जल्द ही दूसरे अरब स्प्रिंग की लहर उठेगी खाड़ी क्षेत्र में अभ्यासकों से कड़ी चेतावनी

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दोहा: जल्द ही दूसरे अरब स्प्रिंग आंदोलन की लहर उठेगी, ऐसी चेतावनी खाड़ी देशों में अध्यापकों ने दी है। अल जजीरा इस कतार स्थित वृत्त माध्यम में आयोजित किए एक परिसंवाद में बोलते हुए प्रोफेसर मोहम्मद मोहजूब हरून और प्रोफेसर हमौद अल ओलीमद इन दोनों ने खाड़ी देशों में नौजवानों में असंतोष का दाखिला देते हुए दूसरे अरब स्प्रिंग अटल होने की गवाही दी है।

सन २०११ में ट्यूनीशिया इस उत्तर अफ्रीकन देश से अरब स्प्रिंग की शुरुआत हुई थी। एक फल बेचने वाले ने निराश होकर आत्महत्या की थी। उसका वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध हुआ था। इस एक वीडियो की वजह से ट्यूनीशिया में बड़ी तादाद में असंतोष फैला और उसकी वजह से इस देश में चार दशकों से राज्य करनेवाली लष्करी सल्तनत गिरी थी। ट्यूनीशिया के पड़ोसी देश इजिप्त में भी इस आंदोलन की झलक पहुंची थी और इजिप्त में हुए जन आंदोलन में बड़ी तादाद में हिंसाचार फैला था। इसकी वजह से इजिप्त में राष्ट्राध्यक्ष होस्नी मुबारक की सल्तनत गिरी थी। इसके बाद हुए हिंसाचार और अराजकता से ९०० लोगों की जान गवाइ थी।

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आने वाले समय में ट्यूनीशिया और इजिप्त में सत्ता पर होने वाले सरकार की अधिक गिरावट ना हो पर लीबिया, सीरिया, येमेन इन देशों में अरब स्प्रिंग आंदोलन के बाद हुए उथलपुथल के परिणाम अभी भी सामने आ रहे हैं। इन देशों में सल्तनत को अरब स्प्रिंग से बहुत बड़े झटके लगे थे। इस आंदोलन का लाभ लेते हुए लीबिया, सीरिया और येमेन में बागियों के सशस्त्र गट सक्रिय हुए हैं। आज भी यह गट इन देशों में सत्ता प्राप्त करने के लिए लड़ रहे हैं। अकेले सीरिया में पिछले ७ वर्षों में हुए संघर्ष में ५ लाख से अधिक लोगों की जान गई है। लीबिया, येमेन इन देशों में मुठभेड़ शुरू होकर वहां की परिस्थिति अलग नहीं है। अरब खाड़ी देशों में शुरू अराजकता, अस्थिरता एवं हिंसाचार की मूल वजह अरब स्प्रिंग में प्राप्त होती है।

आज के घटक को अरब स्प्रिंग का रूपांतर भयंकर रक्तपात करने वाले संघर्ष में हुआ है। फिर भी इस जनांदोलन के बीज खाड़ी क्षेत्रों में समाज में वैसे ही रहेंगे, ऐसा दावा प्रोफेसर हरुन ने अल जजीरा के परिसंवाद मे किया है। हरून यह सुदान के खार्तूम विद्यापीठ में समाजशास्त्र के प्राध्यापक हैं। अमर्याद गति से हो रहे शहरीकरण, रोजगार निर्माण के क्षेत्र पर होने वाला बढ़ा तनाव, आर्थिक गतिरोध इन तीन घटकों की वजह से वहां का समाज असंतुष्ट हैं, इस पर प्रोफेसर हरून ने ध्यान केंद्रित किया है। और यह बातें सामाजिक असंतोष को भड़काने के लिए पर्याप्त है ऐसी बात उन्होंने कही है।

खाड़ी क्षेत्र में २५ वर्ष आयु के नीचे होने वाले नौजवानों की संख्या ४० करोड़ के आगे हैं। इन नौजवानों की आकांक्षा बढ़ती जा रही है। उन्हें स्वतंत्रता चाहिए, दबाव करने वाली सल्तनत बदलने के लिए वह नौजवान फिर से एक बार आंदोलन का मार्ग स्वीकारेंगे, ऐसा निष्कर्ष प्रोफेसर हमीद अल ओलिमत ने जताया है और हरुनने उन दावों को समर्थन दिया है। प्रोफेसर ओलीमत यूनिवर्सिटी ऑफ कतार में समाजशास्त्र के प्राध्यापक है।

इसीलिए कुछ भी होने पर भी उतर अफ्रीकन देशों से वह खाड़ी देशों में नए अरब स्प्रिंग की लहर आएगी। यह आंदोलन टाला नहीं जा सकता ऐसा समाजशास्त्र के इन दोनों अध्यापकों ने जोर देकर कहा है। इसकी वजह से अरब स्प्रिंग के झुंड में भी अपनी सल्तनत बचाने के लिए अरब खाड़ी देशों में कई लोग सफल हुए हैं। फिर भी आने वाले समय में जन आंदोलन की भड़की हुई परिस्थिति गतिमान रूप से सब कुछ बदल सकती है, ऐसा इन दोनों प्राध्यापकों ने प्रस्तुत किए निष्कर्ष से दिखाई दे रहा है। पर इसकी वजह से पहले ही अस्थिरता से जूझ रहे खाड़ी क्षेत्र के सामने भयंकर चुनौतियां खड़े रहेंगी, ऐसे संकेत इन दोनों प्राध्यापकों के दावे से मिल रहे हैं।

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