नाइजीरिया में फुलानी आतंकियों के भीषण हमले में ४५ लोगों की मौत

अबुजा – नाइजीरिया में फुलानी आतंकियों के गुट के हमले में ४५ लोग मारे गए हैं और कई लोग घायल भी हुए हैं। राजधानी अबुजा के करीबी नसारावा प्रांत में यह हमला हुआ है। नाइजीरिया के राष्ट्राध्यक्ष मोहम्मद बुहारी ने हमले की घटना की पुष्टी की है। हमले में मारे गए अधिकांश लोग ईसाई तिववंशी किसान होने की बात सामने आयी है। फुलानी आतंकियों ने नाइजीरिया में इससे पहले भी ईसाईयों पर हमले करने की बात स्पष्ट हुई थी।

फुलानीफुलानी वंश के एक नेता की कुछ ही दिन पहले हत्या हुई थी। इस हत्या के पीछे तिववंशियों का हाथ होने का दावा फुलानी वंशियों ने किया था। नेता के इस हत्या का बदला लेने के लिए फुलानी आतंकियों के गुट ने नसारावा प्रांत के लगभग १२ गांवों में हमले किए। इनमें लफिआ, ओबि और अवे जिले के गांवों का समावेश है। लगातार तीन दिन यह हमले हो रहे थे, यह जानकारी स्थानीय सूत्रों ने प्रदान की।

हमले के बाद इस क्षेत्र में सैन्य दलों की तैनाती की गई है और सर्च मुहिम जारी है। लेकिन स्थानीय लोगों ने फुलानी गुटों के हमलों के पीछे राष्ट्राध्यक्ष बुहारी और सरकार के उनके करीबियों का हाथ होने के दावे किए हैं। राष्ट्राध्यक्ष बुहारी स्वयं फुलानी वंशी हैं और उनके द्वारा हमलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, ऐसा कहा जा रहा है। बुहारी ने सत्ता संभालने के साथ ही फुलानी गुट अधिक आक्रामक होने की बात पर ध्यान आकर्षित किया गया है।

फुलानीपिछले वर्ष फुलानी आतंकियों के गुट ने नाइजीरिया के साथ अफ्रीका के अन्य देशों को धमकाया था। ‘नाइजीरिया के असल भू-प्रदेश पर फुलानी जनता का हक है और इसे कोई भी छीन नहीं सकता। हज़ारों वर्ष पहले फुलानी समूदाय के हाथों में ही इस पूरे भू-प्रदेश का कब्ज़ा था। लेकिन, इस इतिहास को मिटाया गया। पर अब इतिहास को दुबारा लिखने का अवसर मिला है। सोकोटो से अटलांटिक महासागर तक अपने धर्मशत्रु के नियंत्रण में वाले पूरे भूभाग पर फुलानी फिर से कब्ज़ा करेंगे’, यह इशारा इस आतंकी गुट ने दिया था। इसके बाद नाइजीरिया के विभिन्न प्रांतों में गया गुट ने हमलें किए हैं और स्कूली बच्चों के अपहरण में भी इसी गुट का हाथ देखा गया है।

पिछले हफ्ते से नाइजीरिया में यह दूसरा बड़ा हमला साबित हुआ है। कुछ दिन पहले राजधानी अबुजा के करीबी कादुना प्रांत में हुई हिंसा में तकरीबन ५० लोग मारे गए थे। मृतकों में प्रमुखता से किसानों का समावेश होने की जानकारी स्थानीय सुरक्षा यंत्रणाओं ने साझा की। हिंसा के पीछे डकैतों के गुट या आतंकी संगठन का हाथ हो सकता है, ऐसी संभावना जताई गई थी।

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