बायडेन प्रशासन ने रखी यूक्रेन के लिए आर्थिक सहायता की माँग – अमरिकी संसद में ११.७ अरब डॉलर्स का प्रस्ताव

वॉशिंग्टन/किव/मास्को – अमरिकी संसद ने कुछ महीनें पहले यूक्रेन के लिए ४० अरब डॉलर्स की आर्थिक सहायता मंजूर की थी। लेकिन, इसके बाद भी बायडेन प्रशासन ने अब अतिरिक्त सहायता की माँग रखी हैं। यूक्रेन को हथियारों की सहायता एवं आर्थिक सहायता के तौर पर ११.७ अरब डॉलर्स का नया प्रस्ताव तैयार किया गया हैं। अमरीका का प्रशासन यूक्रेन को अधिक सहायता प्रदान करने की तैयारी कर रहा हैं और इसी बीच पूर्व अधिकारी ने यह सलाह दी है कि, यूक्रेन बातचीत करने की तैयारी शुरू करें। यूक्रेन युद्ध ज्यादा समय तक जारी रखने की नाटो की क्षमता खत्म हो रही हैं, इसपर अमरीका के पूर्व सैन्य अधिकारी ब्रिगेडिअर जनरल मार्क टी.किमिट ने ध्यान आकर्षित किया। इसी बीच यह भी वृत्त प्रसिद्ध हुआ है कि, जर्मनी की हुकूमत का हिस्सा होनेवाले ‘एसपीडी’ दल ने भी शांतिवार्ता की कोशिश करने का आवाहन किया हैं।

फ़रवरी महीने के अन्त में शुरू हुए रशिया-यूक्रेन युद्ध के छह महीनों से भी अधिक समय बीता हैं। इस दौरान र शिया ने डोन्बास क्षेत्र के बड़े हिस्से के साथ दक्षिण यूक्रेन के दो प्रांतों पर नियंत्रण पाया हैं। यूक्रेन का सैन्य अभियान अभी कुछ समय तक जारी रहेगा, ऐसें संकेत राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ रशिया के वरिष्ठ नेताओं ने दिए हैं। इसी बीच दूसरीं ओर रशिया ने कब्ज़ा किए सभी हिस्सों पर नियंत्रण स्थापित किए बिना यूक्रेन रुकेगा नहीं, यह इशारा यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर झेलेन्स्की ने दिया है। इसके लिए पश्‍चिमी देश यूक्रेन को अधिक से अधिक सहायता प्रदान करते रहें, ऐसी भूमिका बड़े आग्रह से झेलेन्स्की ने दिखाई हैं। झेलेन्स्की के आवाहन पर अमरीका और ब्रिटेन ने सक्रिय प्रतिक्रिया दी है, फिर भी यूरोपिय देशों की सहायता प्रदान करने की गति धीमी हुई हैं। इस पृष्ठभूमि पर अमरीका के पूर्व अधिकारी की सामन आयी सलाह ध्यान आकर्षित कर रही है।

मार्क टी. किमिट न युद्ध खत्म करने के लिए चार विकल्पों का ज़िक्र किया है और इसमें प्रमुखता से हथियारों की आपूर्ति बढ़ाने का समावेश है। लेकिन, यह कते हुए अमरीका और नाटो सदस्य देशों के अतिरिक्त हथियारों का भंड़ार तेज़ीसे खत्म हो रहा है, इसपर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। इस वजह से आखरी विकल्प के तौर पर युद्धविराम की बातचीत के लिए तैयार रहना ही है, ऐसा किमिट ने कहा। ‘फिलहाल बातचीत शुरू करने के लिए सही स्थिति नहीं है, फिर भी सहायता की कमी सेना के मनोबल पर असर करनेवाला घटक बनता हैं, इसका अहसास राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की को रखना होगा। सीर्फ सेना ही नहीं, बल्कि यूक्रेन की जनता को भी इसकी कल्पना देनी होगी। राजनीतिक हल के लिए गतिविधियाँ शुरू करना मुमकिन हो, कई लोगों को पसंत नहीं होगा, लेकिन स्थिति अधिक बिगड़ने के बजाय अभी ही चर्चा की शुरूआत करना उचित साबित होगा। किसी भी तरह की सहुलियत दिए बिना अस्थायी हल निकालने की कोशिश करनी होगी’, ऐसी सलाह मार्क टी.किमिट ने दी।

जर्मनी की हुकूमत का हिस्सा होनेवाले ‘एसपीडी’ दल ने भी सरकार ने रशिया-यूक्रेन शांतिवार्ता के लिए कोशिश करने की आवश्‍यकता होने पर ध्यान आकर्षित किया है। फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने भी रशिया-यूक्रेन चर्चा की राह खुली रहनी चाहिये, यह बयान किया है।

इसी बीच, रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने यह आरोप लगाया है कि, अमरीका और पश्‍चिमी देश १९९१ की तरह फिर एक बार रशिया को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, इस बार उनकी कोशिश ‘डूम्सडे’ को न्यौता देनेवाली साबित होंगी, ऐसी कड़ी चेतावनी मेदवेदेव ने दी है।

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