैनिक ने कहा|

‘ब्रह्मोस’भारत ने किये इस फ़ैसले की वजह से इस क्षेत्र में अस्थिरता निर्माण होगी| इस निर्णय का भारत और चीन के संबंध पर नकारात्मक असर होगा, ऐसा ‘पीएलए डेली’ ने कहा| चीन के तिबेट और युनान इन प्रांतों को भारत ने तैनात किए ब्रह्मोस की वजह से ख़तरा है, ऐसा दावा इस दैनिक ने किया है| भारत द्वारा इस तरह के निर्णय लिये जाने पर चीन से प्रतिक्रिया आ सकती है| इसी तरह के निर्णय लेकर चीन भारत को जवाब दे सकता है, ऐसा दावा इस दैनिक के सदर लेख में किया गया है|

भारत के इस निर्णय की वजह से दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ सकता है और इस क्षेत्र की स्थिरता ख़तरे में आ सकती है| ब्राह्मोस जैसे अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र की तैनाती की वजह से, भारत द्वारा चीन पर हमला किया जाने का ख़तरा और भी बढ़ा है, ऐसा दावा इस दैनिक ने किया| पिछले कुछ महीनों से भारत अपने पूर्वोत्तर इलाकों में रक्षा सिद्धता बढा रहा है| इस बात को इस दैनिक ने गंभीरता से लिया है| भारत ने पूर्वोत्तर इलाके में चीन से सटे सीमावर्ती इलाकें में ‘सुखोई-३० एमकेआय’ और ड्रोन्स तैनात करने का निर्णय लिया है| इस बात की ओर इस दैनिक ने ध्यान आकर्षित किया है|

ब्रह्मोस हालाँकि चीन की सीमा से सटें इलाकों में तैनात किया है, लेकिन यह प्रक्षेपास्त्र चीन की भूमि में भीतर तक हमला करने की क्षमता रखता है, ऐसा कहते हुए, इससे चीन की सुरक्षा को काफ़ी बड़ा ख़तरा हो सकता है, ऐसा इस दैनिक ने कहा| इसी दौरान कुछ दिनों पहले भारत के गृहराज्यमंत्री ने, अरुणाचल प्रदेश के पासी इलाक़े में आधुनिक हवाई रन-वे को लोकार्पण किया था| इस वजह से यहाँ पर आधुनिक लडाकू विमानों को उतरना आसान होगा| यह चीन से सटे सीमावर्ती इलाकों में रक्षादल की क्षमता बढ़ाने की कोशिश का भाग माना जा रहा है| पिछले कुछ सालों से चीन ने, भारत से सटे अपने सीमावर्ती इलाकों में रक्षा सिद्धता बड़े पैमाने पर बढाई है| इसी वजह से भारत को यह निर्णय लेना पड़ा है|

कुछ वर्ष पहले चीन ने, तिब्बत में और भारत की सीमा से सटे अपने अन्य भूभागों में सड़कों और रेल का जाल बुना है| इससे चीन एक महिने से भी कम समय में एक लाख सेना इस इलाक़े में तैनात कर सकता है, ऐसा अहवाल भारतीय लष्कर ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिया था|

इसके बाद, सीमावर्ती इलाकों के तैनात रक्षादल की क्षमता बढ़ाने के अलावा भारत के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है ऐसा राजनीतिकों तथा सामरिक विश्‍लषकों का कहना है| सन १९६२ में असावधान भारत पर हमला कर विश्‍वासघात करनेवाले चीन पर, आनेवाले समय में कभी भी भरोसा नहीं रख सकते, ऐसा सामरिक विश्‍लेषकों द्वारा प्रतिपादित किया जा रहा है|

इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने अपनी सुरक्षाव्यवस्था में आक्रामक बदलाव किए हैं और चीन से सटे अपने सीमाक्षेत्र में भारतीय रक्षादलों ने अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए योजनाबद्ध तरीक़े से कोशिशें शुरू की हैं|

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