पश्चिमियों ने लगाए प्रतिबंधों के विरोध में चीन द्वारा ‘वुल्फ वॉरिअर डिप्लोमसी’ का इस्तेमाल – विश्लेषकों का दावा

बीजिंग – कुछ हफ्ते पहले चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने, ‘प्रेमल और विनम्र देश’ ऐसी अपने देश की छवि बनाने की कोशिश करने का आवाहन किया था। लेकिन इस आवाहन के बाद कुछ ही दिनों में चीन की संसद में, पश्चिमी देशों द्वारा थोपे जाने वाले प्रतिबंधों को प्रत्युत्तर देनेवाला कानून पारित किया गया। यह कानून यानी चीन की ‘वुल्फ वॉरिअर डिप्लोमसी’ का भाग है, ऐसा दावा विश्लेषक जिआन्ली यांग ने किया है।

पिछले कुछ सालों में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत द्वारा दुनियाभर में वर्चस्ववादी कारनामें तेज़ किए गए हैं। उसमें पिछले साल दुनियाभर में फैली हुई कोरोना की महामारी और उइगरवंशियों पर किए जानेवाले अत्याचार मिले हैं। इन मामलों के कारण अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में तीव्र असंतोष की भावना पैदा हुई है। चीन की आक्रामकता और विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ पश्चिमी देशों ने कदम उठाना शुरू किया होकर, उसमें चीन विरोधी व्यापक प्रतिबंधों का समावेश है।

पश्चिमियों हो द्वारा लगाए जानेवाले प्रतिबंधों के कारण चीन की हुकूमत बेचैन हुई होकर, उसे आक्रामक प्रत्युत्तर देने की माँग चीन में ज़ोर पकड़ रही बताई जाती है। ‘जी७’ की बैठक से पहले चीन की संसद ने जल्दबाजी में मंजूर किया हुआ ‘लॉ ऑन काऊंटरिंग फॉरेन सँक्शन्स’ उसी का भाग साबित हुआ है। ‘जी७’ और उसके बाद हुई नाटो बैठक के माध्यम से अमरीका की पहल से प्रतिबंध लगाए जाने का डर होने के कारण ही, चीन ने जल्दबाजी में कानून मंजूर किया होने का दावा विश्लेषकों ने किया है।

कुछ दिन पहले चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और राजनीतिक अधिकारियों को संबोधित करके किए बयान में, चीन की छवि बदलने की ज़रूरत होने का सुझाव दिया था। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन के प्रति नफ़रत की भावना होकर, ‘निर्दयी देश’ ऐसी छवि निर्माण हुई है। यह छवि बदलकर चीन को चाहिए कि अधिकाधिक मित्र बनाएँ, ऐसा जिनपिंग ने कहा था। लेकिन जिनपिंग का यह बयान यानी खोखला बुलबुला है, यह संसद ने मंजूर किये कानून से दिखाई देता है, ऐसा सूर विश्‍लेषक जिआन्ली यांग ने अपने लेख में व्यक्त किया है।

राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने ही चीन के राजनीतिक दायरे में ‘वुल्फ वॉरिअर डिप्लोमसी’ की शुरुआत की थी, इसपर यांग ने गौर फरमाया। पिछले कुछ सालों में चीन के विदेशों में नियुक्त राजदूत, वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारी और नेता बहुत ही आक्रामक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। पश्चिमी देशों समेत अन्य किसी भी देश ने अगर चीन के विरोध में फैसला किया, तो उसकी आक्रामक शब्दों में आलोचना करके उसे धमकाया जा रहा है। इसके पीछे जिनपिंग की आग्रही भूमिका ही कारणीभूत है। चीन के पास अब औरों को प्रत्युत्तर देने की ताकत है, ऐसी धारणा राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने ही करा दी है, ऐसा यांग ने कहा है। जिनपिंग ने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए और अपनी नाकामी छिपाने के लिए चीन की जनता में प्रखर राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की कोशिश की और ‘वुल्फ वॉरिअर डिप्लोमसी’ का मूल उसी में होने का दावा यांग ने अपने लेख में किया है।

‘वुल्फ वॉरिअर डिप्लोमसी’ शब्द का इस्तेमाल चीन में सन २०१५ में प्रदर्शित हुए ‘वुल्फ वॉरिअर’ इस मूवी के बाद शुरू हुआ बताया जाता है। इस मूवी में चीन के लष्कर का एक पथक विदेशी एजेंट के कब्जे में होने वाले ‘ड्रग माफिया’ को अपने कब्जे में करने के लिए संघर्ष करता है, ऐसा दिखाया गया है।

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