ऑस्ट्रेलिया-चीन व्यापारयुद्ध हुआ तेज़

कैनबेरा/बीजिंग – ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच जारी व्यापारयुद्ध तेज़ हुआ है और चीन ने ऑस्ट्रेलिया के सात उत्पादनों का आयत रोकने के संकेत दिए हैं। चीन ने अधिकृत स्तर पर अभी निर्णय घोषित नहीं किया है। फिर भी चीनी उद्योगों को ऑस्ट्रलियन उत्पादनों का आयात बंद करने के संकेत दिए गए है। इन उत्पादनों में प्रॉन्स, लकड़ी, शक्कर, कोयला, कॉपर, बार्ली एवं वाईन का समावेश है। ऑस्ट्रेलिया के व्यापारमंत्री सायमन बर्मिंगहैम ने इस पर तीव्र नाराज़गी व्यक्त की है और चीन नियमों का पालन करके अपनी भूमिका का स्पष्ट ऐलान करे, यह इशारा दिया है।

ऑस्ट्रेलिया-चीन

कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर अपनी वर्चस्ववादी महत्वाकांक्षा पूरी करने की कोशिश में जुटी चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चुनौती प्राप्त होने लगी है। अमरीका और यूरोप के साथ विश्‍व के कई प्रमुख एवं छोटे-बड़े देश चीन की हरकतों के विरोध में स्पष्ट भूमिका अपना रहे हैं। चीन और ऑस्ट्रेलिया इन प्रमुख व्यापारी भागीदार देशों में तनाव होने की बात बीते कुछ वर्षों से धीरे धीरे सामने आ रही थी। ऑस्ट्रेलिया के अंदरुनि राजनीति में हो रही दखलअंदाज़ी और सायबर हमले जैसे मुद्दों की वजह से बढ़ रहे तनाव में इस वर्ष कोरोना की महामारी का समावेश हुआ है। चीन से लगातार प्राप्त हो रही धमकियां और साथ ही ऑस्ट्रेलिया की सख्त भूमिका की वजह से दोनों देशों के संबंध काफी हद तक बिगड़ने की बात दिखाई दे रही है। बीते महीने में ऑस्ट्रेलिया के विश्‍लेषक एवं अभ्यासगुटों ने ऑस्ट्रेलिया एवं चीन के बीच व्यापारयुद्ध तेज़ होने के संकेत दिए थे। चीन की कार्रवाई से इसकी पुष्टी होती दिख रही है।

ऑस्ट्रेलिया-चीन

ऑस्ट्रेलिया ने बीते दो वर्षों में चीन की दखलअंदाज़ी रोकने के लिए कई आक्रामक कानून बनाए हैं। चीन की हुवेई कंपनी पर प्रतिबंध लगानेवाले देशों में भी ऑस्ट्रेलिया आगे था। इसके बाद इस वर्ष के शुरू में ऑस्ट्रेलिया की यंत्रणाओं ने चीनी उत्पादनों के डंपिंग के विरोध में जाँच शुरू की थी। इस जाँच के बाद ऑस्ट्रेलिया में चीन से आयात हो रहे स्टील, ऐल्युमिनियम, सिलिकॉन पर प्रतिबंध लगाए गए थे। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने चीन के निवेश के विरोध में संसद में विधेयक भी पेश किया है। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना की महामारी और साउथ चायना सी को लेकर अपनाई भूमिका भी चीन को नाराज़ करनेवाली साबित हुई। इस वजह से चीन ने अब व्यापार के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया को लक्ष्य करने का निर्णय किया हुआ दिख रहा है।

ऑस्ट्रेलिया-चीन

वर्ष २०१५ में ऑस्ट्रेलिया और चीन में मुक्त व्यापारी समझौता हुआ। यह घटना दो देशों के आर्थिक और व्यापारी सहयोग का सर्वोच्च स्तर समझी जाती है। फिलहाल ऑस्ट्रेलिया और चीन के द्विपक्षीय व्यापार २३५ अरब डॉलर्स से अधिक हैं और इ्समें चीन के निर्यात का हिस्सा अधिक है। ऐसा होने के बावजूद चीन अपने प्रमुख व्यापारी भागीदार के विरोध में संघर्ष शुरू करके अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। चीन के अन्य व्यापारी भागीदार रहे अमरीका, यूरोप, जापान और भारत के चीन के साथ जारी संबंधों में पहले से ही तनाव है। इससे चीनी अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने की जानकारी भी सामने आयी है। ऐसी स्थिति में चीन ने ऑस्ट्रेलिया के विरोध में व्यापारयुद्ध शुरू करना ध्यान आकर्षित करता है।

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