नेत्यान्याहू प्रधानमंत्री होने के साथ ही युद्ध के नगाड़े बजने लगे – विश्लेषकों का दावा

तेल अवीव – बेंजामिन नेत्यान्याहू इस्रायल के प्रधानमंत्री बन रहे हैं और इसके साथ ही युद्ध के नगाड़े बजने लगे हैं, ऐसी चेतावनी इस्रायली माध्यमों ने ही दी है। नेत्यान्याहू के सहयोगी झाकी हानेग्बी ने ऐसें संकेत दिए हैं। उदारवादी देशों के नेता ईरान का परमाणु कार्यक्रम रोककर उस पर कार्रवाई करने में असफल हुए तो प्रधानमंत्री बन रहें नेत्यान्याहू ईरान को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई किए बिना नहीं रहेंगे, ऐसा विश्वास हानेग्बी ने व्यक्त किया है।

युद्ध के नगाड़ेशरण जाइये या ईरान का परमाणु कार्यक्रम रोक दे, यह दो ही विकल्प इस्रायल के सामने हैं। ऐसी स्थिति में यदि ईरान का परमाणु कार्यक्रम रोकना है तो सख्त कार्रवाई के बिना विकल्प नहीं। खास तौर पर उदारवादी देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए उत्सुक नहीं हैं तो इस्रायल को सैन्य कार्रवाई का विकल्प ही अपनाना होगा। पिछले बीस सालों से बेंजामिन नेत्यान्याहू ईरान के परमाणु कार्यक्रम से इस्रायल के लिए होने वाले खतरे पर ध्यान आकर्षित करते रहे हैं। उन्होंने पहले के समय में इस विषय पर दिए इशारे अब प्रत्यक्ष में उतरते दिखाई दे रहे हैं। इस वजह से प्रधानमंत्री होने के बाद नेत्यान्याहू ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए आक्रामक गतिविधियां किए बिना नहीं रहेंगे, ऐसा दावा हानेग्बी ने किया।

इस्रायली प्रधानमंत्री येर लैपिड ने भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सैन्य कार्रवाई का विकल्प इस्रायल के सामने होगा, यह घोषित किया था। लेकिन, लैपिड ने अमरीका और पश्चिमी देशों के साथ राजनीतिक चर्चा करके ईरान पर दबाव बनाने की कोशिशों को अधिक अहमियत दी थी। अमरीका एवं पश्चिमी देशों को ईरान के परमाणु कार्यक्रम को आगे करके धमकाने के बजाय राजनीतिक बातचीत की राह इस्रायल के लिए अधिक उपयोगी होगी, ऐसा लैपिड़ का कहना था। अपने पहले की सरकार यानी नेत्यान्याहू की सरकार संघर्ष का रुख अपना कर इस्रायल का नुकसान कर रही थी, ऐसा आरोप लैपिड ने लगाया था।

युद्ध के नगाड़ेलेकिन, लैपिड की नीति समय की बरबादी और परमाणु बम की ओर तेज़ दौड़ लगा रहें ईरान के लाभ में होने की आलोचना उस समय के विपक्षी नेता बेंजामिन नेत्यान्याहू ने की थी। इस वजह से चुनाव में जीत प्राप्त करके फिर से प्रधानमंत्री बन रहें नेत्यान्याहू ईरान के खिलाफ इस्रायल की भूमिका अधिक सख्त करेंगे, यह स्पष्ट दिखने लगा हैं। झ्ााकी हानेग्बी ने यही संकेत दिए हैं और यह बात युद्ध के नगाड़ें बजने की बात दर्शात हैं, ऐसा इस्रायली विश्लेषकों का कहना हैं।

इसके साथ ही बेंजामिन नेत्यान्याहू इस्रायल के प्रधानमी६ं होना यह ईरान से खतरा महसूस कर रहें अरब देशों के लिए आश्वासक बात साबित होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। स्पष्ट तौर पर खाड़ी देशों के नेताओं ने नेत्यान्याहू की जीत पर सीदा बयान नहीं किया है। लेकिन, बहरीन के राजनीतिक सलाहकार ‘शेख खालिद बिन अहमद अल खलिफा’ ने नेत्यान्याहू इस्रायल के प्रधानमंत्री होने के बाद भी ‘अब्राहम समझौते’ के अनुसार बहरीन और इस्रायल का सहयोग कायम रहेगा, यह दावा किया।

सौदी अरब, यूएई एवं ईरान के परमाणु कार्यक्रम का विरोध कर रहें अन्य खाड़ी देशों की भूमिका भी इससे अलग होने की संभावना नहीं। इस वजह से बेंजामिन नेत्यान्याहू प्रधानमंत्री होने के बाद खाड़ी देशों के सहयोग का इस्तेमाल करके वह ईरान विरोधी गूट और भक्कम करेंगे, यह दिखाई देने लगा हैं। इसका दाखिला देकर इस्रायली विश्लेषक युद्ध के नगाड़ें बजने लगे हैं, ऐसें दावे कर रहे हैं।

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