पूर्व प्रधानमंत्री जिआबाओ के कारण चीन हुकूमत बेचैन

wen-jiabao-chinaबीजिंग – वर्ष २००३ से २०१३ के दौरान चीन के प्रधानमंत्री रहे नेता वेन जिआबाओ फिलहाल चर्चा का विषय बने हुए हैं। अपनी दिवंगत माँ के विषय में एक लेख में जिआबाओ ने मौजूदा राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के विरोध में अप्रत्यक्ष आलोचना की है। उनका यह लेख हज़ारों लोगों ने चीन के सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे से शेअर किया है। इसके बाद इस पर तुरंत पाबंदी लगाई गई। इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री भी चीन की हुकूमत के झटके से बच नहीं सकते, यह बात विश्‍वभर में सार्वजनिक है, ऐसी टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय माध्यम कर रहे हैं। इसी के साथ चीन की अंदरुनि सियासत में जारी उथल-पुथल भी इस घटना ने विश्‍व के सामने लाई है।

दिसंबर में जिआबाओ की माँ का निधन हुआ। उनके ज़िक्र के साथ लिखे गए जिआबाओ के इस लेख में चीन में माओ त्से तुंग ने किए कल्चरल रिवोल्युशन से संबंधित जानकारी दर्ज़ है। प्रामाणिकता, न्याय, उदारता और स्वतंत्रता का उत्कर्ष होना चाहिये, इसे नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं होगा, ऐसी उम्मीद जियबाओ ने इस लेख में व्यक्त की है। इसमें जिआबाओ ने चीन की मौजूदा हुकूमत की नीति, उद्देश्‍य और राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को लक्ष्य नहीं किया है। उनके खिलाफ सौम्य आलोचना करने से भी जिआबाओ दूर रहे हैं। इसके बावजूद उन्होंने अप्रत्यक्ष पद्धति से राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की नीति पर नाराज़गी व्यक्त की है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

चीनी सोशल मीडिया पर हज़ारों लोगों ने इस लेख को शेअर किया है। इसे प्राप्त हो रही प्रसिद्धी राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की हुकूमत की आँखों में चुभी है और इस लेख पर तुरंत पाबंदी लगाई गई है। लेकिन, इससे पहले यह लेख कई लोगों ने पढ़ा है। खास बात तो यह है कि, इस वजह से चीन की हुकूमत स्पष्ट तौर पर बेचैन दिखाई दे रही है और इसी से एक ही समय पर कई संदेश विश्‍व को प्राप्त हुए हैं। राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग माओ के बाद हुए चीन के सबसे ताकतवर राष्ट्राध्यक्ष समझे जाते हैं। उनकी तरह चीन के किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के हाथों में सत्ता का नियंत्रण केंद्रीत नहीं हुआ था। लेकिन, जिनपिंग को सर्वाधिकार प्राप्त हुए हैं।

wen-jiabao-chinaइसका इस्तेमाल करके राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने अपने सियासी प्रतिद्वंद्वियों को जड़ से उखाड़कर फैंकने का सत्र शुरू किया था। भ्रष्टाचार के खिलाफ एवं गबन के खिलाफ कार्रवाई का कारण बताकर राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर अपनी पकड़ मज़बूत की है। उनके भरोसे के लोग चीन में अहम स्थानों पर नियुक्त हैं और वहां पर विरोधियों में से किसी की भी नियुक्ती ना हो, इसका पूरा ध्यान जिनपिंग ने रखा है।

इसके साथ ही चीन में नागरी आज़ादी पर अधिक से अधिक रोक लगाई जा रही है। ऐसी स्थिति में सुधारवादी एवं प्रगतीशील समझे जा रहे वेन जिआबाओ जैसे नेताओं की स्थिति काफी खराब है। चीन प्रामाणिकता, न्याय, उदारता और आज़ादी का पुरस्कार करे और इसी दिशा में प्रगती करे, ऐसे सूचक शब्दों में जिआबाओ की उम्मीद इस वजह से अहमियत रखती है क्योंकि, मौजूदा राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की हुकूमत का सफर बिल्कुल विरोधी दिशा से शुरू हुआ है।

इस वजह से चीन की सियासत में सबकुछ ठीक नहीं है, अंदरुनि स्तर पर राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के खिलाफ नाराज़गी है और यह असंतोष में तब्दील हो सकती है, ऐसें स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय माध्यमों ने इस स्थिति का संज्ञान लिया है।

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