‘नाटो’ की सदस्यता के बजाय यूक्रेन के लिए ‘इस्रायल मॉडेल’ अपनाने के बायडेन प्रशासन के संकेत

वॉशिंग्टन/किव – यूरोप के कुछ देश यूक्रेन को नाटो की सदस्यता देने के लिए पहल कर रहे हैं और इसी बीच अमरीका में ‘इस्रायल मॉडेल’ की चर्चा शुरू हुई है। अमरीका का बायडेन प्रशासन इसपर सोच रहा हैं, ऐसा वृत्त अमरिकी माध्यमों ने दिया है। इस वजह से यूक्रेन का नाटो में शामिल होने का सपना अधूरा रहने की संभावना है और यह मुद्दा राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की के लिए खतरे की घंटी होगी।

अगले महीने लिथुआनिया में नाटो की अहम बैठक हो रही है। इसमें स्वीडन की सदस्यता के साथ ही यूक्रेन की नाटो सदस्यता पर चर्चा होगी। नाटो हमारी सदस्यता का रोड मैप पेश करें, तो ही हम इस बैठक में शामिल होंगे, ऐसी चेतावनी यूक्रेन की सरकार ने दी है। यूक्रेन की इस चेतावनी के कारण कुछ यूरोपिय देशों में नाराज़गी है और जर्मनी एवं हंगरी ने यूक्रेन के मुद्दे को प्राथमिकता देने से इनकार किया है।

इसी पृष्ठभूमि पर बायडेन प्रशासन ने इस्रायल मॉडेल के प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की है। इस्रायल नाटो का सदस्य नहीं हैं और ‘नाटो प्लस’ का हिस्सा है। अमरीका ने इस्रायल की सुरक्षा के लिए उस देश के साथ स्वतंत्र समझौता किया है और इसके अनुसार अमरीका इस्रायल को भारी मात्रा में रक्षा सहायता प्रदान करती है। इस सहायता के लिए १० वर्ष की समय सीमा तय की गई हैं और यह समय सीमा लगातार बढ़ाई जा रही है। अमरीका ने इस्रायल की सुरक्षा की गारंटी भी उठाई है।

नाटो की सदस्यता प्राप्त होने पर सभी सदस्य देशों से हथियारों की आपूर्ति, रक्षा सहायता एवं ‘कलेक्टिव डिफेन्स गारंटी’ का समावेश है। इसके अनुसार नाटो के किसी भी सदस्य देश पर हमला हुआ तो सभी नाटो सदस्य देश उसकी सुरक्षा के लिए जंग में उतरेंगे, ऐसा प्रावधान है। लेकिन, यूक्रेन की नाटो सदस्यता को लेकर बना विवाद और रशिया की ‘रेड लाईन’ के मद्देनज़र अमरीका ने इसका विकल्प रखने की तैयारी शुरू की हुई दिख रही है।

अमरीका के इस प्रस्ताव का यूक्रेन से तीव्र विरोध होने की संभावना है। वर्ष २००८ से यूक्रेन नाटो की सदस्यता पाने की कोशिश कर रहा है। रशिया ने पिछले वर्ष यूक्रेन पर हमला करने के लिए यही प्रमुख वजह बनी थी। इस पृष्ठभूमि पर नाटो की सदस्यता छोड़ने के लिए यूक्रेन की सरकार तैयार नहीं होगी, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

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