भारत को ‘एफ-१६’ और ‘एफ-१८’ प्रदान करने पर, भारत-अमरीका का सहयोग ऊँचे स्तर पर जायेगा- अमरीका के उपमंत्री का दावा

नई दिल्ली: अमरीका ने एफ-१६ एवं एफ-१८ लड़ाकू विमान भारत को प्रदान करने का निर्णय लिया है और इस से भारत के साथ अमरीका का सामरिक सहयोग एक नए ऊंचे स्तर पर पहुंच रहा है, ऐसा अमरीकी विदेश मंत्रालय के मध्य एवं दक्षिण आशिया विभाग की उपमंत्री ऐलिस वेल्स ने कहा है। प्रशांत महासागर क्षेत्र को सुरक्षा देने वाले देश के तौर पर अमरीका भारत की तरफ देख रहा है। दोनों देशों में यह संरक्षण विषयक व्यवहार अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिस की तरफ वेल्स ने अमरिकन सीनेट के उप-समिति का ध्यान केंद्रित किया है।

अमरिकन सीनेट के उप-समिति के सामने हुए सुनवाई के दौरान वेल्स ने एफ-१६ और एफ-१८ भारत को प्रदान करने के प्रस्ताव पर जोरदार समर्थन किया है। लॉकहीड मार्टिन यह अमरीका के अग्रगण्य संरक्षण साहित्य का निर्माण कर रही कंपनी से एफ-१६ तैयार किए जा रहा हैं और बोइंग कंपनी एफ-१८ का निर्माण करती है। यह दोनों लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल दुनियाभर के प्रमुख देशों से किया जाता है। कुछ दिनों पहले ही भारत में टाटा समूह के कंपनी के साथ लॉकहीड मार्टिन में हुए करार के अनुसार भारत में जल्द ही एफ-१६ का निर्माण किया जाएगा। फिर भी भारतीय सुरक्षा दल ने अब तक एफ-१६ और एफ-१८ की खरीदारी पर निर्णय न होने की बात घोषित की थी।

इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका के सीनेट में भारत को एफ-१६ प्रदान करने के बारे में हुई चर्चा से इस बात का महत्व बढ़ा है। भारत की वायुसेना को करीब २०० से अधिक लड़ाकू विमानों की तत्काल आवश्यकता है। चीन एवं पाकिस्तान से मिलने वाली चुनौतियों की पृष्ठभूमि पर भारत जल्द से जल्द इन लड़ाकू विमानों के खरीदारी के लिए गतिविधियां कर रहा है। साथ ही इन विमानों का निर्माण भारत में हो इसके लिए भारत प्रयत्न कर रहा है। भारत की आवश्यकता ध्यान में रखते हुए रशिया, फ्रांस, स्वीडन यह देश की कंपनियां भारत को लड़ाकू विमान प्रदान करने के लिए उत्सुक है। उनमें कई देशों की कंपनियां भारत को यह तकनीक प्रदान करने की तैयारी दिखा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में अमरीका एफ-१६ एवं एफ-१८ विमान भारत को प्रदान करने की तैयारी दिखा रहा है। इस व्यवहार की वजह से भारत के साथ अमरीका के सामरिक सहयोग एक नए ऊंचे स्तर पर जाएगा, यह कहते वेल्स ने इस व्यवहार का महत्व रेखांकित किया है।

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