परमाणु समझौते पर चर्चा करनेवाली अमरीका ईरान को परमाणु-अस्त्र-सिद्ध बनने से रोकें – सऊदी अरब की माँग

nuclear-deal-us-iranजेद्दाह/पॅरिस – ‘परमाणु समझौते में रोड़े अटकाने में अथवा इस समझौते को रोकने में सऊदी अरब को दिलचस्पी नहीं है। लेकिन परमाणु समझौते पर चर्चा करनेवाली अमरीका पहले इसकी पूरी तरह तसल्ली कर लें कि ईरान परमाणु-अस्त्र-सिद्ध नहीं होगा अथवा वैसी क्षमता विकसित नहीं करेगा’, ऐसी माँग सऊदी अरब ने की है। वियना में परमाणु समझौते पर जारी चर्चा की पृष्ठभूमि पर, ईरान ने युरेनियम का संवर्धन ६० प्रतिशत तक ले जाने की घोषणा की है। ईरान की इस घोषणा से सनसनी मची होकर ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी ने भी इसपर तीव्र चिंता जाहिर की है। ऐसी परिस्थिति में सऊदी ने अमरीका के सामने यह माँग करके बायडेन प्रशासन को चेतावनी दी दिख रही है।

अमरीका और ईरान के बीच वियना में जारी अप्रत्यक्ष चर्चा को एक हफ्ता पूरा हो रहा है। ईरान को प्रतिबंधमुक्त करने की माँग पर ईरान अडिग है। अपनी माँग मान्य किए बगैर ईरान सन २०१५ के परमाणु समझौते में सहभागी नहीं होगा, ऐसी भूमिका ईरान ने अपनाई है। साथ ही, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम की रफ्तार प्रचंड बढ़ाई होकर, युरेनियम संवर्धन ६० प्रतिशत तक ले जाने की घोषणा राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने बुधवार को की।

nuclear-deal-us-iranइस घोषणा के कुछ ही घंटों में ईरान युरेनियम संवर्धन ६० प्रतिशत तक ले जाने के नजदीक पहुँचा होने की बात अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग ने भी मान्य की। अगले कुछ दिनों में ईरान यह लक्ष्य हासिल करेगा, ऐसा आयोग ने स्पष्ट किया। युरेनियम का संवर्धन ६० प्रतिशत तक ले जाना यानी सन २०१५ में हुए परमाणु समझौते का खुलेआम उल्लंघन होने की आलोचना इस्रायल और सऊदी अरब कर रहे हैं। छः साल पहले हुए समझौते के अनुसार, युरेनियम का संवर्धन ३.६७ प्रतिशत तक मर्यादित रखना ईरान के लिए आवश्यक था। ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रफ्तार चिंताजनक होने की आलोचना इस्रायली माध्यम कर रहे हैं।

ईरान की घोषणा की दखल देकर सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अमरीका के सामने अपनी माँग रखी। ‘नये से होनेवाला परमाणु समझौता ईरान को दीर्घ समय के लिए बंधन में रखने वाला हों। इस परमाणु समझौते के बल पर ईरान परमाणु अस्त्र निर्माण ना कर सकें अथवा उसके लिए आवश्यक समझता भी विकसित ना कर सकें, इसकी पूरी ज़िम्मेदारी ईरान के साथ परमाणु समझौता करनेवाली अमरीका की होगी’, ऐसा सऊदी के विदेश मंत्रालय ने जताया।

nuclear-deal-us-iranइस समझौते में ईरान के क्षेपणास्त्रों पर और इस क्षेत्र के आतंकवादी गुटों को ईरान से होनेवाले समर्थन पर रोक लगाने के मुद्दों का भी समावेश हो, ऐसी माँग सऊदी ने की। साथ ही, ईरान के साथ परमाणु समझौता करने के लिए चल रही इस चर्चा में इस क्षेत्र के देशों को भी सहभाग मिलें, ऐसी माँग भी सऊदी ने फिर से की। इससे पहले भी सऊदी तथा युएई ने, अमरीका के बायडेन प्रशासन के पास ऐसी माँग की थी कि ईरान के साथ चल रही चर्चा में खाड़ी क्षेत्र के देशों को भी शामिल किया जाएँ। लेकिन बायडेन प्रशासन ने सऊदी की इस माँग को अनदेखा किया।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम ने पकड़ी रफ्तार पर ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी इन युरोप के ‘ई-३’ देशों ने भी चिंता जाहिर की। अपने परमाणु कार्यक्रम में युरेनियम का संवर्धन ६० प्रतिशत तक ले जाने का ईरान का फैसला विश्‍वासार्ह कारणों पर आधारित नहीं है, ऐसी आलोचना इन ‘ई-३’ देशों ने की है। इसी बीच, हालाँकि युरेनियम के संवर्धन के बारे में ईरान ने की घोषणा की मित्रदेशों द्वारा आलोचना की जा रही है, फिर भी अमरीका का बायडेन प्रशासन ईरान के साथ चर्चा करने पर अडिग है।

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