इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन को रोकना हो तो ऑस्ट्रेलिया और जापान लष्करी गतिविधियां बढाएं – ऑस्ट्रेलियन विश्‍लेषक का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकैनबेरा: ‘आने वाले समय में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर अमरिका का प्रभाव कम हो सकता हैं| ऐसा हुआ तो चीन की आक्रामकता से अपने मित्र देशों की सुरक्षा करना अमरिका के लिए संभव नहीं होगा| यह खतरा टालना हो तो ऑस्ट्रेलिया और जापान को इस क्षेत्र में लष्करी निवेश तथा तैनाती बढ़ाकर अमरिका को सहयोग करना होगा| अन्यथा चीन के मिसाइल्स अमरिका के मित्र देशों को निशाना करेंगे, ऐसी गंभीर चेतावनी ऑस्ट्रेलियन अभ्यास गट ‘यूनायटेड स्टेटस् स्टडी सेंटर’, ने दी हैं|

इस ऑस्ट्रेलियन अभ्यास गुट के १०४ पन्नों के रिपोर्ट में ‘एश्‍ले टॉउनशेंड’ इस मुख्य विशेषज्ञ ने कुछ अहम निरीक्षण प्रस्तुत किए हैं| इनमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमरिका की धारणा, खर्च और इस क्षेत्र में मित्र देशों की भूमिका के बारे में टॉउनशेंड ने अपने निष्कर्ष दर्ज किए हैं| इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन ढहने लगा हैं| पिछले कुछ दशकों से इस क्षेत्र पर अमरिका का बहुत बड़ा प्रभाव था| लेकिन पिछले कुछ वर्षों से अमरिका का ढहता प्रभाव और चीन का बढ़ता प्रभाव इस असंतुलन का कारण साबित होने की चिंता टॉउनशेंड ने व्यक्त की हैं|

चीन की तुलना में इस क्षेत्र में अमरिका की लष्करी शक्ति नहीं के बराबर होने का दावा ऑस्ट्रेलियन विशेषज्ञ ने किया हैं| पिछले कुछ वर्षों में चीन ने अपनी लष्करी शक्ति और तंत्रज्ञानविषयक क्षेत्र में काफी उन्नति की हैं| इस अवधि में खाड़ी का सबसे लंबे समय तक का युद्ध और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सहयोगी देशों के साथ के लष्करी सहयोग में हुई गिरावट चीन का प्रभाव बढ़ाने के लिए सहायक साबित हुई हैं, इस ओर टॉउनशेंड ने ध्यान आकर्षित कराया हैं|

अमरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की ओर ध्यान आकर्षित करने तक चीन ने बैलिस्टिक मिसाइलों का तेजी से निर्माण कर लिया हैं| चीन के इस बॅलिस्टिक मिसाइलों के दायरे में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अमरिका के मित्र देश आते हैं| चीन के इन मिसाइलों को उत्तर देने की क्षमता अमरिका तथा मित्र और सहयोगी देशों को विकसित करनी होगी| ऑस्ट्रेलिया, जापान और तैवान इन देशों ने अपनी लष्करी शक्ति में और वर्णित क्षेत्र में तैनातीकरण समय रहते ही नहीं बढ़ाई तो चीन के मिसाइल्स उनको निशाना बना सकते हैं, ऐसी चेतावनी टॉउनशेंड ने दी हैं|

इनमें से तैवान, जापान के कब्जे में होने वाले ‘सेंकाकू’ द्वीप समूह और ‘साउथ चाइना सी’ पर अधिकार जताने के लिए चीन अपनी लष्करी शक्ति का उपयोग करेगा, ऐसी संभावना भी ऑस्ट्रेलियन विशेषज्ञ ने व्यक्त की हैं| इस कारण चीन का प्रभाव रोकना हो तो ऑस्ट्रेलिया, जापान और तैवान इन देशों को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमरिका की लष्करी धारणा को सहायता करनी वाली भूमिका स्वीकारते हुए यहां तैनाती बढ़ानी होगी, ऐसा आवाहन टॉउनशेंड ने अपनी रिपोर्ट द्वारा किया हैं|

इससे पहले भी ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों ने चीन की बढ़ती लष्करी गतिविधियां अपने देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित होने का सूचित किया था| वनातू तथा ‘साउथ चाइना सी’ में चीन की आक्रामकता दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ ऑस्ट्रेलिया के लिए भी चेतावनी होने का दावा विशेषज्ञ ने किया था| उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अमरिका के साथ नई लष्करी धारणा निश्चित करने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं|

इस पर चीन से प्रतिक्रिया उमड़ी हैं| अमरिका के साथ लष्करी सहयोग बढ़ाकर चीन के साथ हो रहे व्यापारी सहयोग के लिए ऑस्ट्रेलिया खतरा बना रहा हैं, ऐसी धमकी चीन ने दी हैं|

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