चीन को धमकाने की एवं कुचलने की कोशिश करनेवालों से चीन की फौलादी दीवार टकराएगी – राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग का इशारा

बीजिंग – ‘किसी भी विदेशी शक्ति से चीन को धमकाने की, दबाने की या नियंत्रित करने की कोशिश करना बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। जो  कोई ऐसी कोशिश करेगा उन्हें १.४ अरब चीनी जनता ने खड़ी की हुई अभेद्य फौलादी दीवार टकराएगी, यह ध्यान में रखें’, ऐसा इशारा चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने दिया।

कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के १०० वर्ष १ जुलाई के दिन पूरे हुए। इस अवसर पर आयोजित किए गए विशाल समारोह में कम्युनिस्ट पार्टी के सर्वेसर्वा एवं चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ चीनी जनता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बीते सदी के आरंभ में रही चीन की स्थिति और इसके बाद हुआ कम्युनिस्ट पार्टी का उदय एवं उसकी बढ़ोतरी का जोरदार समर्थन किया। चीन के विकास के लिए कम्युनिस्ट पार्टी एवं चीन की विशेषता से भरा समाजवाद आवश्‍यक होने का दावा भी जिनपिंग ने किया।

xi-jinping-warning-china-1चीन की सार्वभौम प्रगति एवं विश्‍व में प्राप्त स्थान के मुद्दे पर कम्युनिस्ट हुकूमत की पीठ थपथपाने के साथ ही चीन किसी से  अनावश्‍यक उपदेशों के डोस नहीं सुनेगा, यह इशारा दिया। जिनपिंग की यह फटकार मानव अधिकारों के मुद्दे पर चीन को सुना रहे अमरीका और यूरोपिय देशों के लिए थी, ऐसा कहा जा रहा है। इस दौरान जिनपिंग ने हाँगकाँग, मकाव एवं तैवान के मुद्दे पर भी आक्रामक भूमिका अपनाई। हाँगकाँग और मकाव में ‘एक देश, दो व्यवस्थाएं’ तत्व के अनुसार सफर जारी है और दोनों हिस्सों में स्थानीय जनता के हाथों में नियंत्रण होने का दावा उन्होंने किया।

‘तैवान की आज़ादी के लिए होनेवाली किसी भी तरह की कोशिश सख्त निर्धार के साथ कार्रवाई करके नाकाम की जाएगी। तैवान के विलय के लिए अच्छा भविष्य बनाया जाएगा। संप्रभुता एवं एकजुटता बरकरार रखने के लिए चीनी जनता ने प्राप्त की हुई क्षमता और इच्छा की ओर नजरअंदाज करने की गलती कोई ना करे’, यह इशारा देकर तैवान का मुद्दा चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत कभी  नहीं छोड़ेगी, यह इशारा जिनपिंग ने दिया। चीन के राष्ट्राध्यक्ष की इस धमकी पर तैवान ने प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। अपना सियासी दायरा थोंपने की एवं लष्करी ताकत का इस्तेमाल करने की कोशिश चीन ना करे, यह इशारा तैवान ने दिया है।

चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को फिलहाल अंदरुनि एवं बाह्य स्तर पर असंतोष का सामना करना पड़ रहा है, यह चित्र सामने आया है। कोरोना की महामारी, हाँगकाँग का कानून, उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचार, तैवान को दी जा रही धमकियाँ एवं साउथ चायना सी में जारी विस्तारवादी कार्रवाईयों की वजह से चीन की हुकूमत को लेकर विश्‍वभर में नाराज़गी का माहौल है। अमरीका और यूरोपिय देश चीन के मुद्दे पर एक हो रहे हैं और अगले दिनों में चीन को इनकी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। आर्थिक स्तर पर भी चीन का योगदान ज्यादा अच्छा नहीं है और शीर्ष भागीदार देशों के साथ ही चीन का व्यापारी संघर्ष होने लगा है।

अंदरुनि स्तर पर भी जिनपिंग की बढ़ती एकाधिकारशाही के विरोध में नाराज़गी सामने आने लगी है। कम्युनिस्ट पार्टी एवं हुकूमत के सर्वाधिकार जिनपिंग के हाथों में हैं और ऐसे में उन्हें प्राप्त हो रही नाकामी कम्युनिस्ट हुकूमत के लिए काफी महंगी साबित होगी, ऐसी चर्चा चीन में हो रही है। अगले दिनों में जिनपिंग को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से ही चुनौती प्राप्त होगी, ऐसी संभावना कुछ लोग व्यक्त कर रहे हैं। कोरोना की महामारी चीन द्वारा फैलाए जाने के सबूत विश्‍व के सामने आए तो इससे राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को झटका लगेगा और इससे चीन में नेतृत्व बदल सकेता है, ऐसी संभावना नामांकित विश्‍लेषक गॉर्डन चैंग ने व्यक्त की थी।

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