ईरान के नातांझ परमाणु केंद्र पर हुआ हमला ‘स्टक्सनेट’ से कई गुना भयंकर – अमरिकी समाचार पत्र का दावा

न्यूयॉर्क – इस महीने के शुरू में, ईरान के नातांझ परमाणु केंद्र में लगी आग की घटना के पीछे इस्रायल का हाथ होने का आरोप अमरीका स्थित शीर्ष अख़बार ने किया है। दस वर्ष पहले इस्रायल ने ईरान के परमाणु केंद्र पर किए ‘स्टक्सनेट’ के सायबर हमले से भी अधिक भयंकर और भयंकर परिणाम होनेवाला हमला अब किया हैं, यह दावा इस अख़बार ने किया है। वहीं, इस हमले की वज़ह से ईरान का परमाणु कार्यक्रम दो वर्ष पिछड़ जाने की संभावना भी इस अख़बार ने जताई है। इसी बीच, अख़बार से हो रहे आरोपों पर प्रतिक्रिया ना देने की नीति पर इस्रायल की सेना इस बार भी कायम रही है।

नातांझ परमाणु केंद्र

ईरान के नातांझ परमाणु केंद्र में पिछले हफ़्ते हुए विस्फ़ोट के पीछे दो कारण हो सकते हैं, यह बात ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ इस अमरिकी अख़बार ने, खाड़ी क्षेत्र की एक गुप्तचर यंत्रणा के हवाले से कही है। परमाणु केंद्र की गैस पाईपलाईन में बम लगाकर यह विस्फ़ोट करवाया गया, यह दावा होने की बात अमरिकी अख़बार ने कही हैं। लेकिन, यह संभावना कम होने की बात भी इस अख़बार ने कही है। इसके अलावा ईरानी परमाणु केंद्र पर सायबर हमला होने की संभावना भी इस अख़बार ने जताई है।

सन २०१० में इस्रायल और अमरीका ने ईरान के नातांझ और बुशहेर परमाणु केंद्र पर सायबर हमले किए थे। स्टक्सनेट वायरस के सायबर हमले से ईरान के परमाणु केंद्र में हज़ारों सेंट्रीफ्यूजेस्‌ बेकार हुए थे। इसका ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सीधा असर हुआ था। पिछले हफ़्ते में नातांझ परमाणु केंद्र पर हुआ सायबर हमला, इस ‘स्टक्सनेट’ के सायबर हमले से भी भयंकर होने का दावा इस अमरिकी अख़बार ने किया है। इस सायबर हमले की वजह से ईरान के परमाणु केंद्र का बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ है और ईरान का परमाणु कार्यक्रम कम से कम दो वर्ष पिछड़ा गया है, यह बात इस अख़बार ने गुप्तचर अधिकारों के हवाले से कही है।

‘कर्नी इंडोव्हमेंट फॉर इंटरनैशनल पीस’ इस अमरिकी अभ्यासगुट के वरिष्ठ विश्‍लेषक करीम सज्जादपूर ने, अमरिकी अख़बार से की हुई बातचीत के दौरान साझा की जानकारी में, इस हमले से ईरान की हुकूमत पर बड़ा असर होने की बात भी कही है। ईरान की हुकूमत पहले ही आर्थिक संकट और अमरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रही है। ऐसें में हुए इस सायबर हमले की वजह से ईरान की हुकूमत के विरोध में असंतोष बढ़ रहा है, यह बात भी इन विश्‍लेषक ने कही है।

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